7000 करोड़ के ठेके को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भिड़े टाटा और अडानी, जानिए कौन जीता
23 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन (MERC) द्वारा अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को 7000 करोड़ के ट्रांसमिशन कॉन्ट्रैक्ट सौंपे जाने को सही ठहराया है.
टाटा ग्रुप
की एक कंपनी को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अडानी ग्रुप की एक कंपनी से हार का सामना करना पड़ा है. टाटा पावर ने अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को एक 7000 करोड़ रुपये का ट्रांसमिशन का लाइसेंस दिए जाने को चुनौती दी थी.23 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन (MERC) द्वारा अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को 7000 करोड़ के ट्रांसमिशन कॉन्ट्रैक्ट सौंपे जाने को सही ठहराया है.
इस फैसले के साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने टाटा पावर की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने इस कॉन्ट्रैक्ट को चुनौती दी थी. इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने अपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी (Aptel) द्वारा जारी आदेश को सही ठहराया है.
अप्रैल में, टाटा पावर ने Aptel के उस आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें मार्च 2021 में अडानी इलेक्ट्रिसिटी को नामांकन के आधार पर 7,000 करोड़ रुपये का ट्रांसमिशन लाइसेंस देने के MERC के फैसले को बरकरार रखा गया था.
दरअसल, एमईआरसी ने मार्च 2021 में अडानी को 400 kV MSETCL कुदुस और 220 kV AEML आरे EHV स्टेशन के बीच 1000 मेगावाट (MW) HVDC (VSC आधारित) लिंक स्थापित करने के लिए एक ट्रांसमिशन लाइसेंस प्रदान किया था.
इसके बाद, टाटा पावर ने यह आरोप लगाते हुए Aptel का रुख किया कि लाइसेंस देने से पहले टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया नहीं अपनाई गई थी. इस आधार पर टाटा पावर ने कहा था कि अदालत के 93 पेज के आदेश के अनुसार, यह पूरी तरह से जनहित और वैधानिक जनादेश के विपरीत था.
हालांकि, 18 फरवरी, 2022 के अपने आदेश में Aptel ने MERC के 21 मार्च, 2021 के आदेश के खिलाफ टाटा पावर की अपील को खारिज कर दिया था.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि विद्युत अधिनियम राज्यों को इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम को विनियमित करने के लिए पर्याप्त लचीलापन प्रदान करता है, जिसमें उपयुक्त राज्य आयोगों के पास टैरिफ निर्धारित करने और विनियमित करने की शक्ति होती है.
उन्होंने आगे कहा कि विद्युत अधिनियम, 2003 (The Electricity Act 2003) राज्य सरकारों को टैरिफ के निर्धारण और विनियमन से दूर करने की मांग करता है और ऐसी शक्ति को पूरी तरह से उपयुक्त आयोगों के दायरे में रखता है.
Aptel ने इस साल फरवरी में कहा था कि विद्युत अधिनियम की धारा 62 के तहत टैरिफ मोड रूट को विनियमित करने के MERC के फैसले को गलत, विकृत या अनुचित नहीं कहा जा सकता है. टाटा पावर ने अपनी याचिका में कहा था कि Aptel का आदेश गलत था और इसलिए इसे खारिज किया जा सकता है.
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Edited by Vishal Jaiswal