ओडिशा के समुद्री तटों को कछुओं के लिए साफ कर रहे दो दोस्त
कई रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई है कि हर साल समुद्रों में लगभग आठ मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा खप जाता है। ओशन कंजर्वेंसी के अनुसार, दुनिया भर में महासागरों में प्लास्टिक लगभग 700 जलीय प्रजातियों को प्रभावित करता है। महासागरों में प्रवेश करने वाला प्लास्टिक कचरा लगभग 60 प्रतिशत समुद्री पक्षी और लगभग सभी समुद्री कछुओं को प्रभावित करता है।
समुद्री में रहने वाले जीवों खास तौर पर ओलिव रिडली कछुओं के लिए खतरे को महसूस करते हुए ओडिशा के सौम्य रंजन बिस्वाल (22) और दिलीप कुमार बिस्वाल (20) ने इन जलीय जीवों को बचाने की कोशिश करके इस मुद्दे को हल कर रहे हैं। यह जोड़ी ओलिव रिडले कछुओं के लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार कर रही है, जो सीजन के दौरान समुद्र तट पर 70 से 190 अंडे देते हैं। सौम्य और दिलीप यह भी सुनिश्चित करते हैं कि कछुए बेकार हो चुके प्लास्टिक कचरे को न खा पाएं।
सौम्य के अनुसार, यह काम उनके लिए नौकरी से ज्यादा एक जुनून की तरह है। वो इस काम को 10 साल की उम्र से ऐसा कर रहे हैं वह भी बिना किसी लाभ या पद की इच्छा किए बगैर। कछुओं के अंडे देने वाले सीजन में सौम्य हर रात समुद्र के किनारे पट्रोलिंग करते हैं। ओलिव रिडले कछुओं के अंडे देने का समय फरवरी के अंत से शुरू होकर मार्च तक होता है। सौम्य शिकारियों से कछुओं के अंडों की भी रक्षा करते हैं। इसके अलावा सियार, कुत्ते और अन्य जंगली जानवरों से भी अंडो को बचाते हैं।
लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने के लिए जागरूकता पैदा करने के लिए दोनों ने तटीय क्षेत्रों में साइकिल रैली निकाली। सौम्य ने सड़कों प साइकिल चलाकर रैली निकालली और दिलीप ने ओलिव रिडले कछुए की तरह वेशभूषा धारण की। हाल ही में दोनों ने ओडिशा के रुशिकुल्या, पुरी, चिलिका, जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, भद्रक और बालासोर जैसे इलाकों में जागरूकता बढ़ाने का काम किया। कछुओं को बचाने के अलावा वे समुद्र को साफ करने और पेड़ों को संरक्षित करने का काम कर रहे हैं।