पहाड़ों में बसे इन गाँवों को मिली पालकी एम्बुलेंस, अभी तक बांस के सहारे मरीज पहुँचते थे अस्पताल
देश में आमतौर पर हमारे घरों तक पिज्जा डिलीवर होने में भले ही आधे घंटे से कम का समय लगता हो लेकिन जरूरत पड़ने पर एम्बुलेंस का समय से लोगों तक पहुंच जाना आज भी आम नहीं है। ऐसे में अगर हम देश के दूर-दराज हिस्सों में बसे गांवों की बात करें तो वहाँ पर एम्बुलेंस जैसी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं आज भी शायद ही संभव हों।
इस बीच देश के ऐसे ही एक दूर-दराज इलाके में स्थित गाँव के लोगों की स्वास्थ्य सुविधाओं का ख्याल रखने के उद्देश्य से स्थानीय प्रशासन ने पहली बार ‘पालकी एम्बुलेंस’ सेवा की शुरुआत की है। ‘पालकी एम्बुलेंस’ की शुरुआत के साथ ही अब स्थानीय गांवों में रहने वाले लोगों के बीच खुशी का माहौल देखा जा रहा है।
बेहाल थी स्वास्थ्य सेवा
हम बात कर रहे हैं पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले की, जहां रिमोट गांवों में रह रहे स्थानीय लोगों को ‘पालकी एम्बुलेंस’ की सौगात मिली है। बक्सा हिल्स क्षेत्र के लोगों को पहली बार इस तरह की अनूठी स्वास्थ्य सुविधा मिली है। मालूम हो कि यह क्षेत्र भारत-भूटान सीमा के पास स्थित है और पहाड़ियों से घिरा हुआ है।
इसके पहले जब क्षेत्र में किसी के घायल होने पर या गर्भवती महिलाओं को आपातकाल में अस्पताल ले जाने की जरूरत पड़ती थी तब स्थानीय लोग बांस के डंडों में कपड़ा बांध कर मरीज को पहाड़ी क्षेत्र से समतल क्षेत्र तक लाने का काम किया करते थे, जो जोखिम भरा भी होता था, हालांकि अब पालकी एम्बुलेंस के जरिये स्थानीय लोगों को थोड़ी राहत मिल सकती है।
ऐसी है ये ‘पालकी एम्बुलेंस’
पालकी एम्बुलेंस का निर्माण लकड़ी के द्वारा किया गया है और इसके स्ट्रक्चर को एलुमिनियम फॉइल से तैयार किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक पालकी एम्बुलेंस के निर्माण में 40 हज़ार रुपये का खर्च आया है, जबकि मरीज को इसमें लिटा कर इसे समतल भाग तक लाने के लिए चार लोगों की जरूरत पड़ेगी।
इस खास एम्बुलेंस में फ़र्स्ट एड किट भी रखी गई है। पालकी एम्बुलेंस की शुरुआत के साथ ही आस-पास के पहाड़ी इलाके में स्थित करीब 13 गांवों के लोगों को इसका सीधा फायदा मिल सकेगा। मीडिया से बात करते हुए अलीपुरदौर के जिलाधिकारी सुरेन्द्र कुमार मीणा ने बताया है कि ‘पालकी एम्बुलेंस’ एक स्पेशल कॉन्सेप्ट है।
डीएम के अनुसार पहाड़ी इलाकों में सामान्य एम्बुलेंस सुविधा उपलब्ध कराना संभव नहीं है और इसी के चलते इलाके में ‘पालकी एम्बुलेंस’ कॉन्सेप्ट की शुरुआत की गई है। ‘पालकी एम्बुलेंस’ का संचालन जिला प्रशासन के साथ ही ब्लॉक प्रशासन और फैमिली प्लानिंग ऑफ इंडिया द्वारा किया जा रहा है।
इस काम में मदद कर रहे स्वैच्छिक संगठन ‘फैमिली प्लानिंग’ के महाप्रबंधक तुषार चक्रवर्ती ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि इसके पहले उनके वॉलंटियर्स लंबे समय तक गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को बांस से बने तख्तों पर ले जाते थे, लेकिन अब लोगों को अधिक सुविधाजनक तरीके से स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी।
Edited by Ranjana Tripathi