दुनियाभर में पार्किंग को आसान बना रहे हैं IIT मद्रास के दो पूर्व छात्र
पार्किंग की समस्या आजकल हर जगह हो गई है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप दुनिया के किस शहर में हैं, हर जगह आपको पार्किंग की समस्या का सामना करना पड़ता है। हालांकि इस समस्या से निपटने के लिए कई तरह के काम हो रहे हैं। लेकिन आईआईटी मद्रास के इन दो पूर्व छात्रों ने एक अनोखा रास्ता निकाला है। आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र व एफएमएस, दिल्ली से एमबीए चिराग जैन और रसिक पानसरे जागृति यात्रा में 2012 में मिले थे। ये दोनों, लोगों के लिए पार्किंग की जगह खोजना आसान बनाना चाहते थे। उनका मानना था कि वे इस समस्या को हमेशा के लिए हल कर पाएंगे और इसका नतीजा निकला 2015 में जब उन्होंने 'गेट माई पार्किंग (Get My Parking)' शुरू की।
गेट माई पार्किंग, एक मोबाइल ऐप है जो यूजर्स को सबसे पास की पार्किंग जगह खोजने और नेविगेट करने में मदद करता है। यह एडवांस पार्किंग एनालिटिक्स सॉल्यूशन प्रोवाइड करता है जो बड़े पैमाने पर इस अनऑर्गनाइज्ड इंडस्ट्री को मैनेज करने में मदद कर सकता है। यह ऐप पार्किंग ठेकेदारों (एंटरप्राइज सॉल्यूशन), सरकारों (स्मार्ट सिटी), इंफ्रास्ट्रक्चर पार्टनर्स (प्लेटफॉर्म इंटीग्रेशन), और कस्टमर्स (मोबाइल एप्लिकेशन) के लिए भी सॉल्यूशन देता है।
एक मजबूत बाजार होने के बावजूद, इस इंडस्ट्री में कुछ भी हो सकता था लेकिन शुरू करने के चार साल बाद वे अच्छी स्थिति में थे। इसके बाद तीन राउंड्स की फंडिंग - 2.5 करोड़ रुपये की एंजेल फंडिंग (जनवरी 2016), 7.35 करोड़ रुपये की प्री-सीरीज ए फंडिंग (जनवरी 2017) और 19.2 करोड़ रुपये की सीरीज ए की फंडिंग (अक्टूबर 2017) शामिल थी।
स्टार्टअप के लिए कोई जगह नहीं?
चिराग कहते हैं, "समस्या (पार्किंग की) काफी बड़ी है, पॉलिसीमेकर्स इसमें टेक्नॉलोजी को शुरू करने के लिए कदम नहीं उठा रहे हैं, और पॉलिसी व नियम काफी धीमे काम करते हैं।" उन्होंने कहा कि कई ऐसे बेनिफिट हैं जिसे कंपनी स्टार्टअप के रूप में उठा सकती है, लेकिन मुख्य समस्या विभिन्न राज्य सरकारों और नागरिक निकायों के साथ काम करना है। वे कहते हैं, "एक विक्रेता के रूप में हमारी विशेषज्ञता के बारे में सरकारी अधिकारियों को समझना मुश्किल हो गया है, क्योंकि वे आम तौर पर नई कंपनियों को भाग लेने की अनुमति नहीं देते हैं।"
चिराग कहते हैं कि स्टार्टअप्स सरकारों के साथ काम करने के इच्छुक हैं। लेकिन उनका अनुभव रहा है कि सरकारी निकाय अभी स्टार्टअप्स के साथ काम करने के लिए बहुत ओपन नहीं हैं। इसलिए, जब सरकारें अगले स्टेप्स पर विचार कर रही थीं, तभी 'गेट माई पार्किंग' ने विदेशों में अपना सफर शुरू करने का फैसला किया। अपने IoT प्लेटफॉर्म को आगे बढ़ाने के लिए चिराग और राशिक ने जर्मनी में स्थित APCOA पार्किंग के साथ स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप के रूप में प्रवेश किया। APCOA पार्किंग 13 देशों में काम करने वाली एक प्रमुख पार्किंग ऑपरेटर कंपनी है।
गेट माई पार्किंग अब APCOA को डिजिटाइज करने और पार्किंग टिकट को मैनेज करने में मदद कर रही है। यह बदले में ऑपरेटर को पार्किंग जगह को कंट्रोल और एनालाइज करने में मदद करेगा। ऐप आसानी से एंड-टू-एंड मोबाइल-बेस्ड पार्किंग मैनेजमेंट सिस्टम के लिए किसी भी एक्सेस कंट्रोल हार्डवेयर के साथ बहुत कम इनवेस्टमेंट के साथ इंटीग्रेट करता है। यह ऐप आसानी से एंड-टू-एंड मोबाइल-बेस्ड पार्किंग मैनजमेंट सिस्टम को किसी भी एक्सेस कंट्रोल हार्डवेयर के साथ बहुत कम इनवेस्टमेंट में जोड़ा जा सकता है।
APCOA के साथ मिलकर यह स्टार्टअप अब 9,000 से अधिक स्थानों पर 1.4 मिलियन से अधिक पार्किंग स्लॉट को छूने के लिए अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म को स्केल करने की योजना बना रहा है। माई पार्किंग यूजर्स को पार्किंग स्लॉट रिजर्व करने से लेकर बिना टिकट ऑटोमैटिक एक्सेस और कैशलेस एग्जिट की सुविधा भी देता है। APCOA पार्किंग ग्रुप के सीईओ फिलिप ओप डी बीक कहते हैं कि यह साझेदारी उन्हें एक डिजिटल प्लेटफॉर्म और नए उत्पादों को जल्दी और प्रभावी रूप से विकसित करने में सक्षम बनाती है।
वे कहते हैं, “गेट माई पार्किंग टेक्नोलॉजी पुराने कार पार्कों में मौजूदा बैरियर टेक्नोलॉजीज के साथ ही काम करती है। जिससे एक नई पार्किंग सिस्टम खरीदने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। और डिजिटल प्लेटफॉर्म की बढ़ती मांगों का मतलब है कि हम निकट भविष्य में कई नई सेवाओं और साझेदारियों को लॉन्च कर सकते हैं।”
लोकल पुश
चिराग कहते हैं कि भारत में, पार्किंग की प्रक्रिया बुरी तरह से मैन्युअल बनी हुई है और जब संस्थापकों ने स्थानीय ठेकेदारों को अपना सॉल्यूशन दिखाया, तो कई ने इसे "जादू" कहा! काफी प्रभावित होने के बावजूद, संस्थापकों को अभी भी ठेकेदारों को समझाना पड़ाता है। वो इसलिए भी क्योंकि यह उनके लिए एक पेड सर्विस है, और ठेकेदार एक नए स्टार्टअप पर भरोसा नहीं करते हैं।
चिराग कहते हैं,
“शुरू में, हमने पार्किंग ऑपरेटरों का विश्वास हासिल करने और फिर डिजिटलीकरण की वैल्यू साबित करने के लिए काफी बाधाओं का सामना किया। जिन ग्राहकों के साथ हमने काम किया, उन्होंने कभी भी अपने अपने कामों में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया था, जिससे उनकी धारणा में एक पूर्वाग्रह पैदा हुआ। लेकिन दृढ़ता और सरलता के माध्यम से, हमारी टीम ने उन्हें हमारी टेक्नोलॉजी का जबरदस्त समर्थक बना दिया।”
गेट माई पार्किंग ऐप व्यक्तियों के लिए मुफ्त है। हां, कंपनी इसके उपयोग के लिए ठेकेदारों से लाइसेंस और हार्डवेयर इंटालेशन के लिए शुल्क लेती है। हालांकि संस्थापकों ने शुल्क के बारे में विवरण साझा करने से इनकार कर दिया। गेट माई पार्किंग अपने कस्टमर के लिए रियल टाइम स्लॉट की उपलब्धता की जानकारी देने के अलावा उसे रिजर्व भी कर सकती है यदि पार्किंग इसे (रिजर्व की) अनुमति देती है तो। इन्फ्रास्ट्रक्चर पार्टनर्स के लिए, यह शहर का मैक्रो-लेवल डेटा प्रदान करता है जहां पर, कब, और कितने वाहन पार्क किए जा रहे हैं। यह पॉलिसी-मेकिंग में मदद करने के लिए रियल टाइम एनालिटिक्स भी ऑफर करता है, और इस ऐप के जरिए सरकारी एजेंसियां पॉलिसी लागू करने और ट्रैकिंग उल्लंघनों के लिए डिजिटल टूल तक पहुंच हासिल कर सकती हैं।
मार्केट और फ्यूचर
दुनिया भर में पार्किंग के लिए मार्केट ऑपर्चुनिटी 100 बिलियन डॉलर से अधिक और अकेले भारत में 5 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है। भारतीय पार्किंग मार्केट में गेट माई पार्किंग की कंपटीशन Pparke, Parking4Sure और Parkwheels जैसे बड़े प्लेयर्स के साथ है। वैश्विक स्तर पर, Parkopedia, SpotHero, Appyparking, Parker, JustPark, और Easypark जैसे ब्रांडों के साथ उनकी टक्कर है।
इस स्टार्टअप में अपने निवेश पर बोलते हुए, IndusAge Partners के मैनेजिंग पार्टनर, सुधीर राव ने कहा, “फ्रिक्शन-फ्री पार्किंग के साथ एक ऑटोमोबाइल मालिक को उसके समय की मूल्य प्रदान करने का अवसर गेट माई पार्किंग द्वारा दिया जा रहा है। टीम ने एक महीने में दो मिलियन से अधिक टिकटों को बढ़ाने में अपना गहन ध्यान केंद्रित किया है। उनकी टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म का वैश्विक बाजार है।" स्टार्टअप का ये सॉल्यूशन अभी भारत में केवल मॉल या शॉपिंग सेंटर में ही लागू किया गया है। कंपनी हर रोज लगभग 80,000 लेनदेन और प्रति माह 2 मिलियन से अधिक लेनदेन की प्रक्रिया का दावा करती है। अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर, यह जर्मनी में 300 से अधिक पार्किंग स्थल बनाने का दावा करती है और इसके ताइवान, मध्य पूर्व और इंडोनेशिया में पायलट प्रोजेक्ट चल रहे हैं। चिराग कहते हैं, “हमारा विजन पार्किंग को एक बाधारहित अनुभव बनाने का है। हम विश्व स्तर पर पार्किंग को डिजिटल करके ऐसा कर रहे हैं। और हां, हम इसे हासिल करने के लिए ट्रैक पर हैं। अभी तीन साल भी नहीं हुए हैं, इसलिए हम अभी शुरुआत कर रहे हैं।"
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