ज़ीरो-वेस्ट कुकिंग कर लोगों के लिए खाना बना रही हैं ये भारतीय शेफ, परोस रही हैं स्वादिष्ट पारसी व्यंजन
खाना पकाने में अक्सर देखा जाता है कि तमाम खाद्य सामग्री इस दौरान बच जाती है जिसे बाद में कचरे में डाल दिया जाता है लेकिन एक भारतीय शेफ इन दोनों ज़ीरो-वेस्ट कुकिंग तरीकों का इस्तेमाल करते हुए खाना बना रही है जिससे खाना बनाते समय खाद्य सामग्री की बर्बादी शून्य होती है। शेफ अनाहिता ढोंडी आज पारसी खाने को रीइनवेंट कर लोगों के साथ ज़ीरो-वेस्ट के साथ स्वादिष्ट खाना परोस रही हैं।
खाने को पकाने के लिए अक्सर शेफ अनाहिता केले के पत्ते आदि का भी इस्तेमाल करती हैं। गौरतलब है कि औरंगाबाद स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट से पढ़ाई करने वाली अनाहिता को महज 23 साल की उम्र में ही एक रेस्टोरेंट में मैनेजर पद की ज़िम्मेदारी मिल गई थी। 30 साल की अनाहिता गुड़गाँव स्थित साइबरहब में हेड शेफ और पार्टनर भी रह चुकी हैं।
लंदन से की पढ़ाई
अनाहिता ने लंदन के ले कार्डन ब्लू से पढ़ाई की है और वहीं पर उन्होने पेस्ट्री और बेकिंग की ट्रेनिंग भी हासिल की है। हालांकि इस दौरान अनाहिता के लिए भारतीय खाने के लिए लगाव भी कम नहीं हुआ। अनाहिता के अनुसार भारतीय व्यंजन पकाने में उन्हें अधिक सुख मिलता है।अनाहिता शुरुआत से ही अपनी माँ की तरह स्वादिष्ट पारसी खाना और खास तौर पर पारसी कुकीज़ पकाना चाहती थीं।
आज अनाहिता एक सेलेब्रिटी शेफ हैं और वे तमाम युवा शेफ के लिए लगातार मेंटर की भूमिका भी अदा करती रहती हैं। अनाहिता की मानें तो एक बेहतरीन शेफ बनने के लिए किसी को भी हर दिन सीखते रहने की जरूरत है और इसी के साथ उन्हें अपनी सीख को अन्य लोगों के साथ लगातार साझा भी करते रहना चाहिए।
घर से मिला हुनर
ज़ीरो-वेस्ट कुकिंग के संबंध में बात करते हुए अपने एक इंटरव्यू में अनाहिता कहती हैं कि जीरो वेस्ट कुकिंग भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है। पारसी समुदाय में पार एडु नामक एक व्यंजन है जहां अंडे को किसी पकवान में तोड़ दिया जाता है और फिर उसे बेक किया जाता है। अनाहिता की दादी के घर पर बचे हुए सभी व्यंजन ऐसे ही खाए जाते थे।
अनाहिता ने इन्हीं सीख को अपने किचन में शामिल कर लिया है। अनाहिता के अनुसार एक पेशेवर किचन में अक्सर बहुत सी खाद्य वस्तुएँ इस्तेमाल नहीं हो पाती हैं और उन्हें बिन (कचरे में डाल दिया जाता है। अनाहिता अब अपने हुनर के जरिये यह सुनिश्चित करने की कोशिश करती हैं कि उनके किचन में कोई भी खाद्य सामग्री बेकार ना जाने पाये।
लिख डाली अपनी किताब
अनाहिता एक किताब भी लिख चुकी हैं और उनके अनुसार यह एक रसोई की किताब पारिवारिक व्यंजनों और खुद के बारे में होने के साथ ही इसमें बहुत सारी कहानियां भी हैं। गौरतलब है कि शुरुआत में लोग उनसे उनकी रेसिपी के बारे में पूछा करते थे अब उन्होने उन सभी को इस किताब में शामिल किया है।
अनाहिता के अनुसार किताब लिखने का आइडिया उसके दिमाग में सालों से था लेकिन अक्सर कुकिंग में व्यस्त होने के चलते उनके लिए यह करना संभव नहीं हो पा रहा था हालांकि अब उन्होने अपनी इस किताब को पूरा कर पाठकों के के सामने पेश कर दिया है।
Edited by Ranjana Tripathi