माता-पिता थे अनपढ़, पटवारी की नौकरी के साथ की तैयारी और बने अफ़सर
आज इस मोटिवेशनल सीरीज़ में हम जानेंगे राजस्थान के दौसा जिले के मिंटू लाल की अनूठी कहानी। मिंटू के माता-पिता ने कभी स्कूल नहीं देखा। ख़ुद बचपन में भैंस चराने वाले मिंटू ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई की। 12वीं के बाद पटवारी की नौकरी मिल गई। पटवारी की नौकरी करते-करते NET-JRF की परीक्षा उत्तीर्ण की और IAS की प्रतिष्ठित परीक्षा देने की हिम्मत जुटाई। अपने सपने सच करने वाले युवा मिंटू लाल की कहानी, संसाधनों की कमी झेल रहे हर युवा में अद्भुत प्रेरणा का संचार करती है। सुनिए उनकी कहानी, उन्हीं की ज़ुबानी।
मैं राजस्थान के दौसा जिले के धरणवास (पचवारा क्षेत्र) गांव से हूं । मेरे माता- पिता अनपढ़ हैं, वे कभी स्कूल नहीं गए। मुझे भी बचपन में स्कूल जाने से बहुत डर लगता था मैं लगभग 6 वर्ष का होने के बाद स्कूल में पहली बार गया । वह भी तब जब 2 दिन तक लगातार माँ ने पिटाई करते हुए स्कूल के दरवाजे तक छोड़ा। इससे पहले मैं माता या पिता के साथ भैंस चराता रहता था।
मेरी दसवीं तक की पढ़ाई सरकारी स्कूल में हुई लेकिन स्कूल के दौरान भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। हमारे घर में बिजली नहीं थी तो या तो चिमनी जलाकर पढ़ना पड़ता था या घर से थोड़ी दूर पपलाज माता के मंदिर में प्रतिदिन देर रात तक पढ़ाई किया करता था।
जहाँ तक सिविल सेवा में आने की बात है, मैंने माध्यमिक कक्षाओं में ही निश्चय कर लिया था मुझे सिविल सेवक बनना है। इसका कारण यह था कि मैं अपने बड़े भाई की प्रेरणा से बहुत जल्दी से ही अखबार पढ़ने लग गया था तो समाचार पत्रों में प्रशासनिक अधिकारियों के दौरों के बारे में जिक्र होता था। मुझे IAS अधिकारी डॉ. जोगाराम जांगिड़ के बारे में बखूबी याद है, जब दौसा के कलेक्टर बनकर आये थे। उनसे मैं काफी प्रभावित था।
चूँकि, परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी इसलिए मैं जल्दी से नौकरी पाना चाहता था। मैं 12वीं के बाद ही पटवारी बन गया। नौकरी लगने के कारण मैं औपचारिक रूप से किसी कॉलेज या विश्वविद्यालय में अध्ययन नहीं कर सका और मैंने B.A.
(इतिहास, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान) तथा M.A. (आधुनिक भारत का इतिहास) स्वयंपाठी विद्यार्थी (प्राइवेट) के रूप में किया। मैंने नौकरी के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी।
मैं सिविल सेवा की तैयारी करने के लिए दिल्ली आना चाहता था लेकिन इसके लिए पैसों की आवश्यकता थी, जो मेरे पास नहीं थे। ऐसी परिस्थितियों में मुझे अपने दोस्तों का सहयोग मिला। उनके आर्थिक सहयोग से मैं दिल्ली तैयारी करने के लिए आ गया। मुझे याद है, उस समय कई लोगों ने यह कहा था कि पटवारी की नौकरी ही कर लो, अपने क्षेत्र से आज तक कोई भी इस परीक्षा में सफल नहीं हुआ है। क्यों समय और धन की बर्बादी करते हो ?
लेकिन मुझे अपने आप पर विश्वास था मैंने तैयारी शुरू की। एक वर्ष बाद सिविल सेवा परीक्षा में सम्मिलित हुआ। प्रथम प्रयास में साक्षात्कार तक पहुंचा। यह मेरी जिंदगी का अद्भुत क्षण था मैंने कभी जीवन में सोचा नहीं था की मैं प्रथम प्रयास में यूपीएससी के साक्षात्कार तक पहुंच जाऊंगा। साक्षात्कार के समय की कई घटनाएं मुझे याद हैं, जब लोगों ने मेरे माता-पिता से कहा कि इंटरव्यू में तो पैसे चलते हैं। आप अपने बच्चे को पैसे देकर भेजना।
मैंने अपने घर वालों को कुछ दोस्तों और गुरुजनों के सहयोग से समझाया कि इस परीक्षा में सब कुछ ईमानदारी से होता है। यदि मेरी मेहनत सही रही होगी तो चयन हो जाएगा, नहीं तो अगली बार देखेंगे। प्रथम प्रयास में मुझे सफलता नहीं मिली लेकिन इस प्रयास में मेरा विश्वास अत्यधिक बढ़ गया। अब मुझे लगने लगा था कि अगली बार तो मेरा जब चयन जरूर हो जाएगा। इसी बीच मैंने सिविल सेवा में अनिश्चितता को देखते हुए वैकल्पिक कैरियर के रूप में इतिहास से NET-JRF की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली।
इसके बाद मैंने दूसरे प्रयास की तैयारी प्रारंभ की और साक्षात्कार दिया। अंततः है मुझे 2018 के सिविल सेवा परीक्षा में 664वीं रैंक प्राप्त हुई और भारतीय राजस्व सेवा- IRS आयकर के लिए मैं चुना गया। इस तरह जो सपना मैंने देखा था वह कठिन परिश्रम, खुद पर विश्वास, अनुशासन, दृढ़ निश्चय से अंततः बहुत कम समय में पूरा हो गया।
मुझे इस बात की खुशी है कि मेरा चयन सिविल सेवा में होने के बाद मेरे क्षेत्र में लोगों की यह भ्रांति दूर हुई है कि इसमें पैसे वाले लोग ही सफल हो सकते हैं। अब मेरे क्षेत्र से कई अन्य विद्यार्थी भी इस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और वे मुझे प्रेरणास्रोत के रूप में मानते है हैं। मुझे उम्मीद है कि वे अपने-अपने लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे।
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