Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

दुनिया ने पहली बार जब सरपट घोड़ा दौड़ती उस हिज़ाब वाली लड़की को देखा!

दुनिया ने पहली बार जब सरपट घोड़ा दौड़ती उस हिज़ाब वाली लड़की को देखा!

Thursday August 08, 2019 , 5 min Read

"अपने ऐक्शन रोल के लिए घुड़सवारी सीखतीं ग्लैमरस सनी लियोनी की तरह नहीं, बल्कि रियल लॉइफ में अब लड़कियां हॉर्स रेस में हिस्सा लेकर दुनिया को चौंका रही हैं। उन्ही में एक ब्रिटेन की मुस्लिम टीनेजर खदीजा मेल्लाह, जो हिज़ाब पहन कर अपनी रोमांचक घुड़सवारी से नए जमाने की लड़कियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं।"



khadija

हिज़ाब पहन कर अपनी रोमांचक घुड़सवारी से नए जमाने की लड़कियों के लिए प्रेरणा बनीं खदीजा मेल्लाह (फोटो: katibin)



अपनी आने वाली फिल्म में ऐक्शन रोल के लिए सनी लियोनी के घुड़सवारी सीखने की ग्लैमरस सनसनी तो सरपट सुर्खियों में आ जाती है, यह भी पूरी दुनिया को पता रहता है कि ब्रिटेन में हर साल एक अगस्त को मैग्नोलिया कप हॉर्स रेस में सिर्फ महिलाएं भाग लेती हैं, लेकिन रियल लाइफ में दृष्टिहीन होने के बावजूद घोड़े दौड़ाने वाली पदक विजेता निकोला नेलर अथवा हिजाब पहन कर हॉर्स रेसिंग में इतिहास रचने वाली मुस्लिम टीनेजर खदीजा मेल्लाह वैसे सिनेमाई रोमांच के साथ लोगों के दिलो में जगह नहीं बना पाती हैं।


बुलंद हौसले वाली घुड़सवार निकोला नेलर दोनों आंखों की रोशनी चले जाने के बावजूद घुड़सवारी करती हैं। बचपन में घुड़सवारी के दौरान ही उनकी एक आंख की रोशनी चली गई थी। बाद में दूसरी भी दृष्टिबाधित हो गई। कुछ साल पहले एक दिन जब उन्होंने अपनी बेटी को घुड़सवारी करते देखा तो फिर से हौसला जागा और पूरी तरह दृष्टिहीन होने के बावजूद वह दोबारा घुड़सवारी करने लगी हैं। इतना ही नहीं, वह राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीतने के बाद अब अंतरराष्ट्रीय घुड़सवारी विजेता बनने की तैयारी में हैं। ऐसी ही करिश्माई शख्सियत खदीजा नए जमाने की लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर सामने आई हैं।    


ब्रिटेन के मुस्लिम महिला स्पोर्ट फाउंडेशन के मुताबिक, महिला ब्रिटिश मुस्लिम जॉकी की संख्या न के बराबर हैं। अब पहली बार खदीजा इतने सारे लोगों को रिप्रेजेंट कर रही हैं। ग्लोरियस गुडवुड रेसकोर्स तो पहली बार हिजाब पहनकर रेस करने वाली अठारह साल की खदीजा के करिश्मे का गवाह बना है। वह लंबे समय से घुड़सवारी करती आ रही हैं लेकिन इससे पहले उन्हे कोई जानता तक नहीं था। अब वह हॉर्स रेसिंग का इतिहास रचने के बाद अचानक पूरे विश्व में चर्चा का विषय बन गई हैं। वह ब्रिटेन की पहली महिला हैं, जिन्होंने हिजाब पहनकर घुड़सवारी की बड़ी प्रतियोगिता में भाग लिया और 25 हजार लोगों के सामने हॉर्स रेसिंग का बुलंद प्रदर्शन किया है। खदीजा जब 11 साल की थीं, तब से घुड़सवारी कर रही हैं। इस साल अप्रैल में उनकी पहली और 01 अगस्त को दूसरी हॉर्स रेस रही है। अब जॉकी उद्योग इस नए चेहरे का गर्मजोशी से स्वागत कर रहा है।




खदीजा ने पहली बार ब्रिक्सटन के एबोनी हॉर्स क्लब में ज्वॉइन किया था, वह अपनी मम्मी के साथ पास की मस्जिद में गई थीं, तभी उन्होंने इस क्लब देखा था फिर उसे ज्वॉइन कर लिया था। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनका हॉर्स रेसिंग में कोई भविष्य होगा, लेकिन अब जब उन्हे यहां मैदान में ट्रेनिंग के बाद उतारा गया और वह पिछले कुछ हफ्तों से राइडिंग कर रही हैं, तो उन्हे अपने इस काम से प्यार हो गया है। अब तो वह इसी में अपना भविष्य देख रही हैं। खदीजा कहती हैं, लोगों की यह धारणा रही है कि हम सपने नहीं देख सकते। हमें बताया जाता है कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं, जो बिल्कुल सही नहीं है। वह बचपन से ही ख्वाब देखती रही हैं कि जीवन में ऐसी बनें, जिसे लोग जानें। अब मुस्लिम लड़कियां उनकी तरफ उम्मीद से देख रही हैं। उन्हे लगातार मुस्लिम लड़कियों के मैसेज मिल रहे हैं। उनके भेजे संदेशों को पढ़कर वह बहुत खुश हो रही है। उनसे लड़कियां कह रही हैं कि उन्हें प्रेरणा मिल रही है। यह सब उनके लिए सुखद अनुभव है।


अभी चार महीने पहले त्रिशूर (केरल) में खदीजा जैसी ही साहसी दसवीं की छात्रा कृष्णा को  स्कूली ड्रेस में घुड़सवारी करते जब महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने देखा तो ये ट्वीट करने से खुद को रोक न सके कि,


'प्रतिभाशाली! लड़कियों की शिक्षा आगे बढ़ रही है...एक क्लिप जो विश्व स्तर पर वायरल होने के योग्य है. यह भी अतुल्य भारत का उदाहरण है। क्या त्रिशूर में कोई इस लड़की को जानता है? मुझे अपनी स्क्रीन सेवर के रूप में उसकी और उसके घोड़े की तस्वीर चाहिए. वह मेरी हीरो है..उसके स्कूल जाने के सीन ने मुझे भविष्य के लिए आशा से भर दिया।'


कृष्णा बताती है कि वह रोज़ाना घोड़े पर स्कूल नहीं जाती है। केवल कुछ खास दिनों में या जब बोर होने लगती है, तभी या फिर परीक्षा के दिनों में घुड़सवारी करती है। एक दिन उसके एक मित्र ने उससे कहा था कि घुड़सवारी करना कोई आसान काम नहीं है, और किसी लड़की के लिए तो संभव ही नहीं, झांसी की रानी को छोड़ कर। तभी उसने ठान लिया कि वह जरूर घुड़सवारी कर दिखाएगी। त्रिशूर के एक मंदिर के पुजारी की बेटी कृष्णा तीन वर्षों से घोड़ों की सवारी कर रही है। वह घुड़सवारी क्लब, त्रिशूर की सक्रिय सदस्य भी है।


केरल की कृष्णा तरह ही जोधपुर (राजस्थान) की डॉ पूजा गहलोत की भी घुड़सवारी की रोमांचक दास्तान है। उनको मारवाड़ी घोड़ों के साथ रहने का शौक अपने पिता किशोर सिंह से विरासत में मिला है। वर्ष 1997 में पहली बार घुड़सवारी में कुछ कर दिखाने का ज़ज़्बा उनमें उस वक़्त पैदा हुआ था, जब 'ग्लोबल राइड ऑफ यूके' के मिस्टर जेम्स ग्रीनवुड ने अपने मिशन 'वर्ल्ड टूर ऑन हॉर्स बैक' के लिए जोधपुर से मारवाड़ी नस्ल की एक घोड़ी 'कालिका' को  खरीदा था। 'होर्सेज इन इण्डियाः इकोनोमिक एण्ड बिजनेस अपोरचुनीटिज' पर पीएचडी पूजा कहती हैं, अब तो मारवाड़ी या मालानी नस्ल के घोड़े विलुप्त होते जा रहे हैं। इसी तरह घुड़सवार लड़कियों में एक बड़ा नाम मध्य प्रदेश की सुदीप्ति हजेला का भी है, जो वर्ल्ड यूथ ड्रेसाज में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं।