नोबेल जीतने वाले पहले भारतीय थे टैगोर, 2 देशों को दिए राष्ट्रगान
नोबेल पुरस्कार फ़िजिक्स, केमिस्ट्री, मेडिसिन, साहित्य और शांति के क्षेत्र में दिए जाने वाले पुरस्कार हैं. ये पुरस्कार उन लोगों को दिये जाते हैं जिन्होंने पिछले 12 महीनों में "इंसानियत की भलाई के लिए सबसे बेहतरीन काम किया है.” ये कथन अल्फ्रेड नोबेल (Alfred Nobel) के हैं जिनके नाम पर ये पुरस्कार दिया जाता है.
साल 1913 में रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) को साहित्य में नोबेल पुरस्कार (Nobel prize in literature) से नवाज़ा गया था. यह घटना ख़ास इसलिए है क्योंकि टैगोर साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय थे. साथ ही, टैगोर को मिला ये नोबेल पुरस्कार साहित्य के क्षेत्र में भारत को मिला एकमात्र नोबेल है. यह पुरस्कार टैगोर कगीतांजलि (बांग्ला उच्चारण - गीतांजोलि) के लिए दिया गया था.
‘गीतांजलि’ (Gitanjali) रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा मूलतः उनकी मातृभाषा बांग्ला में रचित गीतों (गेयात्मक कविताओ) का संग्रह है. इसमें कोई गद्यात्मक रचना नहीं थी, बल्कि सभी गीत अथवा गान थे. 'गीतांजलि' शब्द 'गीत' और 'अञ्जलि' को मिला कर बना है जिसका अर्थ है - गीतों का उपहार (भेंट).
हालांकि एक बात ज़रूरी रूप से याद रखने की है कि रवीन्द्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार मूल बांग्ला गीतों के संकलन इस 'गीतांजलि' के लिए नहीं दिया गया था बल्कि इस ‘गीतांजलि’ के साथ अन्य संग्रहों से भी चयनित गानों के एक अन्य संग्रह के अंग्रेजी गद्यानुवाद के लिए दिया गया था. यह अनुवाद स्वयं टैगोर ने किया था और इस संग्रह का नाम 'गीतांजलि: सॉन्ग ऑफ़रिंग् ' (Gitanjali: Song Offerings) रखा था.
अंग्रेजी गद्यानुवाद वाला यह संस्करण 1 नवंबर 1912 को इंडियन सोसायटी ऑफ़ लंदन द्वारा प्रकाशित हुआ था. यह संस्करण कवि रवीन्द्रनाथ के पूर्वपरिचित मित्र और सुप्रसिद्ध चित्रकार विलियम रोथेन्स्टाइन के रेखाचित्रों से सुसज्जित था तथा अंग्रेजी कवि वाई॰वी॰ येट्स ने इसकी भूमिका लिखी थी. मार्च 1913 में मैकमिलन पब्लिकेशन ने इसका नया संस्करण प्रकाशित किया और धूमधाम से प्रचारित किया.
जैसा कि ऊपर बताया गया है ‘गीतांजलि’ के सभी काव्य गीत अथवा गान हैं इसलिए इस किताब में लिखी प्रत्येक कविता एक स्वर लिए हुए है जिसे धुन में भी गाया जा सकता है. इसीलिए उनकी ज़्यादातर रचनाएं अब उनके गीतों में शामिल की जा चुकी हैं. साथ ही, टैगोर के संगीत को उनके साहित्य से अलग नहीं किया जा सकता. बंगाल में रवींद्रनाथ टैगोर के नाम से ही रबीन्द्र संगीत प्रसिद्ध है जो बांग्ला संस्कृति का अभिन्न हिस्सा माना जाता है.
रवींद्रनाथ टैगोर एक कवि, कथाकार, उपन्यासकार, नाटककार, निबन्धकार, चित्रकार और कलाकार थे. उन्हें साहित्य, संगीत, रंगमंच और चित्रकला सहित विभिन्न कलाओं में महारत हासिल थी.
टैगोर प्रकृति प्रेमी थे. उनका मानना था कि अध्ययन के लिए प्रकृति का सानिध्य ही सबसे बेहतर है. ‘गीतांजलि’ सहित उनकी प्रमुख काव्य रचनाओं में प्रकृति का मोहक और जीवंत चित्रण मिलता है. उनकी यही सोच 1901 में उन्हें शांति निकेतन (Shantiniketan) ले आई जहां उपनिषदिक मूल्यों के तहत उन्होंने शांतिनिकेतन सकूल भी चलाया.
अपने सभी भाई-बहनों में सबसे छोटे रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ थे. बचपन से ही उन्हें परिवार में साहित्यिक माहौल मिला, इसी वजह से उनकी रुचि भी साहित्य में ही रही. परिवार ने उन्हें कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेजा, लेकिन वहां उनका मन नहीं लगा. इसलिए पढ़ाई पूरी किए बिना ही वे वापस लौट आए.
कहा जाता है कि महज 8 साल की उम्र में टैगोर ने अपनी पहली कविता लिखी थी. 16 साल की उम्र में उनकी पहली लघुकथा प्रकाशित हुई. टैगोर संभवत: दुनिया के इकलौते ऐसे शख्स हैं जिनकी रचनाएं 2 देशों का राष्ट्रगान बनीं. भारत का राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ और बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ टैगोर की ही रचनाएं हैं. रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने जीवनकाल में 2200 से भी ज्यादा गीतों की रचना की.
अब तक भारत से संबंधित दस लोगों को अलग अलग वर्गों में नोबेल पुरस्कार मिल चुका है. ये हैं - रविंद्रनाथ टैगोर साहित्य में, हरगोविंद खुराना को मेडिसिन के क्षेत्र में, सीवी रमण भौतिकी के क्षेत्र में, वीएएस नायपॉल साहित्य के क्षेत्र में, वेंकट रामाकृष्णन को केमिस्ट्री के क्षेत्र में, मदर टेरेसा के शांति के क्षेत्र में, सुब्रहमण्यम चंद्रशेखर, कैलाश सत्यार्थी को शांति के क्षेत्र में, आर के पचौरी, अमर्त्य सेन और अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया जा चूका है.