जम्मू-कश्मीर के इन 3 इंजीनियरों ने नौकरी छोड़ शुरू किया खास कैफे, लोगों तक पहुंचा रहे हैं 'डोगरा व्यंजन'
इस तिकड़ी द्वारा खोला गया द्वारा ‘द कलारी फैक्ट्री’ नाम का यह कैफे आज खास तौर पर ‘डोगरा कल्चर’ को प्रमोट करने के लिए जाना जा रहा है।
"इस तिकड़ी द्वारा खोला गया ‘द कलारी फैक्ट्री’ नाम का यह कैफे आज खास तौर पर ‘डोगरा कल्चर’ को प्रमोट करने के लिए जाना जा रहा है। यूं तो इस कैफे में तमाम स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जाते हैं, लेकिन यहाँ मिलने वाला ‘कलारी’ सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह एक हिमालयन चीज़ है, जिसे पकाया गया होता है।"
जम्मू-कश्मीर के उधमपुर के तीन इंजीनियर एक बड़े ही अनूठी पहल को अपनाते हुए आज क्षेत्रीय खाने और कल्चर को प्रमोट करते हुए पीएम मोदी के महत्वाकांक्षी मिशन ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को एक नई ऊंचाई देने का काम कर रहे हैं।
इतना ही नहीं, इन तीन इंजीनियरों ने अपने इस काम के जरिये प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 20 से अधिक लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराने का काम किया है।
जब कोरोना महामारी ने देश को अपनी चपेट में लिया और पीएम मोदी ने देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की, तभी सितंबर महीने में इन तीनों ने एमएनसी में अपनी बेहतरीन वेतन वाली नौकरियों को अलविदा कहते हुए अपना खुद का एक कैफे खोलने का निर्णय लिया था।
‘द कलारी फैक्ट्री’ कैफे
इस तिकड़ी द्वारा खोला गया ‘द कलारी फैक्ट्री’ नाम का यह कैफे आज खास तौर पर ‘डोगरा कल्चर’ को प्रमोट करने के लिए जाना जा रहा है। यूं तो इस कैफे में तमाम स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जाते हैं, लेकिन यहाँ मिलने वाला ‘कलारी’ सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह एक हिमालयन चीज़ है, जिसे पकाया गया होता है।
इस खास चीज़ को गाय के दूध से तैयार किया जाता है, जिसमें मोज़ेरेला चीज़ जैसा स्वाद और खिंचावट होती है। शुरुआत में, कैफे में कलारी चीज़ को बिना किसी ब्रेड के साथ परोसा जाता था, लेकिन जैसे-जैसे व्यवसाय तेजी से बढ़ा, कैफे ने ग्राहकों कलारी सैंडविच सर्व करने शुरू कर दिये।
इस खास सैंडविच में बेकरी ब्रेड के दो स्लाइस के बीच में चीज़ रखा गया होता है, जिसे हल्का फ्राई किया गया होता है। स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें इमली की चटनी, मिर्च पाउडर और नमक भी डाला जाता है।
सिविल इंजीनियरिंग से कैफे बिजनेस
न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कैफे के सह-संस्थापक शुभाम शर्मा ने बताया है कि तीनों सह-संस्थापक दरअसल बचपन के दोस्त हैं और तीनों शुरुआत से ही एक साथ कुछ अनूठा करना चाह रहे थे।
तीनों सह-संस्थापक सिविल इंजीनियर हैं और नौकरी छोड़ने से पहले जम्मू-कश्मीर के बाहर काम कर रहे थे। तीनों ना सिर्फ खुद कुछ नया शुरू करना चाहते थे, बल्कि वह अपने कदम के जरिये अन्य लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराना चाहते थे।
इस प्लान के साथ आगे बढ़ने के लिए तीनों के पास व्यक्तिगत तौर पर अलग-अलग आइडिया भी थे, हालांकि तीनों ने आपस में चर्चा करते हुए अंततः स्थानीय डोगरा विरासत को आगे ले जाते हुए कलारी खाने को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का फैसला किया।
कैफे का इंटीरियर भी है खास
कैफे के अन्य संस्थापक संदीप अरोड़ा के अनुसार स्थानीय लोग आमतौर पर कलारी को अलग से खाते थे और कभी-कभी इसे सैंडविच में इस्तेमाल करते थे, लेकिन वे कुछ अलग करना चाहते थे। कैफे के जरिये तीनों ने कलारी के 20 से अधिक व्यंजन पेश करने का काम किया है और अब उधमपुर के लोग इसे खूब पसंद कर रहे हैं।
कैफे के इंटीरियर डिजाइन की बात करते हुए संदीप ने बताया है कि कैफे की दीवारों पर स्थानीय कलाकारों की पेंटिंग लगी हुई हैं। दीवार पर लगी ये पेंटिंग डोगरा विरासत को सबके सामने रखती हैं और स्थानीय प्रतिभा को बढ़ावा देने में भी मदद करती हैं। गौरतलब है कि कलाकारों ने इस पेंटिंग को मुफ्त में कैफे को दिया है, जहां इच्छुक ग्राहक कलाकार को पैसे देकर इन पेंटिंग को खरीद भी सकते हैं।
Edited by Ranjana Tripathi