TATA ने खरीदा Ford का गुजरात प्लांट, जानिए रतन टाटा और Ford का वो खास किस्सा
रतन टाटा के स्वामित्व वाली TATA Motors की सहायक कंपनी Tata Passenger Electric Mobility Limited (TPEML) ने गुजरात के सानंद स्थित Ford Motors के कार मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को खरीद लिया है. इसके लिये बाकायदा गुजरात सरकार से अप्रुवल भी मिल चुका है.
जैसा कि बीते महीने, अप्रैल 2022 में अमेरिका की दिग्गज कार कंपनी Ford Motors ने भारत से अपना बिजनेस समेट लिया. कंपनी ने इसकी घोषणा पिछले साल ही कर दी थी. अब ठीक एक महीने बाद, रतन टाटा के स्वामित्व वाली TATA Motors की सहायक कंपनी Tata Passenger Electric Mobility Limited (TPEML) ने गुजरात के सानंद स्थित Ford Motors के कार मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को खरीद लिया है. इसके लिये बाकायदा गुजरात सरकार से अप्रुवल भी मिल चुका है. TPEML और Ford India Private Limited (FIPL) के बीच हुई इस डील को लेकर गुजरात कैबिनेट द्वारा अनापत्ति प्रमाण (no-objection certificate) पत्र पहले ही जारी किया जा चुका है.
TATA Group की फर्म द्वारा एक्सचेंज फाइलिंग में दी गई जानकारी के अनुसार, "Tata Motors Ltd की सहायक कंपनी टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड (TPEML) और Ford India Private Limited (FIPL) ने गुजरात सरकार (GoG) के साथ FIPL के सानंद स्थित व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग युनिट के अधिग्रहण के लिए एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए हैं."
इस अधिग्रहण में भूमि और भवन, व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट, मशीनरी और उपकरण शामिल होंगे और FIPL सानंद के व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग कार्यों के सभी कर्मचारियों का स्थानांतरण, निश्चित समझौतों पर हस्ताक्षर और अप्रुवल के अधीन होगा. FIPL पावरट्रेन युनिट की भूमि और भवनों को TPEML से पट्टे पर देकर अपनी पावरट्रेन निर्माण सुविधाओं का संचालन करेगा.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, TPEML प्रति वर्ष 300,000 युनिट्स बनाने की क्षमता रखता है, जो 400,000 से अधिक युनिट्स तक बढ़ाया जा सकेगा. अगले कुछ हफ्तों में TPEML और FIPL के बीच निश्चित लेनदेन समझौतों पर हस्ताक्षर करने के बाद समझौता ज्ञापन का पालन किया जाएगा.
रिपोर्ट्स में यह भी बताया जा रहा है कि टाटा मोटर्स इस प्लांट में तकनीकी सुधार और जरूरत के हिसाब से बदलाव करने के बाद यहां इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन करेगी.
जब TATA Group बेचना चाहता था कार डिविजन
1998 में टाटा मोटर्स ने कार बनाने का फैसला किया था. साल के आखिर में टाटा इंडिका (Tata Indica) लॉन्च हो गई. ये पहली मॉडर्न कार थी जिसे किसी भारतीय कंपनी ने डिजाइन किया. लेकिन कार मार्केट की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई. इसके बाद रतन टाटा ने कार डिविजन बेचने का फैसला किया. और तब Ford ने इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई.
Ford के मालिक बिल फोर्ड ने की थी बेइज्जती
साल 1999 में कार मैन्युफैक्चरिंग में घाटा खाने के बाद, टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा अपने कार डिवीजन को बेचने के लिए फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड (Bill Ford) से मिलने के लिए अमेरिका स्थित फोर्ड हेडक्वार्टर डेट्रॉयट पहुंचे थे. तीन घंटे की उस मीटिंग में फोर्ड के चेयरमैन और अन्य लोगों ने रतन टाटा के साथ बड़ा अजीब व्यवहार किया. बिल फोर्ड ने तो यह तक कह दिया था कि रतन टाटा को कार और कार निर्माण के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं है. इन्हें कार डिवीजन शुरू ही नहीं करना चाहिए थी. बिल फोर्ड ने कहा था कि टाटा के कार डिवीजन को खरीदकर फोर्ड उन पर एहसान कर रहा है.
वक्त बदला, TATA Group ने खरीदी JLR
इस घटना के नौ साल बाद 2008 में फोर्ड दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई. तब रतन टाटा Ford के लिए संकटमोचक बनकर आगे आए और बतौर संजीवनी टाटा ने फोर्ड का लग्जरी ब्रांड जगुआर-लैंडरोवर (JLR) खरीदने का फैसला किया. इस डील को पूरा करने के लिए फोर्ड के अधिकारी बॉम्बे हाउस आए थे. सौदा 2.3 अरब डॉलर (उस समय 9300 करोड़ रुपए) में हुआ. तब बिल फोर्ड ने टाटा से कहा- ‘जेएलआर खरीदकर आप हम पर बहुत बड़ा अहसान कर रहे हैं.’ दरअसल जेएलआर से फोर्ड को भारी नुकसान हो रहा था. कुछ ही साल में टाटा जेएलआर को मुनाफे में ले आए.