Bihar Diwas: बुद्ध और महावीर के परिनिर्वाण की जगह बिहार कब अस्तित्व में आया?
हर साल 22 मार्च को बिहार राज्य के गठन दिवस के रूप में चिह्नित किया जाता है और इसे 'बिहार दिवस' के रूप में मनाया जाता है.
बिहार दिवस का इतिहास और महत्व स्वतन्त्र भारत से जुड़ा हुआ नहीं है, मतलब देश के आजाद होने के बाद किए गए राज्यों के पुनर्गठन से सम्बंधित नहीं है. बल्कि इसका इतिहार उस समय से जुड़ा हुआ है जब देश अंग्रेजों के अधीन था और बिहार बड़े बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा था.
तत्कालीन बंगाल क्षेत्र आज के बांग्लादेश से बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा तक फैला हुआ था, और काफी हद तक मुगलों और नवाबों द्वारा शासित था. ये वही बंगाल प्रेसीडेंसी है जिसके बड़े होने की वजह बताकर 1905 में लार्ड कर्ज़न ने इसका विभाजन किया था. हालांकि हकीकत कुछ और थी. क्योंकि वास्तविक इरादा हिंदुओं और मुसलमानों के बीच के क्षेत्र में सांप्रदायिक विभाजन करना था. और इसलिए अपनी फूट डालो और शासन करो की नीति के तहत अंग्रेजों ने मुस्लिम बहुल पूर्वी बंगाल और हिंदू बहुल पश्चिम बंगाल के विभाजन का प्रस्ताव रखा था.
बंगाल विभाजन के खिलाफ देशवासियों ने स्वदेशी आन्दोलन शुरू किया और इन विरोधों के गति पाने के बाद अंग्रेजों को 1911 में बंगाल को फिर से जोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा.
बक्सर की लड़ाई
बक्सर की लड़ाई भारत के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है. इसी लड़ाई में जीत के बाद ब्रिटिश सरकार ने बड़े बंगाल प्रेसीडेंसी पर नियंत्रण हासिल किया था. 22 अक्टूबर 1764 को, बक्सर की लड़ाई हेक्टर मुनरो के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी की ब्रिटिश सेना और बंगाल के नवाब, अवध के नवाब और मुगल राजा शाह आलम II की संयुक्त सेना के बीच लड़ी गई थी. इस युद्ध में ईस्ट इंडिया कंपनी की भारी जीत हुई.
इस जीत ने देश में ब्रिटिश उपस्थिति को मजबूती से स्थापित कर दिया था. इस जीत के बाद बांग्लादेश से लेकर वर्तमान के राज्य असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा और झारखंड में जाने वाला पूरा बंगाल क्षेत्र अंग्रेजों के अधीन आ गया.
22 मार्च ही क्यों?
1911 में किंग जॉर्ज पंचम का राज्याभिषेक हुआ और ब्रिटिश भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया. इसके साथ ही जैसे ही राजनीतिक ध्यान बंगाल से दिल्ली की ओर स्थानांतरित हुआ, बंगाली भाषी क्षेत्रों को लॉर्ड हार्डिंग के प्रस्ताव के रूप में फिर से जोड़ा गया. 21 मार्च 1912 को, बंगाल के नए गवर्नर थॉमस गिब्सन कारमाइकल ने बंगाली भाषी क्षेत्रों को अन्य विशिष्ट भाषाई क्षेत्रों से अलग करने के निर्णय की घोषणा की, जिसके कारण अंततः बंगाल, ओडिशा, बिहार और असम का गठन हुआ.
अंततः 22 मार्च 1912 को बड़े बंगाल प्रेसीडेंसी से बिहार अलग हुआ. यही वजह है कि 22 मार्च को 'बिहार दिवस' के रूप में चुना गया. हर साल बिहार राज्य के गठन के प्रतीक के तौर पर 22 मार्च को 'बिहार दिवस' मनाया जाता है.
स्वतंत्रता के बाद बिहार का एक और विभाजन हुआ और सन 2000 में झारखंड राज्य इससे अलग कर दिया गया.
22 मार्च, ‘बिहार दिवस’ पर हर साल बिहार में सार्वजनिक अवकाश यानी पब्लिक हॉलिडे होता है. 'बिहार दिवस' की शुरुआत बिहार सरकार द्वारा नीतीश कुमार के कार्यकाल में बड़े पैमाने पर की गई थी. ‘बिहार दिवस’ के मौके पर घोषित सार्वजनिक अवकाश या हॉलिडे राज्य और केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी कार्यालयों और कंपनियों पर लागू होता है और साथ ही स्कूलों में छात्रों द्वारा भाग लेने वाले विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करके भी इस दिन को मनाया जाता है.
Edited by Prerna Bhardwaj