बच्चों को ‘गुड टच, बैड टच’ में अंतर सिखाएगा ये खिलौना, बाल यौन शोषण को लेकर फैलेगी जागरूकता
भारत में बच्चों के यौन शोषण के मामले बड़े पैमाने पर सामने आते रहते हैं और बीते सालों में इन घटनाओं में लगातार वृद्धि ही हुई है, जहां तमाम छोटे बच्चों को इससे गुजरना पड़ा है। अधिकतर मामलों में ज़्यादातर कम उम्र में बच्चे यौन उत्पीड़न का शिकार हो जाते हैं, जिसमें परिवार का एक करीबी सदस्य ही अपराधी होता है।
इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं कई बच्चों को डराती हैं और ये उन पर प्रतिकूल प्रभाव भी डालती हैं। ऐसे में शर्म और डर के चलते वे अपने माता-पिता के साथ इस बारे में खुलकर बात भी नहीं कर पाते हैं। बच्चे अच्छे और बुरे स्पर्श को समझ सकें, इसके लिए याकारा गणेश नाम के शख्स ने बड़ा ही इनोवेटिव, आकर्षक और आसानी से समझ आ सके ऐसा तरीका खोज निकाला है। संस्कार टॉय एक खास तरह का टॉय (खिलौना) है, जिसके जरिये बच्चे गुड टच और बैड टच के बीच अंतर समझते हैं।
मालूम हो कि संस्कार इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांड नाम के तहत शुरू किए गए संस्कार टॉयज की स्थापना तीन इनोवेटर्स याकारा गणेश, गुंडू भारद्वाज और डॉ एमके कौशिक ने की है।
सेंसर से लैस है यह टॉय
वारंगल से आने वाले गणेश अब तक 25 इनोवेशन कर चुके हैं और 12वीं पास गणेश एक सीरियल इनोवेटर हैं। फिलहाल वे भारद्वाज वागदेवी इंजीनियरिंग कॉलेज में तीसरे वर्ष के छात्र हैं और कौशिक वाग्देवी इनक्यूबेशन एंड बिजनेस एक्सेलेरेटर के सीईओ भी हैं।
गणेश के अनुसार यह टॉय 3-12 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए उपयुक्त है। मीडिया से बात करते हुए गणेश ने बताया है कि उन्हें पहले से ही सरकारी स्कूलों, निजी शिक्षण संस्थानों, तेलंगाना सरकार और पोलैंड जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों से भी इसके ऑर्डर मिल रहे हैं।
खिलौने की बात करें तो इसमें एक टच और निकटता दूरी सेंसर होता है जो अच्छे और बुरे टच के बीच अंतर करता है। किसी विशिष्ट क्षेत्र को छूने पर यह उसी के अनुसार संकेत देता है और इसी के साथ यह टॉय व्यक्ति को इसके बारे में सचेत करता है।
सरकार से भी मिला समर्थन
तमाम स्कूलों के प्रबंधन ने इस खास टॉय को बच्चों को शिक्षित करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक के रूप में चुना है। इसी के साथ अब वे इसे आंगनवाड़ी स्कूलों में भी ले जाना चाहते हैं। गणेश के इनोवेशन्स को लेकर उन्हें बहुत सराहना मिली है और संस्कार टॉय ने सितंबर 2021 में पोलैंड में ई-इनोवेट पुरस्कार भी जीता है।
गणेश के अनुसार, उन्हें अपने इस प्रॉडक्ट की मार्केटिंग के लिए तेलंगाना स्टेट इनोवेशन सेल (TSIC) से भी समर्थन हासिल हुआ है। इसी के साथ उन्होने सरकार के अधिकारियों से बात की है जिन्होंने उन्हें यह आश्वासन भी दिया है कि वे इन खिलौनों को स्कूलों में बच्चों को शिक्षित करने के लिए खरीदेंगे। अब ये तीनों इनोवेटर अपने इस खिलौने को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी बेचने की योजना बना रहे हैं।
Edited by Ranjana Tripathi