नई आयकर व्यवस्था के साथ कौन से डिडक्शंस का ले सकते हैं फायदा, ये है डिटेल
बजट 2023 में व्यक्तिगत आयकर को लेकर कुछ बड़ी घोषणाएं हुईं. लेकिन इन सभी का फायदा नई वैकल्पिक टैक्स व्यवस्था तक ही सीमित है.
सरकार की ओर से 1 अप्रैल 2020 को नई वैकल्पिक आयकर व्यवस्था (New Optional Income Tax Regime) की घोषणा की गई थी. यह व्यवस्था पुरानी परंपरागत आयकर व्यवस्था से अलग है. लेकिन इसके आने के बाद पुरानी कर व्यवस्था को खत्म नहीं किया गया है. इस तरह वर्तमान में करदाता के पास विकल्प है कि वह नई या पुरानी आयकर व्यवस्था में से चुनाव कर सके. उसके बाद करदाता पर चुनी गई व्यवस्था में मौजूद टैक्स स्लैब्स के आधार पर आयकर लगेगा.
बजट 2023 (Union Budget 2023) में व्यक्तिगत आयकर (Personal Income Tax) को लेकर कुछ बड़ी घोषणाएं हुईं. लेकिन इन सभी का फायदा नई वैकल्पिक टैक्स व्यवस्था तक ही सीमित है. बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने व्यक्तिगत आयकर को लेकर जो अहम घोषणाएं कीं, उनमें से एक घोषणा नई कर व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब्स में बदलाव की भी रही. 1 अप्रैल 2023 से शुरू होने वाले वित्त वर्ष 2023-24 से नई व्यवस्था में टैक्स स्लैब्स इस तरह होंगे...
0 से 3 लाख रुपये- निल
3 से 6 लाख रुपये- 5%
6 से 9 लाख रुपये- 10%
9 से 12 लाख रुपये- 15%
12 से 15 लाख रुपये- 20%
15 लाख से ऊपर- 30%
इन घोषणाओं के पीछे सरकार का मकसद नई आयकर व्यवस्था को आकर्षक बनाना है. लेकिन केवल टैक्स स्लैब्स के आधार पर नई आयकर व्यवस्था को आंकना समझदारी भरा फैसला नहीं है. यहां एक बात पर ध्यान देने की जरूरत है और वह यह कि अगर व्यक्ति या HUF, पुरानी परंपरागत आयकर व्यवस्था के साथ जाता है तो वह आयकर अधिनियम के चैप्टर VIA के तहत उपलब्ध विभिन्न डिडक्शंस जैसे सेक्शन 80C, 80D, 80TTB, 80E, 80G आदि का फायदा लेकर अपनी टैक्स देनदारी को घटा सकता है. लेकिन आयकर अधिनियम के सेक्शन 115 BAC के तहत नई आयकर व्यवस्था के साथ ऐसा नहीं है. नई कर व्यवस्था में करदाता को केवल गिने-चुने टैक्स डिडक्शंस का ही फायदा मिल रहा है.
कौन से हैं वे डिडक्शन
सेक्शन 80CCD (2)
https://www.incometax.gov.in/ पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, नई आयकर व्यवस्था के साथ आयकर अधिनियम के चैप्टर VIA के तहत केवल एक ही डिडक्शन का फायदा मौजूद है. वह डिडक्शन है सेक्शन 80CCD (2) में मिलने वाला टैक्स डिडक्शन. इस सेक्शन के माध्यम से अगर वेतनभोगी कर्मचारी के NPS खाते में एंप्लॉयर योगदान करता है, तो कर्मचारी अपने NPS खाते में एंप्लॉयर की ओर से किए जाने वाले योगदान पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है.
दरअसल NPS के अंतर्गत दो तरह के खाते खुलते हैं- Tier-I और Tier-II. Tier-I एक रिटायरमेंट अकाउंट होता है, वहीं Tier-II एक वॉलंटरी अकाउंट है. Tier-II खाते में कोई भी व्यक्ति अपनी तरफ से निवेश शुरू कर सकता है. किसी वेतनभोगी कर्मचारी का एंप्लॉयर की ओर से खोला गया NPS अकाउंट, Tier-I कैटेगरी के तहत आता है. लेकिन एंप्लॉयर, कर्मचारी की सहमति के बिना उसे NPS सब्सक्राइबर नहीं बना सकता है क्योंकि NPS वॉलंटरी स्कीम है, अनिवार्य नहीं.
एंप्लॉयर के साथ खोले गए कर्मचारी के NPS अकाउंट के मामले में अगर एंप्लॉयर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी, राज्य सरकार या अन्य है, तो वे अकाउंट में कर्मचारी की बेसिक सैलरी+DA का 10 प्रतिशत योगदान देते हैं. वहीं अगर एंप्लॉयर केन्द्र सरकार है तो अकाउंट में उसकी ओर से योगदान, कर्मचारी की बेसिक सैलरी+DA का 14 प्रतिशत रहता है. एंप्लॉयर की ओर से होने वाले इसी योगदान पर वेतनभोगी NPS सब्सक्राइबर सेक्शन के तहत डिडक्शन क्लेम कर सकता है.
नए वित्त वर्ष से स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा
बजट 2023 में ऐलान किया गया कि अब सैलरीड क्लास और पेंशनर करदाता नई वैकल्पिक टैक्स व्यवस्था में भी 50000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) का फायदा ले सकेंगे. यानी नए वित्त वर्ष 2023-24 से स्टैंडर्ड डिडक्शन भी नई आयकर व्यवस्था के साथ मौजूद रहेगा. अभी तक स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा केवल पुरानी परंपरागत आयकर व्यवस्था के साथ ही मिलता है. स्टैंडर्ड डिडक्शन एक तय रकम होती है. इसे कोई भी टैक्सपेयर अपनी ग्रॉस टोटल सालाना इनकम से सीधे-सीधे घटा सकता है.
बजट 2018 में 15000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट को खत्म कर, सैलरीड इंडीविजुअल्स के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. उस वक्त इसकी लिमिट 40,000 रुपये रखी गई. इसके बाद बजट 2019 में स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को 40000 रुपये से बढ़ाकर 50000 रुपये किया गया.
अग्निवीर कॉर्पस फंड में योगदान पर डिडक्शन
केन्द्र सरकार ने भारतीय थल सेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती के लिए जून 2022 में एक नई स्कीम 'अग्निपथ योजना' की घोषणा की थी. इसके तहत संविदा के आधार पर शॉर्ट टर्म के लिए सैनिकों की भर्ती की जाएगी, जिन्हें ‘अग्निवीर’ (Agniveer) कहा जाएगा. सैनिकों की भर्ती शुरू में 4 साल की अवधि के लिए होगी. अग्निवीरों को तीन सेनाओं में लागू जोखिम और कठिनाई भत्ते के साथ एक आकर्षक अनुकूलित मासिक पैकेज दिया जाएगा. 4 साल की कार्यावधि के पूरा होने पर, अग्निवीरों को एकमुश्त 'सेवा निधि' पैकेज का भुगतान किया जाएगा.
वित्त मंत्री ने बजट 2023 में घोषणा की है कि अग्निवीर कॉर्पस फंड/सेवा निधि में किए जाने वाले भुगतान या डिपॉजिट पर एक अग्निवीर, आयकर कानून में नए प्रस्तावित सेक्शन 80CCH के तहत डिडक्शन क्लेम कर सकेगा. यह डिडक्शन अग्निवीर कॉर्पस फंड में अग्निवीर की ओर से किए जाने वाले संपूर्ण डिपॉजिट के साथ-साथ, केन्द्र सरकार की ओर से फंड में किए जाने वाले योगदान पर भी लिया जा सकेगा.
बजट मेमोरेंडम के अनुसार, हर अग्निवीर को अग्निवीर कॉर्पस फंड में अपने मंथली कस्टमाइज्ड अग्निवीर पैकेज का 30 प्रतिशत देना होगा. फंड में इतना ही योगदान सरकार की ओर से भी किया जाएगा. इसके अलावा सरकार, अग्निवीर के अकाउंट में जमा कॉन्ट्रीब्यूशंस पर समय-समय पर स्वीकृत ब्याज का भी भुगतान करेगी. 4 वर्ष का इंगेजमेंट पीरियड पूरा होने के बाद अग्निवीरों को एकबारगी 'सेवा निधि' पैकेज का भुगतान किया जाएगा. इसमें ब्याज सहित उनका योगदान और ब्याज सहित सरकार का योगदान शामिल होगा. सेवा निधि को आयकर से छूट दी जाएगी.
पुरानी आयकर व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब्स
बजट में व्यक्तिगत आयकर से जुड़े ये ऐलान भी हुए
- नई आयकर व्यवस्था के तहत रिबेट के साथ 7 लाख रुपये तक की टैक्सेबल इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना होगा.
- नई टैक्स व्यवस्था के तहत अब हाइएस्ट सरचार्ज रेट को 37 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत किया गया है.
- गैर-सरकारी सैलरीड इंप्लॉइज के रिटायरमेंट के मामले में लीव इनकैशमेंट पर टैक्स एग्जेंप्शन की लिमिट को बढ़ाकर 25 लाख रुपये किया जाएगा.