कश्मीरी कल्चर को बढ़ावा देने के लिए इस यूट्यूब स्टार ने छोड़ दी अपनी आईटी की नौकरी
"ये मत कहो ख़ुदा से मेरी मुश्किलें बड़ी हैं
ये मुश्किलों से कह दो मेरा ख़ुदा बड़ा है
आती हैं आंधियां तो कर उनका ख़ैर मक़दम
तूफां से ही तो लड़ने खुदा ने तुझे गढ़ा है..."
नहीं मालूम ये पंक्तियां किसकी हैं, लेकिन जब मैंने यावर के संघर्षों और संगीत के प्रति उनके जुनून की कहानी उनसे सुनी तो ये पंक्तियां मुझे उनके ऊपर इकदम सटीक बैठती मालूम पड़ीं। यावर अब्दाल वो शख़्स हैं, जिनसे आज के हर नौजवान को प्रेरणा लेनी चाहिए। घाटी, यानि की कश्मीर की वादियों से निकल कर यावर आठ सालों से पूणे में हैं और यहीं पर रह कर हर दिन खुद को रच रहे हैं। उनसे हुई बातचीत को साझा किए बिना मैं नहीं रह सकी, और सोचा क्यों न योरस्टोरी के माध्यम से यावर अब्दाल की कहानी उस हर शख़्स तक पहुंचे जिनकी आंखों में सपने पलते हैं और जो कोशिश कर रहे हैं वो हिम्मत जुटाने की जो उनके सपनों को पूरा कर सके।
साल के आखरी दिन यानि कि 31 दिसंबर की शाम जब मैंने पहली बार यावर अब्दाल के तमन्ना को यूट्यूब पर सुना, तो इस गाने को बार-बार सुनने से खुद को रोक नहीं पाई। कार में सुना, घर में सुना, दोस्तों के बीच सुना, कई बार सुना और फिर ये दूसरी भाषा में गाया गया गाना मेरी रूह में उतर गया। यह सच है, कि कुछ आवाज़ों में वो बात होती है, जो रूह तक पहुंचती हैं और ऐसी ही आवाज़ है यावर अब्दाल की। यावार मूल रूप से कश्मीरी हैं, लेकिन लंबे समय से पुणे में रह रहे हैं। 2015 में पुणे में रहते हुए यावर ने अपनी बीसीए की पढ़ाई पूरी की और फिर घरेलू ज़रूरतों के चलते उसी साल आईटी में नौकरी कर ली, लेकिन उन्हें सिर्फ यहीं नहीं रुकना था। संगीत के प्रति यावर का जो नशा था, उसने उन्हें कंप्यूटर और कीबोर्ड की दुनिया में लंबे समय तक टिकने नहीं दिया। यावर कहते हैं,
"मुझे बचपन से ही गाने का शौक था, लेकिन परिवार की ज़रूरतों और दबाव के चलते, मुझे पढ़ाई खत्म होते ही नौकरी करनी पड़ी। नौकरी में न तो वो सुकून था और न ही वो मज़ा, जो मुझे गीत-संगीत की दुनिया में मिलता है और साथ ही मुझे न तो वहां अच्छा पैसा मिल रहा था और ना ही हाइक। बहुत कोशिशों के बाद भी मैं खुद को आईटी में सेट नहीं कर पा रहा था और अपना गिटार लेकर निकल पड़ा उस दुनिया में जहां सिर्फ मेरी वादियों का संगीत महकता है।"
ऐसा नहीं है कि यावर कोई छोटी-मोटी नौकरी कर रहे थे। आज से दो साल पहले, यानि कि 2017 तक यावर पुणे की एक अच्छी कंपनी में ठीक-ठाक नौकरी कर रहे थे। वजह सिर्फ इतनी थी कि वो अपने काम से खुश नहीं थे और वे वो नहीं कर पा रहे थे, जो वे करना चाहते थे, तो 2017 में ही नौकरी छोड़ी दी और होटलों और रेस्टोरेंट्स में गाना गाना शुरू कर दिया। उसी बीच उन्हें खयाल आया कि अपने वीडियोज़ भी रिकॉर्ड किए जायें और उन्हें यूट्यूब पर डाला जाये। धीरे-धीरे यावर की आवाज़ को चाहने वालों की संख्या बढ़ने लगी। इंस्टाग्राम यूट्यूब पर उन्हें फैन्स का अच्छा रिस्पॉन्स मिलने लगा और यावर ने पुणे में ही लाइव शोज़ करने भी शुरू कर दिए। सबसे बड़ी बात थी, कि यावर ये सबकुछ अकेले कर रहे थे। उनके पास कोई टीम नहीं थी। बस शोज़ के दौरान कुछ-कुछ लोग होते थे, जो सेटअप करने का काम करते थे जैसे कि कैमरामैन और म्यूज़िशियन। अभी यावर ने अपना ऐसा कोई ग्रुप क्रिएट नहीं किया है। अकेले ही आगे बढ़ रहे हैं, बस कुछ दोस्तों के साथ और उत्साहवर्धन से। यावर का अपना एक बैंड भी है।
पैशन को जब बनाना चाहा करियर, तो घर वालों ने क्यों नहीं दिया साथ
हमारी समाजिक संरचना इस तरह की है, कि अधिकतर परिवारों में बचपन से लेकर बड़े होने तक मां-बाप तय करते हैं कि बच्चा क्या करेगा क्या बनेगा और ऐसे में बच्चा यदि उनकी इच्छा के खिलाफ़ जाकर कुछ करने की सोचता है, तो घर वालों का मुंह बन जाता है। ऐसा ही कुछ यावर के साथ भी हुआ। ग्रेजुएशन खतम करने तक यावर के परिवार में कई तरह की आर्थिक दिक्कतें शुरू हो गईं। कश्मीर में यावर के पिताजी का बिजनेस ठप्प हो गया, मां को कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया। ऐसे में यावर का नौकरी करना ज़रूरी हो गया और उन्होंने बीसीए खतम होते ही परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए नौकरी कर ली। यावर ने लगभग दो साल तक नौकरी की और परिवार की स्थिति संभलते ही यावर ने नौकरी छोड़ने का फैसला लिया, लेकिन ऐसा करना यावर के लिए आसान नहीं था।
यावर ने नौकरी छोड़ कर संगीत में आने की बात जब अपने परिवार के सामने रखी, तो परिवार वालों ने उनकी इस बात का विरोध किया। दोस्तों और जान-पहचान वालों ने मज़ाक भी उड़ाया। लोगों का मानना था, कि गाना गाने और गिटार बजाने से पैसे नहीं आते और ज़िंदगी जीने के लिए पैसा सबसे ज़रूरी चीज़ है। गाना गाना शौक तो हो सकता है, लेकिन करियर के तौर पर इसे चुनना बेवकूफी होगी। अलग-अलग तरीके से लोगों ने यावर को रोकने की कोशिश की। ऐसा होना स्वाभाविक भी है, जैसा कि यावर कहते हैं, "मैं अपने खानदान में या कहूं तो आस-पड़ोस में दूर-दूर तक वो पहल शख़्स था, जिसने नौकरी छोड़कर गिटार उठाने का फैसला लिया था, गाना गा कर पैसा कमाने का फैसला लिया था, ऐसे में मेरे लोगों का मेरे विरोध में खड़े हो जाना लाज़मी था, लेकिन जब मैंने लोगों को बताया कि अपने गानों के माध्यम से मैं अपनी कल्चर को प्रमोट कर रहा हूं तो उन्हें समझ आया और फिर लोगों ने साथ दिया।"
यूट्यूब पर यावर के जितने वीडियो आपको देखने और सुनने को मिलेंगे वे सभी उनकी अपनी ज़बान में हैं, जिनमें कहीं कहीं हिंदी उर्दू भी सुनने को मिलेगी। दिलबरो भी तमन्ना की ही तरह यावर की एक बेहतरीन पेशकश है। जिसे आप यूट्यूब पर ढूंढ कर सुन सकते हैं। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए यावर कहते हैं, "लोगों को अपनी बात समझाने के बावजूद भी मैंने इस बीच कई तरह के विरोध का सामना किया। मुझे अपनी भाषा से मोहब्बत है और मैं उसे सिर्फ अपने शहरों तक ही बांध कर नहीं रखना चाहता था। मैं चाहता था कि उसे हर जगह लेकर जाऊं। उसकी खुशबू हर ओर महके। जिसके लिए मैं हर विरोध बरदाश्त कर सकता था और हुआ भी वैसा ही।"
यावर की मेहनत रंग लाई और वो अपने लोगों को यह समझाने में कामयाब रहे कि नौकरी छोड़ कर गाना गाने का उन्होंने जो फैसला लिया वो गलत नहीं था। आज उनके वीडियो को देखने सुनने और पसंद करने वालों की तादात मिलियन्स में है।
यावर में बसता है एक कवि भी
मूल रूप से यावर कश्मीरी हैं, लेकिन हिंदी, उर्दू और अंग्रेज़ी पर भी अच्छी पकड़ रखते हैं। यावर से बात शुरू करने से पहले मुझे नहीं पता था, यावर हिंदी बोलते भी हैं या नहीं और जिसे हिंदी न आती हो, उस पर हिंदी में स्टोरी करना थोड़ा अजीब हो जाता है, क्योंकि आपका लिखा जब वो पढ़ न पाये, समझ न पाये जिसके बारे में लिखा गया है तो लिखने का कोई मतलब बाकी नहीं रह जाता। लेकिन बात करके समझ आया कि हर इंसान में दिल एक ही जैसा धड़कता है और आंखों में सपने भी एक जैसे ही पलते हैं, फिर बात चाहे कश्मीर की हो या फिर कन्याकुमारी की।
यावर गाना गाने के साथ-साथ कविताएं भी लिखते हैं और गिटार भी बजाते हैं। उन्हें कविताएं लिखने का बेहद शौक है। अपनी कुछ कविताओं को उन्होंने आवाज़ भी दी है, लेकिन यूट्यूब पर उनके जो गाने उनके फैन्स के बीच लोकप्रिय हुए हैं, वो उनकी मूल रचना नहीं हैं। अपनी पसंदीदा रचनाओं को बस उन्होंने आवाज़ देने की कोशिश की है। ऐसा करने से पहले वो जानते भी नहीं थे, कि लोगों को उनकी आवाज़ इतनी पसंद आयेगी, कि उनके वीडियोज़ को मिलियन व्यूज़ मिलेंगे और साथ ही लोगों की इतनी मोहब्बत भी।
यावर नुसरत फतेह अली खान को संगीत की दुनिया में अपना आदर्श मानते हैं। उनके ही सूफी अंदाज़ को सुनते हुए वो बड़े हुए हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि यावर ने संगीत की कोई तालीम नहीं ली, लेकिन संगीत उनकी धमनियों में बहता है।
भविष्य में क्या हैं योजनाएं
फ्यूचर के बारे में बात करते हुए यावर कहते हैं, "आगे आने वाले तीन सालों की प्लानिंग मैं कैसे बता सकता हूं। कोई भी नहीं बता सकता, लेकिन हां इतना ज़रूर कह सकता हूं कि मैं अपना काम करुंगा। ऐसे ही गाता रहूंगा। दिल से गाता रहूंगा।"
बॉलीवुड में जाने की बात पर यावर हंसते हुए कहते हैं, "सिर्फ बॉलीवुड ही नहीं, हॉलीवुड टॉलीवुड, हर जगह किस्मत आज़माना चाहूंगा। इससे अच्छी बात क्या हो सकती है। एक कलाकार को और क्या चाहिए, जब उसकी कला को सराहा जाये और पसंद किया जाये।"
यावर पुणे में अपने कई शोज़ कर चुके हैं और आने वाले दिनों में सारी डेट्स बुक्ड हैं। पुणे के साथ-साथ कश्मीर और बाकी शहरों में भी वो अपनी आवाज़ के जादू से लोगों को झूमने पर मजबूर कर चुके हैं। दुबई में भी यावर ने कुछ शोज़ किए हैं।
यावर अपनी उपलब्धियों के लिए खुदा का शुक्रिया अदा करते हैं। वो कहते हैं, सबकुछ उसकी दुआ का ही असर है, कि मुझमें ये सब करने की हिम्मत आई और लोगों का इतना प्यार मिल रहा है।
भविष्य में यावर की योजनाएं क्या हैं, ये कहना तो सचमुच किसी के लिए आसान नहीं, लेकिन इतना तय है कि वो जो भी करेंगे संगीत की दुनिया में रहते हुए ही करेंगे। ये पूछने पर कि नौकरी छोड़कर क्या आपको गाना गाने से उतनी कमाई हो जाती है, कि आपकी ज़िंदगी ठीक-ठाक चल सके पर यावर कहते हैं, "इंशा अल्लाह सबकुछ काफी अच्छे से चल रहा है और बिना किसी की मदद लिए बगैर मैं अपनी रिकॉर्डिंग्स और वीडियोज़ पर भी काम कर पा रहा हूं।"
यावर अब्दाल के एक बेहतरीन वीडियो के साथ हमारा प्यार और दुआएं भी उनके साथ हैं। वो अपनी आवाज़ के जादू के साथ ऐसे ही ज़िंदगी में आगे बढ़ें...
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