विदेश में पढ़ने के इच्छुक छात्रों को उनकी पसंदीदा यूनिवर्सिटीज में फ्री में एडमिशन दिलाने में मदद कर रहा है यह स्टार्टअप
सोशल कम्युनिकेशन स्टार्टअप एडम्पस (Edumpus) ने छात्रों के लिए एआई संचालित करियर गाइडेंस प्लेटफॉर्म बनाया है। इससे छात्रों को विदेश में अपनी यूनिवर्सिटी लाइफ में ढलने में मदद मिलती है - मुफ्त में।
"यूनाइटेड किंगडम में डी मोंटफोर्ट यूनिवर्सिटी में मिलने के बाद, दोनों संस्थापकों को विश्वास था कि डिजिटलीकरण स्टूडेंट रिक्वायरमेंट इंडस्ट्री को बदल सकता है और छात्रों के लिए अपनी उच्च शिक्षा को आगे बढ़ाना आसान बना सकता है। दोनों ने एडम्पस को एक सोशल कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म के रूप में डिजाइन किया, जिसे यूनिवर्सिटी, छात्रों और सलाहकारों के बीच संचार यानी कम्युनिकेशन को आसान बनाने के लिए डिजाइन किया गया था।"
चीन के बाद भारत अंतरराष्ट्रीय छात्रों का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है। भारतीय विदेश मंत्रालय 2019 के आंकड़ों से पता चलता है कि लगभग 753,000 भारतीय छात्र विदेश में पढ़ रहे थे। इसके बावजूद, विदेश में ट्रैवल और स्टडी की पूरी प्रक्रिया को लेकर अभी भी भारी अनिश्चितता है; ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इंडस्ट्री में इतने सारे बिचौलिये और सपोर्ट फंक्शन पहले से मौजूद हैं।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए, केरल के दो दोस्तों - अजेश राज और बासिल अली - ने 2019 में एडम्पस बनाने का फैसला किया।
एडम्पस के सह-संस्थापक और सीईओ अजेश कहते हैं, "स्टार्टअप उसी तरह स्टूडेंट रिक्वायरमेंट इंडस्ट्री को बदलने का प्रयास कर रहा है, जिस तरह से अमेजॉन ने सामान खरीदने के अनुभव को फिर से परिभाषित किया है - यानी की छात्रों को उचित निर्णय लेने के लिए उपलब्ध पाठ्यक्रमों तक पहुंच प्रदान करना।"
दरअसल विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के दौरान यह विचार उनके अपने व्यक्तिगत अनुभव से उपजा। यात्रा के प्रत्येक चरण में, उन्हें विभिन्न बाधाओं और एक पुरातन प्रणाली का सामना करना पड़ा।
यूनाइटेड किंगडम में डी मोंटफोर्ट यूनिवर्सिटी में मिलने के बाद, दोनों संस्थापकों को विश्वास था कि डिजिटलीकरण स्टूडेंट रिक्वायरमेंट इंडस्ट्री को बदल सकता है और छात्रों के लिए अपनी उच्च शिक्षा को आगे बढ़ाना आसान बना सकता है। दोनों ने एडम्पस को एक सोशल कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म के रूप में डिजाइन किया, जिसे यूनिवर्सिटी, छात्रों और सलाहकारों के बीच संचार यानी कम्युनिकेशन को आसान बनाने के लिए डिजाइन किया गया था।
यह काम कैसे करता है?
सह-संस्थापक और सीओओ बासिल के अनुसार, स्टार्टअप दुनिया भर के संस्थानों और छात्रों के बीच एक सेतु बनने की इच्छा रखता है, और वास्तव में एक वैश्विक आउटरीच बनाना चाहता है जो न केवल छात्रों को अपने करियर के बारे में सूचित निर्णय लेने में मदद करेगा बल्कि संस्थानों को एक संपूर्ण प्रक्रिया बनाए बिना अच्छे छात्रों को आगे बढ़ाने के लिए अपने संसाधनों का लाभ उठाने का एक कुशल तरीका भी प्रदान करेगा।
छात्र ऐप या वेबसाइट के माध्यम से प्लेटफॉर्म पर साइन अप कर सकते हैं। वे 500 से अधिक यूनिवर्सिटी और उस पर उपलब्ध 50,000 पाठ्यक्रमों को सर्च कर सकते हैं और अपनी आवश्यकताओं के आधार पर सही कोर्स को शॉर्टलिस्ट कर सकते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल करते हुए, प्लेटफॉर्म छात्रों को उनके मानदंडों और यूनिवर्सिटी के प्रस्तावों के आधार पर सबसे उपयुक्त पाठ्यक्रम सुझाता है। बासिल कहते हैं, यह बेहतर और परिष्कृत विकल्पों का सुझाव देने के लिए एक छात्र की रुचियों और एप्लीकेशन पर उनके द्वारा सर्च किए गए ट्रेंड से वरीयता का अध्ययन करता है।
एक बार जब छात्र अपने मनचाहे कोर्स को लेकर तय हो जाते हैं, तो वे प्लेटफॉर्म पर ही अप्लाई कर सकते हैं और जरूरी डॉक्यूमेंट्स जमा कर सकते हैं। इन-हाउस काउंसलर पूरी प्रक्रिया में छात्रों का मार्गदर्शन करते हैं। इसके बाद एडम्पस डॉक्यूमेंट्स का सत्यापन करता है और उन्हें संबंधित यूनिवर्सिटी में जमा करता है।
कंपनी के पास वर्तमान में दुनिया भर के 15 से अधिक देशों के 500+ संस्थानों का पोर्टफोलियो है और भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण एशिया और MENA क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों से 1,000 से अधिक सलाहकार हैं। प्लेटफॉर्म यूनिवर्सिटी और वीजा इंटरव्यू ट्रेनिंग, इमीग्रेशन प्रोसेस की भी व्यवस्था करता है, और छात्रों को विदेश में अपनी यूनिवर्सिटी-लाइफ में ढलने तक लैंडिंग के बाद की सेवाएं भी प्रदान करता है।
एडम्पस छात्रों को यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रों, अन्य छात्रों और किसी भी ऐसे सदस्य के साथ जुड़ने की अनुमति देता है, जिन्होंने किसी भी प्रश्न का उत्तर देने के लिए प्लेटफॉर्म पर साइन अप किया हो। फिलहाल यह स्टार्टअप छात्रों से कोई चार्ज नहीं लेता है। इसका वर्तमान मोनेटाइजेशन मॉडल मुख्य रूप से बी2बी ग्राहकों पर निर्भर करता है - सफल नामांकन के लिए शिक्षण संस्थानों से शुल्क लेना और पोर्टल सब्सक्रिप्शन शुल्क के माध्यम से।
वित्त वर्ष 2021 में, स्टार्टअप ने अपने प्राथमिक परिचालन से 50 मिलियन रुपये का सकल राजस्व होने का दावा किया है।
कोविड-19 का प्रभाव
COVID-19 महामारी के प्रकोप के बाद, एजुकेशनल इंडस्ट्री में डिजिटलीकरण की तीव्र गति आई है। कंसल्टिंग इंडस्ट्री में, जब पाठ्यक्रमों का सुझाव देने और छात्रों का मार्गदर्शन करने की बात आती है तो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पारंपरिक शैक्षिक सलाहकारों के साथ देखे जाते हैं।
महामारी ने दुनिया भर की यूनिवर्सिटी को तेजी से वर्चुअल एजुकेशन में शिफ्ट होने के लिए प्रेरित किया। हालांकि, कई कार्यक्रमों के लिए, यह एक स्थायी समाधान नहीं रहा है। असल में, यूनिवर्सिटी अब अपने स्तर पर ऐसे उपाय करने की पूरी कोशिश कर रही हैं जो छात्रों को फिर से कैंपस में उनकी क्लासेस में भाग लेने की अनुमति देंगे।
कई देशों ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंध भी लगाए। दूतावास और वाणिज्य दूतावास सेवाएं केवल महत्वपूर्ण सेवाओं तक ही सीमित थीं, और वीजा आवेदनों को रोक दिया गया था। इसने छात्रों को काफी प्रभावित किया, जिनमें से कई ने उच्च शिक्षा के लिए अपनी पसंद के देशों पर फिर से विचार किया।
COVID-19 से पहले, एडमिशन में आसानी, एजुकेशन क्वालिटी, इमीग्रेशन पॉलिसी, लागत आदि जैसे कारक अधिकांश छात्रों के लिए प्राथमिक चिंताएँ थीं। अब, स्वास्थ्य सुरक्षा और न्यूनतम जोखिम जैसे कारकों ने छात्रों के लिए अपनी पढ़ाई के लिए विदेशी गंतव्य चुनते समय प्राथमिकता ले ली हैं।
इसलिए, जिन देशों में COVID-19 मामलों की कम संख्या प्रदर्शित होती है, जैसे कि न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, आदि, यहां छात्रों को ज्यादा आकर्षित कर रहे हैं।
फंडिंग और आगे का रास्ता
टेक-सक्षम SaaS प्लेटफॉर्म, अप्लाई बोर्ड और एडवेंटस को अपना वैश्विक प्रतिस्पर्धी मानता है, जबकि भारत में, लीवरेजएडु और एडमिटकार्ड एक समान स्पेस पर काम करते हैं। वर्तमान में, एडम्पस बूटस्ट्रैप्ड है, और मौजूदा समय में तेजी से विकास और विस्तार के पथ पर है।
बासिल कहते हैं, ''सही अवसर मिलने पर हम संभावित निवेशकों के साथ जुड़ने की योजना बना रहे हैं।''
उन्होंने आगे कहा कि स्टार्टअप एक नया प्रोडक्ट TRIADGE लॉन्च कर रहा है, जो अपने मौजूदा प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को पूरक करेगा और लगभग 40,000 भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों को उनकी प्रवेश प्रक्रिया को स्वचालित करने और उन्हें अपने टारगेट ऑडियंस तक पहुंचने में मदद करेगा।
संस्थापक का कहना है कि इससे क्षेत्रीय कार्यालयों और अनावश्यक फैसिलिटी की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।
वह कहते हैं, "एडम्पस का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप भारतीय संस्थानों को सशक्त बनाना है। इस शिक्षा नीति ने भारत में एक मजबूत उच्च शिक्षा प्रणाली की कल्पना की है जो अन्य देशों में ब्रेन ड्रेन (प्रतिभा पलायन) को रोकने में मदद करेगी और विदेशी छात्रों को यहां अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति देगी।"
Edited by Ranjana Tripathi