स्विगी ने महिला डिलिवरी फोर्स के लिए लागू की यौन उत्पीड़न निवारण नीति
किसी भी वर्कप्लेस या मोर्चे पर महिलाओं की कम भागीदारी की अक्सर एक ही वजह होती है—उनकी सुरक्षा के सवाल पर. यह सोचे जाने की ज़रूरत है कि उस स्थिति में क्या होता है जब विमेन डिलीवरी एग्जीक्युटिव् के साथ अनुचित व्यवहार किया जाता है या यौन हमला किसी पूर्वाग्रह की शक्ल में होता है? ‘गिग वर्कर्स’ के तौर पर ऐसे भी डिलीवरी एग्जीक्युटिव्स फिलहाल भारत के यौन उत्पीड़न निवारण कानून के दायरे में नहीं आती हैं. ये सवाल अधिकाधिक महिलाओं को डिलीवरी सर्विसेस से जुड़ने से रोकती आईं हैं.
महिलाओं को डिलीवरी एग्जीक्युटिव्स के तौर पर जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए
अपनी महिला डिलीवरी एग्जिक्यूटिव को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए नीति के साथ आई है. इस नीति में महिला डिलीवरी वर्कर्स को कस्टमर या थर्ड पार्टी के कार्यस्थल पर होने वाले यौन उत्पीड़न से बचाने के प्रावधान किए गए हैं. बता दें, 2021 में स्विगी पहला प्लेटफार्म बना जिसने विमेन डिलीवरी वर्कर्स के लिए ‘पेड पीरियड टाइम ऑफ’ की पेशकश की. इसी तरह हाइजिनिक रेस्टरूम और उन्हें वाहनों की सुविधा उपलब्ध कराई.स्विगी ने बुधवार को कहा कि उसने अपनी महिला डिलिवरी सहयोगियों के लिए यौन उत्पीड़न निवारण नीति शुरू की है क्योंकि ये कर्मी कार्यस्थलों पर ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए बने भारतीय कानून के दायरे में नहीं आती हैं. स्विगी ने इस नीति के बारे में कहा, ‘‘अस्थायी कर्मियों (गिग वर्कर) के तौर पर काम करने वाले डिलिवरी सहायक यौन उत्पीड़न रोकथाम संबंधी भारतीय कानूनों के दायरे में नहीं आते हैं.’’
स्विगी के परिचालन प्रमुख मिहिर शाह ने कहा, ‘‘यौन उत्पीड़न निवारण नीति के तहत, समुदाय में विभिन्न हितधारकों की जवाबदेही तय करने और जागरूकता लाने के लिए हम सक्रिय कदम उठा रहे हैं.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘हमारा मानना है कि इन प्रयासों से घटनाओं की रोकथाम हो सकेगी और महिला डिलिवरी सहयोगी घटनाओं की जानकारी देने को प्रेरित होंगी क्योंकि उनके बीच यह भरोसा कायम होगा कि उनकी शिकायत पर कार्रवाई होगी. हमारा उद्देश्य महिलाओं को सशक्त करना है जिससे वे स्विगी के मंच पर सुरक्षित महसूस करें.’’
महिला एग्जिक्यूटिव को मिलेगी पूरी सहायता
यौन उत्पीड़न के मामलों में महिला कर्मचारी आपातकालीन सहायता के लिए स्विगी की ऑन ग्राउंड टीम के पास शिकायत दे सकती हैं. महिला की अध्यक्षता में बनाई गई इंटर्नल कमेटी ऐसे मामलों की जांच करेगी और महिला डिलीवरी एग्जिक्यूटिव की आगामी कार्रवाई के संबंध में मार्गदर्शन करेगी. कंपनी का कहना है कि महिला कर्मचारी किसी भी समय पुलिस में ग्राहक के खिलाफ केस दर्ज करा सकती है और कंपनी उसे ऐसा करने से कभी नहीं रोकेगी. मामले की जांच में कंपनी पुलिस की मदद करेगी.
एक्जीक्यूटिव ऐप से भी ली जा सकती है मदद
स्विगी डिलीवरी एक्जीक्यूटिव ऐप में एक SOS (एसओएस) बटन होता है. इसकी मदद से चौबीसों घंटे सहायता ली जा सकती है. इसकी मदद से एम्बुलेंस, स्थानीय पुलिस स्टेशन या स्विगी हेल्पलाइन से संपर्क साधा जा सकता है. कंपनी का कहना है कि अगर महिला किसी क्षेत्र को अपने लिए सुरक्षित नहीं मानती हैं तो वे उस क्षेत्र में डिलीवरी करने से मना कर सकती हैं. कंपनी का कहना है कि ग्राहक के नंबर को प्लेटफॉर्म पर हाईलाइट करने का मकसद किसी महिला एग्जिक्यूटिव को उस ग्राहक के पास ऑर्डर देने के लिए नहीं भेजना है.
स्विगी ने कहा कि कंपनी की तकनीकी टीम वर्तमान में यह सुनिश्चित करने के लिए एक सॉल्यूशन पर काम कर रही है, जिससे की उन असुरक्षित स्थानों महिला डिलीवरी एग्जीक्यूटिव को डिलीवरी के लिए भेजे जाने से रोका जा सके.