Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

एक साथ तीन सगी बहनों ने क्रैक किया राजस्थान पीसीएस एग्जाम

एक साथ तीन सगी बहनों ने क्रैक किया राजस्थान पीसीएस एग्जाम

Monday June 24, 2019 , 4 min Read

तीन साल पहले असमय पिता के गुजर जाने के बावजूद जयपुर (राजस्थान) के गांव सारंग का बास की तीन सगी बहनें कमला चौधरी, गीता चौधरी और ममता चौधरी जब एक साथ राजस्थान एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (RAS) में सेलेक्ट हुईं तो पल भर में घर का सारा दुख-दर्द मिट गया। आज वह पूरे देश के लिए एक मिसाल बन गई हैं।


ras exam results

तीनों सगी बहनें


कभी भी, न बेटियां बोझ होती हैं, न प्रतिभा सुविधाओं की मोहताज। यही तो साबित किया है राजधानी जयपुर (राजस्थान) से सटे एक छोटे से गांव सारंग का बास की तीन सगी बहनों ने। इस प्रदेश के ही ज्यादातर लोगों को इस गांव का नाम तक मालूम नहीं था लेकिन राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन से एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज के नतीजे घोषित होते ही यह गांव अचानक देश भर की सुर्खियों में आ गया है क्योंकि इसी गांव सगी बहनें कमला चौधरी, गीता चौधरी और ममता चौधरी एक साथ राजस्थान एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (RAS) में सेलेक्ट हो गई हैं।


उनकी सफलता प्रदेश ही नहीं, पूरे देश के लिए एक मिसाल बन गई है। उन्होंने अपनी विधवा मां का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। सारंग का बास निवासी इन तीनों बहनों के पिता गोपाल पूनिया का जब तीन साल पहले लंबी बिमारी के बाद निधन हो गया था तो उस कठिन वक़्त में परिवार चलाने की जिम्मेदारी उनकी विधवा-अशिक्षित मां मीरा देवी के कंधों पर आ गई। पूरे परिवार पर जैसे कहर टूट पड़ा था। घर में तीन अविवाहित सगी बहनों की पढ़ाई-लिखाई, एक बेटी के शादी-ब्याह की चिंता और रोजी-रोटी का कोई आसरा नहीं। उनमें से दो बहनों की शादी पिता के रहते हो चुकी है। 


उस समय मीरा देवी को न तो ये पता था कि उनकी बेटियां कौन सी पढ़ाई कर रही हैं, न ये मालूम कि आगे उनकी जिंदगी किस ठिकाने लगेगी। वह तो बस इतना जानती थीं, भरोसा करके चल रही थीं कि उनकी तीनों बेटियों को हर वक़्त पढ़ाई की चिंता रहती है, वे कुछ बनकर दिखाना चाहती हैं तो कभी न कभी उन्हे कुछ बड़ा जरूर हासिल हो जाएगा। इस उम्मीद ने ही मीरा देवी और एक अदद पुत्र राम सिंह को ऐसा संबल दिया कि उन्होंने तीनों बहनों के भविष्य के लिए घर की सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ओढ़ ली। मां-बेटा खेती और मवेशियों को संभालने में जुट गए।


यद्यपि भाई, तीनों बहनों और विधवा मां को ऐसे कठिन वक़्त में अपने नाते-रिश्तेदारों तक से काफी ताने-उलाहने सुनने पड़े। वह सबकी बातें बर्दाश्त करती रहीं। पिता के गुजर जाने के बाद कमला, गीता और ममता ने भी कड़ा संकल्प ले लिया था कि वे किसी भी कीमत पर अपनी मां और भाई का सपना टूटने नहीं देंगी। दिन-रात मां को बिना कुछ बताए आरएएस की तैयारी में जुटी रहीं। परिवार पर टूटी मुसीबत के बावजूद तीनों ने हार नहीं मानी। मन को मजबूत रखा और निगाहें लक्ष्य पर टिकी रहीं।


इस दौरान उन्हें अपने सगे भाई राम सिंह से भी भरपूर मदद मिलती रही, जिन्होंने उनके साथ पिता जैसा फर्ज निभाया। कहते रहे कि किसी की कुछ मत सुनो, सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान रखो। इसके लिए परिवार की बाकी जरूरतों में भले कटौती करनी पड़ी मगर बहनों की पढ़ाई से कभी समझौता नहीं किया। अब रामसिंह की इच्छा है कि उनकी तीनों बहनें अब उन्हें आईएएस की तैयारी करें। वह आगे भी उनकी मदद करना चाहते हैं। आखिरकार, तीनो बहनों की कड़ी मेहनत और लंबी प्रतीक्षा के बाद वह सुखद घड़ी आ ही गई।


राजस्थान सिविल सेवा परीक्षा का रिजल्ट घोषित हो गया और तीनों बहनों शान से अपनी विधवा मां और भाई का मिठाई से मुंह भर दिया। उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया पर तीनों बहनों की एक तस्वीर जमकर वायरल, जिसमें गलती से बता दिया गया कि वे आईएएस बन गई हैं। यह सूचना चोमू राजघराने की रानी रुक्मिणी कुमारी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर कर दी। लोग बधाइयां देने लगे मगर कुछ ही देर में बात साफ हो गई कि वे आईएएस नहीं, बल्कि आरएएस (राजस्थान एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस में) सेलेक्ट हुई हैं। कमला चौधरी को 32वीं, गीता चौधरी को 62वीं और ममता चौधरी को 132वीं रैंक मिली है।