पति-पत्नी ने साथ पढ़कर बढ़ाया एक-दूसरे का हौसला और पाई सफलता
आज ‘रुक जाना नहीं’ सीरीज़ के अंतर्गत हम एक ख़ास कहानी को जानेंगे। ऐसी कहानी, जिसमें पति-पत्नी ने एक-दूसरे का हौंसला बढ़ाया और एक-दूसरे का संबल बने। बिहार के जहानाबाद के एक गाँव के निवासी अनिरुद्ध की शादी आरती से हुई। दोनों ने एक-दूसरे का साथ निभाया और हिंदी मीडियम के साथ UPSC की परीक्षा उत्तीर्ण की। अनिरुद्ध कुमार वर्ष 2017 की सिविल सेवा परीक्षा में हिंदी मीडियम के टॉपर भी बने। अनिरुद्ध और आरती, दोनों अब उत्तर प्रदेश में IPS अधिकारी हैं। सुनिए, ये प्रेरणदायक कहानी, अनिरुद्ध की ज़ुबानी ...
मेरा पालन-पोषण व प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा बिहार के जहानाबाद जिले के एक छोटे से गाँव में हुई। यह वही जहानाबाद जिला है, जो कभी नक्सल गतिविधियों का गढ़ हुआ करता था। आये दिन गाँव-के-गाँव नरसंहार की भेंट चढ़ जाते, हम सब काफी डरे रहते थे कि कब हमारे गाँव का नंबर न आ जाये। मेरी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक की शिक्षा गाँव के ही स्कूल में हुई।
फिर पिताजी को कानपुर में रेलवे में एक ठेके का काम मिला और पूरा परिवार कुछ समय बाद कानपुर आ गया। अतः 10वीं व उसके बाद की मेरी पढ़ाई कानपुर में हुई। मैं पढ़ने में प्रारम्भ से ही अच्छा था, अतः सबकी उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन का दबाव बढ़ता गया और गैर शैक्षणिक गतिविधियों (खेल व अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों) से मैं दूर होता गया, इसका मलाल आज भी मुझे है। पढ़ाई के साथ अन्य गतिविधियों का व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है।
मैं आम मध्यमवर्गीय व्यक्ति की तरह इंजीनियरिंग व MBA जैसी प्रोफेशनल डिग्री प्राप्त कर किसी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करना चाहता था, पर एक घटना ने मेरे पथ की दिशा बदल दी।
हुआ यह कि कानपुर में पिताजी ने अपनी कमाई जोड़कर एक छोटी सी जमीन ली थी, पर कुछ राजनीतिक जुड़ाव रखने वाले दबंगों ने इस पर कब्जा जमा लिया। पापा ने काफी हाथ-पैर चलाये, पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई, पर कोई असर नहीं हुआ। फिर हम सीधे पुलिस अधीक्षक (SP) महोदय से मिले, जिन्हें हमने अपनी परेशानी बताई। उन्होंने तत्काल कारवाई का आश्वासन दिया। ऊपर से बने दबाव ने प्रशासन के काम में तेजी ला दी और हमें हमारी जमीन वापस मिल गयी।
इस घटना ने मेरी सोच को ही बदल दिया, और मैं इंजीनियरिंग के बाद सिविल सेवा की तैयारी करने लगा।
मुझे शुरुआती चरणों में सफलता भी मिलने लगी पर पूर्ण सफलता नहीं मिली। अतः निराश होकर मैं राज्य लोकसेवाओं पर ध्यान देने लगा। इसी दौरान चयन वाणिज्य कर अधिकारी (UPPCS-2012), असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य कर (UPPCS-2013) व पुलिस उपाधीक्षक (DSP, UPPCS-2014) के पद पर भी हुआ। पर कहीं-न-कहीं दिल में वो कसक अभी भी थी कि मैं UPSC क्लीयर नहीं कर पाया।
इसी दौरान एक सुखद घटना यह हुई कि 2015 में मेरा विवाह आरती सिंह से हुआ। हम दोनों पहले से काफी अच्छे दोस्त थे। वो उत्तर प्रदेश में BDO के पद पर कार्यरत थी, पर UPSC न पास करने की पीड़ा उनके मन में भी थी। बस फिर क्या था, दोनों के मिलने से शक्ति भी दूनी हो गयी, साथ ही मनोबल और लालसा भी। मिलकर बेहतर स्ट्रेटेजी से तैयारी की व 2016 की UPSC परीक्षा में दोनों उत्तीर्ण हुए, उन्हें AIR-118 के कारण IPS मिला और मुझे AFHQ मिला। मैंने हिम्मत नहीं हारी और दुगुनी मेहनत से फिर तैयारी की तथा 2017 की परीक्षा में AIR-146 के साथ मैं हिंदी माध्यम में टॉपर भी बना।
गेस्ट लेखक निशान्त जैन की मोटिवेशनल किताब 'रुक जाना नहीं' में सफलता की इसी तरह की और भी कहानियां दी गई हैं, जिसे आप अमेजन से ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं।
(योरस्टोरी पर ऐसी ही प्रेरणादायी कहानियां पढ़ने के लिए थर्सडे इंस्पिरेशन में हर हफ्ते पढ़ें 'सफलता की एक नई कहानी निशान्त जैन की ज़ुबानी...')