ये है भारत की पहली ‘कार्बन न्यूट्रल’ पंचायत
क्लाइमेट चेंज के प्रति अपनी प्रतिबध्ता, भारत ने ग्लासगो सम्मलेन (CoP-26) में ‘पंचामृत’ लक्ष्य के तौर पर परिभाषित की थी. जिसके तहत देश में 2030 तक कार्बन एमिशन में एक अरब टन को कम करना, साल 2030 तक ही अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम कर लेना, साल 2030 तक अपनी उर्जा की आवश्यकताओं को 50 प्रतिशत करना और साल 2070 तक भारत को पूरी तरह से कार्बन न्यूट्रल बनाने का संकल्प लिया गया था. ग्लासगो सम्मलेन पेरिस समझौते के लक्ष्य पूर्व औद्योगिक स्तरों की तुलना में वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है.
इसी लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में जम्मू के सांबा जिले का एक गाँव पल्ली पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित होने वाला पहला कार्बन न्यूट्रल पंचायत बन गया है. केंद्र सरकार ने ‘ग्राम उर्जा स्वराज’ अभियान के तहत पल्ली में 1500 सोलर पैनल लगाएं हैं. पैनल से जो बिजली पैदा होगी उसका वितरण स्थानीय पावर ग्रिड स्टेशन द्वारा किया जाएगा. पल्ली पंचायत के इसके सभी रिकॉर्ड डिजिटल हो गए हैं जो केंद्रीय योजनाओं के सभी लाभों को आसानी से प्राप्त करने में मदद करेंगे. 2.75 करोड़ लागत की यह परियोजना तीन सप्ताह के रिकॉर्ड समय में पूरी की गई.
क्या बदलाव हुए?
यहाँ सोलर स्टोव दिए गए हैं. प्रदुषण को घटाने के लिए इलेक्ट्रिक बस को बढ़ावा दिया गया है. इस परियोजना के तहत 340 घरों में स्वच्छ बिजली पहुंचाई जा रही है. यहाँ लगाए गए सोलर पैनल के जरिये पल्ली गाँव के लोगों की रोजाना 2 हज़ार यूनिट बिजली की मांग को पूरा किया जा रहा है.
इसके अलावा, इस गाँव में पानी की बर्बादी को रोकने के लिए गड्ढ़े बनाये गए हैं, जिन्हें पतली नालियों के जरिये खेतों में सिंचाई के उद्देश्य से जोड़ा गया है. इस गांव को दूसरे गावों से जोड़ने वाली सड़कों को चौड़ा किया गया है, हरियाली बढ़ाने के लिए सड़क के दोनों ओर पौधे लगाए गए हैं.