दुनिया में सबसे ज्यादा कमाई वाली तीसरी कंपनी बनी टीसीएस
ब्रांड वैल्यू के हिसाब से विश्व की आइटी सर्विस प्रोवाइडर्स कंपनियों में एक टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) अमेरिकी कंपनी डीएक्ससी को पीछे छोड़ते हुए ऊंची कमाई के मामले में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गई है। फिलहाल, नंबर एक पर अमेरिकी कंपनी आइबीएम और दूसरे नंबर पर एसचेंर है।
आईटी कंपनियों ने लोगों की जिंदगी बेहतर करने के साथ-साथ लोगों के जीने का तरीका भी बदल दिया है। तभी तो आज दुनिया की टॉप 10 आईटी कंपनियों की ब्रांड वैल्यू अरबों में है। आईटी कंपनियों की देन इस तेजी से बढ़ते टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के ही कारण अब लोगों की सुबह की शुरुआत वॉट्सऐप और फेसबुक से होती है। आईटी कंपनी यानी कि सॉफ्टवेयर कंपनी दो तरह की होती हैं एक तो सर्विस बेस्ड कंपनियां और दूसरी प्रोडक्ट बेस्ड कंपनियां।
ऊंची कमाई के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी आइबीएम है, जिससकी सालाना आय करीब 7500 करोड़ डॉलर है। इसके बाद एसचेंर का नंबर आता है। अमेरिकी कंपनी डीएक्ससी टेक्नोलॉजी को कमाई के मामले में पीछे छोड़ते हुए अब भारत की टीसीएस (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज) तीसरे नंबर पर आ गई है। इस कंपनी की स्थापना 1968 में टाटा ग्रुप के द्वारा की गई थी। जेआरडी टाटा इसके पहले चेयरमैन थे।
45 देशों में लगभग 36,000 कर्मचारियों की एक फैाज यहां पर काम करती है। पिछले क्वार्टर के हिसाब से इस कंपनी की कुल रेवेन्यु 116,772 करोड़ है। गौरतलब है कि आईटी सेवाओं में भारतीय कंपनियों की विश्व में कुल हिस्सेदारी 25 फीसदी हो गई है, जिसमें अकेले भारत की हिस्सेदारी 24.6 फीसदी है। जापान और फ्रांस की इसमें हिस्सेदारी छह फीसदी और 8.6 फीसदी हो गई है। अभी भी इस क्षेत्र में अमेरिकी कंपनियों का सबसे ज्यादा हिस्सा करीब 57.6 फीसदी है।
कंपनियों की ब्रांड वैल्यू बताने वाली फर्म 'ब्रांड फाइनेंस' की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की टॉप-10 आइटी सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों में अमेरिकी आईटी कंपनी एक्सेंचर का पहला स्थान रहा है। पिछले साल 2018 में यह कंपनी दूसरे नंबर पर पहुंच गई थी। अब दूसरे स्थान पर आईबीएम, तीसरे पर टीसीएस, चौथे पर कॉग्निजेंट, पांचवें पर इंफोसिस, छठे पर केपजेमनी, सातवें पर डीएक्ससी, आंठवें पर एचसीएल, नौवें पर एनटीटी डेटा और दसवें पर विप्रो हैं।
टीसीएस की ब्रांड वैल्यू में 23 फीसदी, इंफोसिस में 8 फीसदी और विप्रो में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। अमेरिकी सॉफ्टवेयर कंपनी कॉग्निजेंट का मुख्यालय तो न्यू जर्सी में स्थित है, लेकिन इसके सबसे ज्यादा कर्मचारी चेन्नई में हैं। कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और कोचीन में भी इसके काफी कर्मचारी हैं। इसकी वजह भारत में कंपनियों को स्किल्ड वर्कफोर्स, विश्वस्तरीय सुविधाएं और इन्फ्रास्ट्रक्चर है।
आईटी सर्विसेज देने वाली दुनिया की 10 सबसे ज्यादा वैल्यूएबल कंपनियों में चार भारत की हैं। आईटी सर्विस प्रोवाइडर भारत की टीसीएस अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गई है। राजेश गोपीनाथन के टीसीएस का सीईओ बनने के बाद कंपनी लगातार तेजी से छलांग रही है। इसी वजह उनका वेतन 28 फीसदी बढ़कर 16 करोड़ रुपये हो चुका है। टीसीएस की आय 2090 करोड़ डॉलर (करीब 1,46,300 करोड़ रुपये) हो गई है। इस दौरान डीएक्ससी की आय 2070 करोड़ डॉलर (करीब 1,44,900 करोड़ रुपये) रही है। इस साल 2019 की शुरुआत में टीसीएस मार्केट वैल्यू के हिसाब से देश की सबसे बड़ी कंपनी गई थी। अब कमाई के मामले में वह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी हो चुकी है।
भारत की आईटी सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों में इंफोसिस 1981 में पुणे में सात इंजीनियरों के साथ शुरू की गई थी। अब इसका हेडक्वार्टर बैंगलोर में है और 1993 में यह लिस्टेड कंपनी बन गई थी। इसका कुल राजस्व लगभग 67,915 करोड़ है, जिसमें 14,347 करोड़ की कुल शुद्ध आय है। इसी तरह विप्रो कंपनी की स्थापना अजीम प्रेमजी के द्वारा की गई थी जो कि आईटी बिजनेस में 1981 में शामिल हुई। कंपनी की कुल शुद्ध आय 8,49 9 करोड़ है।
एचसीएल की स्थापना 1976 में शिव नाडर ने की थी। आज अपने 115,000 से अधिक कर्मचारियों के साथ ये कंपनी 30 से अधिक देशों में काम करती है। टेक महिंद्रा को पहली बार 1986 में महिंद्रा समूह और ब्रिटिश टेलिकॉम के बीच संयुक्त वेंचर के रूप में स्थापित किया गया था। कंपनी 18 अरब डॉलर महिंद्रा ग्रुप का हिस्सा है और आज 90 देशों में 117,000 लोगों का कार्यबल है। वर्ष 1997 में स्थापित लार्सन एंड टुब्रो पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, जिसके 23 से अधिक देशों में 20,000 से अधिक कर्मचारियों का एक मजबूत कार्यबल है। माइंडट्री माइंडट्री का गठन 1999 में हुआ था। अब यह भी भारतीय आईटी क्षेत्र में एक अग्रणी कंपनी बन चुकी है। इनके अलावा इस कतार में एमफेसिस, हेक्सावेयर टेक्नोलॉजी आदि के भी नाम उल्लेखनीय हैं।
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