जैविक खेती से इस किसान ने खड़ा किया 50 करोड़ का कारोबार, जीरे की खेती ने चमकाई किस्मत
विदेशों में होती है इनकी फसलों की सप्लाई, किसानों के लिए प्रेरणा बने राजस्थान के योगेश
"लगातार चार साल नौकरी करने के बाद भी तरक्की न नज़र आने पर योगेश ने नौकरी छोड़ने का फैसला कर लिया और जैविक खेती में अपनी किस्मत आजमाने का मन बना लिया। साल 2009 में जैविक खेती की शुरुआत करने वाले योगेश को तब बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वे अपनी शुरुआत कहाँ से करें और इसी मुश्किल को हल करने के लिए उन्होने रिसर्च करनी शुरू कर दी।"
बीते कुछ सालों में जैविक खेती ने किसानों के लिए नए मौके उपलब्ध कराने का काम किया है। आज देश के तमाम कोनों में किसान जैविक खेती के जरिये अपनी आय को कई गुना तक बढ़ा पा रहे हैं, इसी के साथ जैविक खेती के जरिये उगाये गए उत्पाद अंतिम ग्राहक के स्वास्थ्य के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित होते हैं।
राजस्थान के योगेश जोशी इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं, जो आज जैविक खेती के जरिये 50 करोड़ रुपये का सालाना व्यवसाय कर रहे हैं।
राज्य के जलोर जिले के निवासी योगेश आज प्रगतिशील ढंग से किसानों के एक बड़े समूह को भी अपने साथ इसी तरह मुनाफे की दिशा में लेकर आगे बढ़ रहे हैं। मालूम हो कि योगेश और उनके साथ के किसान आज 4 हज़ार एकड़ से अधिक जमीन पर खेती कर रहे हैं।
नौकरी छोड़ शुरू की खेती
मीडिया से बात करते हुए योगेश ने बताया है कि उनके घरवाले दरअसल नहीं चाहते थे कि वे खेती करें। उनके परिवर में भी अधिकतर लोग सरकारी नौकर हैं और इस तरह पिता की मर्जी के साथ आगे बढ़ते हुए योगेश ने कृषि विज्ञान में स्नातक करते हुए जैविक खेती में डिप्लोमा भी किया और इसके बाद वे नौकरी करने लग गए।
लगातार चार साल नौकरी करने के बाद भी तरक्की न नज़र आने पर योगेश ने नौकरी छोड़ने का फैसला कर लिया और जैविक खेती में अपनी किस्मत आजमाने का मन बना लिया।
साल 2009 में जैविक खेती की शुरुआत करने वाले योगेश को तब बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वे अपनी शुरुआत कहाँ से करें और इसी मुश्किल को हल करने के लिए उन्होने रिसर्च करनी शुरू कर दी।
जीरे की खेती ने चमकाई किस्मत
लंबी रिसर्च के बाद योगेश ने यह तय किया कि वे जीरे की खेती करेंगे। एक एकड़ जमीन में शुरुआत करने के साथ ही योगेश को पहली बार में असफलता ही हाथ लगी, हालांकि इसके बाद योगेश ने कृषि विशेषज्ञों से राय लेनी शुरू की, जिसके उन्हें काफी फायदा भी मिला।
योगेश के अनुरोध पर कृषि वैज्ञानिक डॉ. अरुण शर्मा उनके गाँव आए और सभी किसानों को ट्रेनिंग दी, जिसके बाद किसानों ने अगली ही फसल में मुनाफा कमाना शुरू कर दिया। किसानों ने इसी के साथ अपनी खेती का दायरा भी बढ़ा दिया, जबकि अन्य फसलों को भी उगाना शुरू कर दिया।
चला रहे हैं दो कंपनियाँ
करीब 11 साल पहले हुई इस शुरुआत ने अब एक बड़े संगठन का रूप ले लिया है, जहां 3 हज़ार से अधिक किसान उन्नत तकनीक के साथ जैविक खेती कर रहे हैं। योगेश के अनुसार उनके इस समूह से जुड़े हुए 1 हज़ार से अधिक किसान सर्टिफाइड भी हो चुके हैं। योगेश इस समय दो कंपनियों का संचालन कर रहे हैं, जहां एक जरिये वो किसानों को ट्रेनिंग देते हैं, जबकि दूसरे के जरिये उत्पादन और मार्केटिंग का काम देखा जाता है।
योगेश अपने संगठन के जरिये आज जापान की एक बड़ी कंपनी को जीरे के साथ ही सौंफ, धनिया और मेथी आदि निर्यात कर रहे हैं। इसी के साथ उन्होने हाल ही में हैदराबाद की एक कंपनी के साथ 400 टन किनोवा के उत्पादन के लिए भी अनुबंध किया है। योगेश को उनके इस योगदान के लिए केंद्र व राज्य सरकार के कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
योगेश का मानना है,
‘अगर हम किसी भी पेशे में लगातार 1 हज़ार दिनों तक मेहनत करें तो लंबे समय के लिए सफलता अवश्य हासिल होगी।‘
Edited by Ranjana Tripathi