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Union Budget 2023-24: स्टार्टअप इकोसिस्टम के दिग्गजों को बजट से क्या उम्मीदें?

आइए जानते हैं कि स्टार्टअप इकोसिस्टम के दिग्गज इस बजट से क्या उम्मीदें रखते हैं...

Union Budget 2023-24: स्टार्टअप इकोसिस्टम के दिग्गजों को बजट से क्या उम्मीदें?

Saturday January 28, 2023 , 41 min Read

जैसा कि हम वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्रीय बजट (Union budget 2023-24) की ओर बढ़ रहे हैं, ऐसे कई प्रमुख क्षेत्र हैं जिन पर सरकार का ध्यान केंद्रित होने की संभावना है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के 1 फरवरी, 2022 को केंद्रीय बजट 2022-23 पेश करने की उम्मीद है. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एनडीए सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट है. पिछले तीन वर्षों में सरकार द्वारा की गई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों की घोषणा ने आर्थिक विकास को बल दिया है.

आइए अब जानते हैं कि स्टार्टअप इकोसिस्टम के दिग्गज इस बजट से क्या उम्मीदें रखते हैं...

weTradeके फाउंडर और सीईओ प्रशांत कुमार बताते हैं, "बजट ऐसे समय में आता है जब क्रिप्टो क्षेत्र में बहुत अधिक गतिविधि होती है. पिछले बजट में घोषणा के बाद सरकार को 1% टीडीएस की जांच करनी चाहिए और इसे कम करना चाहिए. क्रिप्टोकरेंसी को अन्य इक्विटी परिसंपत्तियों के करीब भी माना जाना चाहिए. यह देखते हुए कि G20 भारत की अध्यक्षता में एक वैश्विक क्रिप्टो रूपरेखा पर विचार कर रहा है, सरकार को इस बजट में इस क्षेत्र के लिए कुछ औद्योगिक नियम लाने पर विचार करना चाहिए. उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना समय की मांग है."

Rooba Financeके को-फाउंडर, चीफ लीगल और स्ट्रटैजी ऑफिसर अर्जुन खजांची बताते हैं, “ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार बढ़ती ब्याज दरों और अमेरिका जैसी बड़ी आर्थिक शक्तियों की आसन्न मंदी के आलोक में राजकोषीय विवेक को दर्शाएगी, साथ ही आने वाले दशकों में एक व्यवहार्य वित्तीय महाशक्ति के रूप में भारत में रुचि की ओर झुकाव को भी नेविगेट करेगी. यह देखने के लिए एक धीमी गति से बदलाव की आवश्यकता होगी लेकिन 5 ट्रिलियन डॉलर उतना नहीं हो सकता जितना कि शुरू में माना गया था. इस माहौल में भी कर संग्रह बढ़ रहा है और दरों में कमी की कोई उम्मीद नहीं है. उम्मीदें हैं कि आने वाले महीनों में ब्लॉकचेन की दुनिया में नियामक स्पष्टता का कुछ रूप दिखाई दे सकता है, लेकिन बजट के आसपास कुछ भी ठोस नहीं है, जो सेक्टर में और अनिश्चितता के लिए जगह छोड़ देता है."

Builddके फाउंडर और सीईओ सचिन गायकवाड़ बताते हैं, "भारतीय फिनटेक और स्टार्टअप उद्योगों के लिए, 2022 एक शानदार वर्ष था. आगामी बजट को डिजिटल भुगतान में वृद्धि के आलोक में उपभोक्ताओं, खुदरा विक्रेताओं और इकोसिस्टम के समर्थकों को कर लाभ प्रदान करने पर ध्यान देना चाहिए. इसे बैंकों और के बीच अतिरिक्त सहयोग का समर्थन करना चाहिए. इसके अलावा, हमारा मानना है कि दोहरे कराधान से बचने के लिए ESOP नीति में ढील दी जानी चाहिए. सरकार को पीएसयू और बड़े निजी बैंकों के लिए सह-उधार मॉड्यूल को गैर-रेटेड के साथ भाग लेने के लिए अधिक लचीला बनाना चाहिए. एनबीएफसी अपने क्रेडिट अंडरराइटिंग मॉड्यूल को आधार बनाते हैं. फिनटेक और फाइनेंशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लेयर्स के लिए GST सब्सिडी जो टेक के माध्यम से टियर 2, 3, 4 शहरों तक पहुंच रहे हैं और बिना बैंक वाले सेगमेंट के लिए माइक्रोफिन प्रोग्राम चला रहे हैं, उन्हें ध्यान में रखा जाना चाहिए."

Unocoinके को-फाउंडर और सीईओ सात्विक विश्वनाथ बताते हैं, “भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने Bitcoin और Ether जैसे मुख्यधारा के विकल्पों सहित देश में क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडों के लिए एक नई कराधान योजना प्रस्तावित की है. यह कदम वर्षों के अनियमित व्यापार और ऐसी संपत्तियों के लिए नियामक परिभाषा की कमी के बाद नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है."

वे आगे बताते हैं, "क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडों के व्यापक कराधान के लिए एक अधिक विस्तृत रूपरेखा बनाने की दिशा में प्रस्ताव पहला कदम है, और परामर्श प्रक्रिया जारी है. वर्तमान प्रणाली के तहत, भारत में क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन 30% की एक फ्लैट आयकर दर के अधीन हैं, भले ही लेन-देन या लाभ के मूल्य की परवाह किए बिना. प्रत्येक क्रिप्टो निकास लेनदेन को ट्रैक करने के लिए सॉर्स (टीडीएस) नियम पर 1% कर कटौती भी है. उच्च कर दरों के कारण पूरे भारत में क्रिप्टो वॉल्यूम में 90% की कमी आई है. भारत में क्रिप्टो बाजार के विकास का समर्थन करने के लिए, वित्त मंत्री टीडीएस दर और आयकर दर को कम करने पर विचार कर सकते हैं, हानि सेट-ऑफ और कैरी-फॉरवर्ड की अनुमति दे सकते हैं, और कुल लाभ के आधार पर कर की दर लागू कर सकते हैं."

JLNPhenix Energy के सीईओ सुनील गांधी इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सेक्टर को लेकर, बताते हैं, "2023 बजट EV के लिए एक बड़ा अवसर हो सकता है. उद्योग के रूप में सरकार लागत प्रभावी लिथियम-आयन बैटरी उत्पादन और तेजी से EV अपनाने को सक्षम करने के लिए नीतिगत परिवर्तनों और बुनियादी रूपरेखा में सुधार की पहल पर ध्यान केंद्रित कर सकती है. हम उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार EV, एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (ESS) और EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बड़ी घोषणाएं करेगी."

वे आगे कहते हैं, "खासतौर पर लिथियम-आयन बैटरी में इस्तेमाल होने वाले पुर्जों पर आयात शुल्क में कमी को भी आगामी बजट में पेश किया जा सकता है. लिथियम-आयन बैटरी के लिए जीएसटी दर पर फिर से विचार करने और इसे 18% की वर्तमान दर से कम करने और EVs पर लागू जीएसटी दर यानी 5% के साथ मिलान करने की आवश्यकता है."

RunR Mobility के डायरेक्टर सेतुल शाह बताते हैं, "2023 के बजट से उम्मीदें काफी अधिक है, क्योंकि भारत के लॉजिस्टिक्स उद्योग को कम समय में डिलीवरी की आवश्यकता है, जिसे उन्नत तकनीक के उपयोग से प्राप्त किया जा सकता है. बजट में टेक्नोलॉजी को व्यापक रूप से अपनाने को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि छोटे पैमाने के ब्रांड भी उचित मूल्य पर इसकी शक्ति का लाभ उठा सकें. अधिकांश व्यवसायियों के लिए लंबी दूरी की डिलीवरी सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है. इसलिए, इस महत्वपूर्ण कारक को संबोधित करना महत्वपूर्ण है. मैं यह भी चाहता हूं कि बजट में उभरते हुए क्षेत्रों जैसे इलेक्ट्रिक वाहन, आईटी कार्यान्वयन और सड़कों पर भीड़भाड़ कम करने पर विशेष ध्यान दिया जाए."

EnterpriseDB के सीएमओ Scott Horn बताते हैं, "हम जो कुछ भी करते हैं और हर डॉलर खर्च करते हैं अंततः हमारे ग्राहकों के जीवन को आसान बनाने में योगदान करते हैं. एक चुनौतीपूर्ण बाजार में प्रासंगिक बने रहने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं और हम क्लाउड-आधारित टेक्नोलॉजी में तेजी देखना जारी रखेंगे." 

PredOmix के को-फाउंडर एवं चीफ साइंटिफिक ऑफिसर (CSO) डॉ. कानूरी वी एस राव बताते हैं, "नई टेक्नोलॉजी और आविष्कारों का परिचय स्वास्थ्य सेवा उद्योग को एक नए स्तर पर ले जा सकता है. उद्योग में एडवांस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, और इंटरनेट ऑफ मेडिकल थिंग्स (IoMT), आदि सहित उन आविष्कारों के रचनात्मक पक्ष को सरकार से अधिक समर्थन और धन की आवश्यकता है, विशेष रूप से स्टार्टअप और छोटे व्यवसायों को. विकास स्वाभाविक रूप से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में नए निवेशकों को आकर्षित करेगा.

वे आगे बताते हैं, "यह आवश्यक अस्पताल बुनियादी ढांचे, डायग्नोस्टिक लैब इंफ्रास्ट्रक्चर, और स्वास्थ्य सुविधाओं के बाहर एंबुलेंस/होम केयर सुविधाओं के उन्नयन में समकक्ष व्यय द्वारा समर्थित बेहतर बुनियादी ढांचे और क्षमताओं की स्थापना करके रोगी पहुंच में वृद्धि कर सकता है. आज ध्यान रखने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रियायती ऋणों के साथ हेल्थकेयर फंडिंग को अपग्रेड किया जाए, नए अस्पतालों के लिए भूमि आवंटित की जाए, और इसे कर-कटौती योग्य बनाकर सीएसआर निवेश को बढ़ावा दिया जाए, इसे कर-कटौती योग्य निवेश बनाकर सीएसआर निवेश को बढ़ावा दिया जाए.”

Quantumzyme के सीईओ नवीन कुलकर्णी बताते हैं, “भारत का प्रमुख फार्मा निर्यातक बनने का प्रयास प्रशंसनीय है, पर्यावरणीय प्रभाव पर विचार करने और हरित रसायन पहल का समर्थन करने की तत्काल आवश्यकता है. अधिक विशेष रूप से रासायनिक निर्माण के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए बायोटेक्नोलॉजी का योगदान है. जैव-उत्प्रेरक के विकास में रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान का यह अभिसरण पहले ही दुनिया भर में स्वच्छ औद्योगिक प्रक्रियाएँ प्रदान करने में सिद्ध हो चुका है. भारत को रासायनिक कंपनियों को इन नई तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना होगा और स्वदेशी आर का समर्थन करना होगा."

वे आगे कहते हैं, "इस मोर्चे पर भारतीय एमएसएमई के साथ भागीदारी करने वाली बड़ी फार्मास्यूटिकल और रासायनिक कंपनियों के रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट खर्चों पर विचार करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन से न केवल एमएसएमई अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्वच्छ और हरित पर्यावरण के लिए टेक्नोलॉजी अपनाने के बारे में जागरूकता भी पैदा होगी." 

Birla Brainiacs के फाउंडर निर्वान बिड़ला कहते हैं, "कोविड -19 की उन्मुक्तता और उद्योगों में बड़े पैमाने पर छंटनी के कारण, 2022 भारत के तकनीकी क्षेत्र के लिए कठिन रहा है. जैसा कि हम जानते हैं कि स्थाई उपाय करने की आवश्यकता समय के साथ बढ़ती जा रही है. हमें लगता है कि अन्य विकासों के साथ-साथ उस सेगमेंट को पूरा करना महत्वपूर्ण है. केंद्रीय बजट के बारे में बात करते समय भारत के सातत्य लक्ष्यों को सबसे आगे रखा जाना चाहिए. कंपनियों को उनके सतत कार्यरत रहने के प्रयासों के लिए उन्हें पुरस्कृत किया जाना चाहिए. 2 वर्ष पूर्व भारत में स्टार्टअप फल-फूल रहे थे, लेकिन पिछले एक साल में, छंटनी और बेरोजगारी बढ़ने के परिणामस्वरूप हमने उद्योगों में अनेकों प्रकार की गिरावट देखी है."

 

MyPeegu के फाउंडर और सीईओ चेतन जायसवाल कहते हैं, “इस बात को ध्यान में रखते हुए कि भारतीय राजकोषीय उद्योग अभी-अभी कोविड-19 के नतीजों से उबरा है, वर्ष 2022 व्यवसायों के लिए एक औसत वर्ष रहा है. हमने पूरी दुनिया में कई छंटनी देखी हैं. मुख्य मुद्दा अभी भी स्टार्टअप्स के लिए ये है, जिन्हें अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए व्यवसाय की असंख्य लागतों को वहन करना पड़ता है. पिछले वर्षों में, शिक्षा सरकार के लिए भी एक प्रमुख फोकस क्षेत्र रहा है. महामारी के दौरान वर्चुअल लर्निंग महत्वपूर्ण हो गई थी और कई छात्र शुरू में इसे अफोर्ड नहीं कर सकते थे. बहरहाल, हम धीरे-धीरे डिजिटलीकरण को सुलभ बनाने में सक्षम हो गए हैं. आने वाले वर्षों के लिए एक स्थायी प्रभाव बनाने के लिए सरकार निवेशकों के पूल को बढ़ाने के लिए करों में ढील देने जैसे उपाय कर सकती है.”

Scandron के फाउंडर और सीईओ अर्जुन नायक बताते हैं, "ड्रोन ट्रैकिंग के लिए आदर्श उपकरण हैं और निर्माण और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करना क्योंकि वे सटीकता के लिए सक्षम हैं. सरकार ने इसका संज्ञान लिया है और इस दिशा में महत्वपूर्ण नियामक कदम उठाए हैं, जैसे - औद्योगिक और वाणिज्यिक अनुप्रयोगों के लिए ड्रोन के उपयोग को उदार और सामान्य बनाना. इसी के साथ मेक इन इंडिया ड्रोन इंडस्ट्री ने उड़ान भरी. आगामी बजट में उद्योग को वित्त, बीमा तक पहुंच के मामले में समर्थन की आवश्यकता है. बैटरी, इंजन, उड़ान नियंत्रण जैसे महत्वपूर्ण घटकों के लिए नियमित आयात नीति इलेक्ट्रॉनिक्स, मोटर्स और इंजन, जो अभी भी मेक इन इंडिया के तहत उपलब्ध नहीं हैं. ड्रोन घटकों के लिए मानकीकृत आयात नीति तेजी से तकनीक को अपनाने की अनुमति देगी और ड्रोन घटकों का भारतीयकरण होगा. पूंजी वित्त बाजारों तक बेहतर और आसान पहुंच, उदारीकृत निवेश नीतियां और बीमा तक पहुंच मेक इन इंडिया ड्रोन उद्योग को बड़ी भूमिका निभाने की अनुमति देगी. यह परिपक्व होने और एक स्थायी मुख्यधारा उद्योग बनने की दिशा में छलांग है."

Utkarsh Classesके फाउंडर और सीईओ डॉ. निर्मल गहलोत बताते हैं, “इस साल के केंद्रीय बजट से हमारी मुख्य उम्मीदों में से एक है कि सरकार एक केंद्रीय समिति या एक बोर्ड का गठन करे, जो परीक्षा पेपर लीक के मामलों से निपट सके है, खासकर सरकारी परीक्षाओं में. हमें उम्मीद है कि इन परीक्षाओं में किसी भी तरह की कदाचार से बचने के लिए कड़ी कार्रवाई शुरू की जाएगी. यह लाखों उम्मीदवारों के प्रयासों को खत्म कर देता है और भर्ती बोर्डों और राज्य सरकारों के समय और संसाधनों को बर्बाद कर देता है. हम यह भी उम्मीद करते हैं कि विभिन्न सरकारी विभागों में रिक्त पदों पर नियुक्तियों को भरने के लिए प्रावधान किए जाए. हमारा मानना है कि वित्त मंत्री यूनियन स्तर पर एक बेरोज़गारी बोर्ड के निर्माण की घोषणा कर सकती हैं, जो बेरोज़गार युवाओं को उनके सामने आने वाली चुनौतियों/मुद्दों को आवाज़ देने और समाधान खोजने के लिए एक एजेंसी की पेशकश करेगा."

Jaro Educationकी सीईओ रंजीता रमन बताती हैं, “भारत में एडटेक सेक्टर इस वित्तीय वर्ष में बढ़ा है, जिसमें नई तकनीकें सामने आ रही हैं, जबकि कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि बड़े स्तर पर कर्मचारियों की छंटनी. मुझे लगता है कि सरकार को एडटेक इंडस्ट्री को और प्रमुख स्थान देने की जरूरत है. हमें उम्मीद है कि बजट 2023-24 में प्रशिक्षण कार्यक्रमों, एडटेक सेक्टर के संस्थागतकरण और उन्नत अनुसंधान एवं विकास का समर्थन करने की पहल के लिए अधिक धन आवंटित किया जाएगा. यह भारत को कार्यकारी और डिजिटल-आधारित शिक्षा के लिए एक अधिक स्पष्ट बाजार बनने की राह पर ले जाएगा. 5G के रोलआउट के साथ, अधिक कनेक्टिविटी की उम्मीद है और अगर धन को सही जगह पर सही तरीके से लगाया जाता है, तो ऑनलाइन-एजुकेशन बड़ी पहुंच हासिल करेगी."

Viceroy Properties LLP के फाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर साइरस मोदी बताते हैं, “मुद्रास्फीति का मुकाबला करने के लिए, भारत में रेपो दरों को 2022 के मध्य से शुरू होने वाली आरबीआई नीति घोषणाओं के दौरान उठाया गया था. 2023 में, उम्मीद है कि पिछले वर्ष की तुलना में रेपो दरों में कुछ बढ़ोतरी हो सकती है. यह विशेष रूप से किफायती आवास खंड में होमबॉयर्स की भावनाओं को कम कर सकता है. हालांकि, लग्जरी मार्केट में सेंटीमेंट आशावादी बने रहने की उम्मीद है. ऐसा माना जाता है कि भारतीय रियल एस्टेट बाजार आगामी केंद्रीय बजट के दौरान उद्योग की स्थिति के साथ-साथ नीतिगत घोषणाओं और कर संरचना जैसे कारकों से प्रभावित होगा. इस प्रकार, उस क्षेत्र के लिए सकारात्मक होना जिसने पिछले कुछ वर्षों में अच्छा प्रदर्शन किया है.”

Astir Venturesके फाउंडर किशोर गंजी बताते हैं, "सरकार बढ़-चढ़कर स्टार्टअप इकोसिस्टम की मदद कर रही है और इसने भारतीय स्टार्टअप स्पेस को वर्तमान में विकसित करने में एक अनिवार्य भूमिका निभाई है. कुछ संभावनाएं जिन्हें हम देखना चाहते हैं उनमें सेक्टर-केंद्रित फ़ंड शामिल हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि फाउंडर अलग-अलग सेक्टर्स में वेंचर करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. एक और सेक्टर जहां हम निवेश के लिए प्रोत्साहन देना चाहते हैं, जैसे स्टार्टअप निवेश को इवेंट के रूप में बढ़ावा देने पर टैक्स में छूट दी जानी चाहिए."

Aranca, Investment Research के सीनियर वाइस-प्रेसीडेंट अविनाश जी. सिंह बताते हैं, "किसी भी वर्ष की शुरुआत में भारत में फोकस में सबसे बड़ी घटनाओं में से एक 1 फरवरी को वित्त मंत्री द्वारा केंद्रीय बजट पेश किया जाता है. इस वर्ष, यह चुनाव से पहले होने वाला बजट है. 2024 में भारत के आम चुनाव निर्धारित हैं. आम तौर पर, चुनाव-पूर्व वर्ष के बजट बड़े पैमाने पर आम जनता को लक्षित योजनाओं और नीतियों के साथ लोकलुभावन होते हैं. हालांकि, हमें इस बार इस तरह के रुख की उम्मीद नहीं है. हमें विश्वास है कि सरकार बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश पर जोर बनाए रखते हुए विकास केंद्रित खर्च योजना पेश करेगी. इसलिए, हम बजट के महत्वपूर्ण लाभार्थियों के रूप में सार्थक आवंटन को देखने के लिए सड़क, रेलवे और शहरी आधारभूत संरचना क्षेत्रों को देखते हैं."

वे आगे कहते हैं, "हम यह भी उम्मीद करते हैं कि केंद्रीय बजट आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) के रूप में टेक्नोलॉजी के उपयोग में सरकार के निवेश पर ध्यान केंद्रित करेगा."

KL Deemed to be University के वाइस चांसलर डॉ. जी. पर्दा सरधी वर्मा (Dr. G.Pardha Saradhi Varma) बताते हैं, "आगामी बजट में, हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए उच्च बजट आवंटन के माध्यम से उचित विचार की उम्मीद कर रहे हैं. टेक्नीकल ग्रोथ, एडवांस नॉलेज, एडवांस लैब्स और सॉफ्टवेयर के लिए अलग से बजट आवंटन की सराहना की जाती है, जो कर सकते हैं. इसके अलावा, उन योजनाओं और नीतियों पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए जो कौशल विकास और उद्यमिता, सीड फंडिंग, भावी नेताओं के बीच पूंजीगत निधि को प्रोत्साहित करती हैं."

moneyHopके फाउंडर और सीईओ मयंक गोयल बताते हैं, "सबको इस साल के बजट से काफी उम्मीद है क्योंकि इस बार का बजट कोविड़-19 की महामारी के बाद का पहला बजट होगा. एक स्टार्टअप फाउंडर के रूप में, मैं यह देखने के लिए उत्सुक हूं कि कैसे सरकार ऑन्त्रप्रेन्योर्स  को फिनटेक, एग्रीटेक, इंडस्ट्री 4.0, आदि जैसे नए युग की इंडस्ट्रीज़ में भाग लेने और विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करेगी. फिनटेक की बात करें तो, यह अब कोई चलन नहीं है, बल्कि भारत में एक पूर्ण इंडस्ट्री है जो अगले 3-5 वर्षों में देश की GDP का लगभग 4-5% योगदान करेगी. यह संभावना है कि सरकार टैक्स इंसेंटीव्ज और रेगुलेटरी समर्थन जैसे उपायों के माध्यम से फिनटेक इंडस्ट्री के विकास का समर्थन करना जारी रखेगी."

वे आगे कहते हैं, "इसके अलावा, सरकार वित्तीय समावेश और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के उपायों की भी घोषणा कर सकती है, जिससे इन क्षेत्रों में काम करने वाली फिनटेक कंपनियों को लाभ होगा. सरकार भारत में फिनटेक इंडस्ट्री के विकास का समर्थन करने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे और साइबर सुरक्षा में सुधार के प्रयास भी कर सकती है. मंदी को देखते हुए, यह संभावना है कि एंजेल इन्वेस्टर के लिए कुछ अनुकूल नीति हो सकती जिसमें इन निवेशों पर tax deductions शामिल हो सकती है. FDIs ने भारत में फिनटेक स्टार्टअप इकोसिस्टम को फलने-फूलने में बहुत मदद की है, इसलिए FDIs के पक्ष में कुछ नीतियां भी भारत के फिनटेक लैंडस्केप के पक्ष में हो सकती है. इस साल के बजट में इन्क्यूबेशन सेंटर्स को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक न्यू-ऐज स्टार्टअप्स को इन्क्यूबेट किया जा सके जो कल के विशाल टेक MNCs बन सकते हैं."

CoverStAck के चीफ़ बिजनेस ऑफिसर श्रेयांस विजय बताते हैं, "बीमा क्षेत्र को अन्य वित्तीय सेवाओं की तरह सरकारी योजनाओं से समर्थन की आवश्यकता है. केंद्रीय बजट बीमा योजनाओं की बढ़ती खरीदारी में सुधार सुनिश्चित करने का एक ऐसा अवसर है. बीमा योजनाओं के माध्यम से कर बचत की जा सकती है. इन योजनाओं पर कम जीएसटी लगाकर इस क्षेत्र में खरीदारी बढ़ाई जा सकती है और इसे लोगों के लिए किफायती बनाया जा सकता है. आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए देश की जनता को बीमा योजनाओं में निवेश करना जरूरी है."

Yellowके फाउंडर और सीईओ निरंजन वेमुलकर ने कहा, “वर्तमान में, जो लोग वसीयत बनाना चाहते हैं, उन्हें पर्सनली डॉक्युमेंट्स पर साइन करना होता है. तभी उस वसीयत को लीगल माना जाता है. हालांकि भारत में बैंकिंग सर्विस और म्युचुअल फंड्स जैसे सर्विस प्रोवाइडर्स के पास अपने कस्टमर्स के लिए ई-सिग्नेचर अटेस्टेशन की सुविधा मौजूद है. जबकि भारत के इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के अनुसार डिजिटल विल मेकर्स को इ-सिग्नेचर की अनुमति नहीं है. यूनियन बजट 2023 में हम आशा करते हैं कि भारत में डिजिटल विल निर्माताओं को ई-सिग्नेचर सेवाएं प्रदान करने की अनुमति दी जाए ताकि अधिक से अधिक भारतीय अपने प्रियजनों की रक्षा के लिए आसानी से वसीयत बना सकें.”

MobiKwikGroup के को-फाउंडर, एमडी और सीईओ बिपिन प्रीत सिंग ने कहा, "आगामी बजट निस्संदेह भारतीय इकोनॉमी के विकास की दिशा में तैयार किया जाएगा, लेकिन इसे आम आदमी और सेलेरीड क्लास के सामने आने वाली चुनौतियों का भी समाधान करने की आवश्यकता है. हम एक ग्लोबल पैंडेमिक से उभर रहे हैं और चल रही वैश्विक आर्थिक मंदी से निपट रहे हैं. लोग विशेष रूप से बेरोजगारी के मुद्दे को हल करने, इन्फ्लेशन को नियंत्रित करने और आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को और अधिक किफायती बनाने के लिए आगामी बजट पर अपनी उम्मीदें लगा रहे हैं. सेलेरीड क्लास पर्सनल लोन्स पर कुछ खुशी की तलाश कर रहा है, उम्मीद है कि एनुअल बेसिक एक्सेम्पशन की सीमा मौजूदा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी जाए."

Castlerके को-फाउंडर और सीईओ विनीत सिंह बताते हैं, "भारत ने तहे दिल से डिजिटल पेमेंट्स को अपनाया है, और जैसा कि हम कैशलेस इकोनॉमी पर जोर देते हैं, ऐसी सेवाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता है जो एक सुरक्षित डिजिटल ट्रांजेक्शन इकोसिस्टम बनाने में मदद कर सकें. एक ऐसी सेवा जिस पर आगामी बजट में ध्यान देने की आवश्यकता है, वह है डिजिटल एस्क्रो, जो विभिन्न उपयोग के मामलों में डिजिटल पेमेंट्स में विश्वास पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है."

वे आगे कहते हैं, "मुझे यह भी उम्मीद है कि आगामी यूनियन बजट स्टार्टअप्स पर वित्तीय बोझ को कम करने के उपाय लाएगा, जैसे सालाना 10 करोड़ रुपये के टर्नओवर तक बिना जीएसटी के टैक्स को कम करना. फिक्स्ड एसेट्स पर डेप्रिसिएशन के लिए अधिक टैक्स ब्रेक शुरू करना. सीड स्टेज इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने के लिए एंजल टैक्स को कम करना और ईएसओपी पर डुअल टेक्सेशन को दूर करना. इसके अलावा, आगामी बजट में मेड-इन-इंडिया सॉफ्टवेयर उत्पादों के विकास को और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, और घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में स्वदेशी सॉफ्टवेयर निर्माताओं को फलने-फूलने में मदद करने के लिए 18% की जीएसटी दर को कम किया जाना चाहिए."

Siplyके को-फाउंडर और सीईओ सौस्थव चक्रवर्ती ने कहा, "बढ़ती कॉस्ट ऑफ लिविंग, बढ़ता इन्फ्लेशन और पेंडेमिक के प्रभाव ने मिडिल क्लास और लोअर मिडल क्लास को ज्यादा प्रभावित किया है. मिडल क्लास की सेविंग्स काफी आहत हुई हैं और आजकल लोग पहले जितना अमाउंट अपनी सेविंग्स में नहीं जोड़ पा रहे हैं जो कि भारतीय इकोनॉमी के लिए एक चिंता का विषय है. हम उम्मीद करते हैं कि बजट 2023-24 सैलरीड क्लास को कुछ टैक्स में कुछ राहत प्रदान करके. इन्फ्लेशन को नियंत्रित करने के लिए गुड्स एंड एसेंशियल सर्विस की लागत को कम और सेक्शन 80C के तहत लिमिट बढ़ाने की भी करने की ज़रूरत है. कुल मिलाकर आगामी बजट को बचत और इन्वेस्टमेंट ओरीयेन्टेड इकोनॉमी बनाने की दिशा में तैयार किया जाना चाहिए."

वे आगे कहते हैं, "इसके अतिरिक्त, जबकि भारत सरकार ने स्टार्टअप्स को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन देने के लिए कई उपाय किए हैं फिर भी और उपायों की आवश्यकता है. जैसे कि, हम सीड स्टेज पर एंजल इन्वेस्टर पूल में वृद्धि और एंजेल टैक्स पर कर राहत की उम्मीद करते हैं, जो स्टार्टअप्स के विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम होगा.”

Eloeloके को-फाउंडर और सीईओ सौरभ पांडे ने कहा, “इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग इंडस्ट्री का लगभग 1,500 करोड़ रुपये की होने का अनुमान है और यह डिजिटल मार्केटिंग इंडस्ट्री का एक प्रमुख हिस्सा बन गया है. आमतौर पर, एक इन्फ्लुएंसर दो तरह से कमाता है. पहला फ्रीलांस गिग्स के माध्यम से है, जहां एक इन्फ्लुएंसर शॉर्ट वीडियोज़ बनाकर या लाइव स्ट्रीम आदि करके फ्रीलांस आधार पर ब्रांड्स के साथ काम करते हैं. दूसरा है बार्टर कोलेबोरेशन, जिसमें ब्रांड्स अपने प्रोडक्ट्स इन्फ्लुएंसर को भेजते हैं और इन्फ्लुएंसर उन्हें रिव्यू करते है. बार्टर कोलाबोरेशन की बात करें तो यह एक महत्वपूर्ण कदम है कि सरकार ने इसे फोर्मलाइज कर जीएसटी में शामिल कर दिया है, जिससे इन्फ्लुएंसर्स काफी रिकॉग्निशन मिला.“

वे आगे कहते हैं, ”हालांकि, सरकार ने इसे 18% GST स्लैब में शामिल किया है. अब इन्फ्लुएंस को ब्रांड्स द्वारा आए प्रोडक्ट्स पर 18% GST देना पड़ता हैं जिसका इन्फ्लुएंसर्स पर एक प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. अब फ्रीलांस गिग्स की बात करें तो 20 लाख रुपये से अधिक कमाने वाले इन्फ्लुएंसर्स को भी 18% GST स्लैब में रखा गया है. जैसा कि क्रिएटर इकोनॉमी एक उभरती हुई इकोनॉमी है, हम उम्मीद करते हैं कि सरकार इस स्लैब को घटाकर 5% या 12% पर ले आए, जो अधिक क्रिएटर्स को इसे फुल-टाइम करियर के रूप में लेने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है. मुझे यकीन है कि GST स्लैब कम होने से अधिक लोग कंटेंट क्रिएशन को एक लेजिट करियर ऑप्शन की तरह देखने में मदद करेगा.”

QuoDeck की को-फाउंडर और सीईओ कमालिका भट्टाचार्य ने कहा, “आज भारत में गिग इकॉनमी में बहुत तेजी से बढ़ रही है और हमारे भविष्य के लिए बहुत जरूरी है. इस बार के बजट में हमारी उम्मीद यह है कि गवर्मेंट कुछ ऐसे इंसेंटिव और रिवॉर्ड अनाउंस करें जिससे कंपनी को जॉब क्रिएशन के लिए और मौका मिले. कोडेक में हमारा मानना है कि रिवार्ड्स इंसेंटिव देने से लोगों का ज्यादा प्रोत्साहन बढ़ता है जैसे कि एक्सपोर्ट इंसेंटिव देने से कंपनी ज्यादा एक्सपोर्ट करती हैं वैसे ही अगर गिग इकोनामी जॉब क्रिएशन के लिए रिवार्ड्स और इंसेंटिव दिए जाए तो इस सेगमेंट की काफी उन्नति हो सकती है."

Join Venturesऔर IGP.com के फाउंडर और सीईओ तरुण जोशी ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि इस साल का बजट भारतीय परिवारों की पर्चेंज़िंग पावर बढ़ाकर कंजम्पशन को बढ़ावा देगा. कुछ प्रोडक्ट पर टैक्स स्लैब मैं कमी और GST में बदलाव इस दिशा में एक अच्छा उपाय होगा. यह करने से सभी कंज्यूमर बिजनेस को बूस्ट भी मिलेगा. नए युग के D2C ब्रांड्स भारत की कंज्यूमर सेक्टर में एक बड़ा प्रभाव पैदा कर रही है. हम उम्मीद करते हैं कि इस साल के बजट में D2C सेक्टर को प्रोत्साहन दिया जाएगा. अंत में इंडियन बिजनेस को ग्लोबल लेवल पर बड़ा बनने के लिए लेटेस्ट टेक्नोलॉजीज को अपनाने की आवश्यकता है. हम उम्मीद करते हैं कि इस बजट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग जैसी नए युग की टेक्नोलॉजीज का उपयोग करने के लिए टैक्स इंसेंटिव दिए जाएंगे."

Altigreen के फाउंडर और सीईओ डॉ. अमिताभ सरन बताते हैं, "हम चाहते हैं कि भारत सरकार संज्ञान ले और दोपहिया वाहनों को दी गई योजना की तरह ही फेम-II योजना के विस्तार के बारे में सोचे. वाणिज्यिक बैंकों को वित्तपोषण सहायाता के साथ आगे आने और ब्याज दरों को घटाने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है. ईवी की बिक्री पर 5 फीसदी जीएसटी लगता है, जबकि ओईएम स्पेयर पार्ट्स के लिए 28 फीसदी जीएसटी देते हैं. अगर उन्हें 5 फीसदी ब्रैकेट के तहत लाया जाए तो कीमत में कमी आएगी और ईवी अपनाने में बढ़ोतरी हो सकती है. चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कम उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है और इस समस्या से निपटने के लिए एक मजबूत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की जरूरत है. हमें उम्मीद है कि सरकार भारत भर में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के लिए अधिक कैपेक्स सब्सिडी (10-50 फीसदी तक) देगी."

Aponyx EV के फाउंडर और चेयरमैन MS Chugh ने कहा, "EV बिज़नेस सरकार से फाइनेंसियल इंसेंटिव स्कीम की अवधि बढ़ाने की उम्मीद कर रहा है, जो पिछले साल FAME-II के तहत इंडस्ट्री को प्रदान की गई थी. इसके अलावा आने वाले बजट में ईवी बिज़नेस को उम्मीद है कि सरकार लास्ट-माइल डिलीवरी और स्पेयर पार्ट्स की बिक्री के लिए GST कम करेगी, साथ ही देश भर में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के लिए सब्सिडी पर भी अहम कदम उठाएंगी. FAME II की वैधता 31 मार्च, 2024 को समाप्त होने वाली है, इसलिए EV कंपनिया चाहती है कि सरकार इसकी वैधता को 2024 तक बढ़ा देताकि इस क्षेत्र को और अधिक बढ़ावा मिल सके."

DayFi के को-फाउंडर और सीटीओ रजत होंगल बताते हैं, "निर्मला सीतारमण के नेतृत्‍व में कर ढांचे ने वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (वीडीए) के तहत् क्रिप्टो के लिए नियम बनाने पर तेजी से काम किया है. क्रिप्टो टोकन्‍स और एनएफटी (डिजिटल एसेट) में वीडीए का वर्गीकरण अभी आना बाकी है और टीडीएस के तहत् कर दायरा और कुल कर के मुद्दे को इसके ट्रांसफर पर कराधान जैसे मामलों के साथ आगामी केंद्रीय बजट के दौरान स्पष्ट किया जा सकता है. हम इस साल के बजट में क्रिप्टो में अधिक स्पष्ट नियम और कर कानून देख सकते हैं."

EcoSoul Homeके को-फाउंडर राहुल सिंह बताते हैं, "आगामी बजट में ग्रीन प्रोडक्ट पालिसी को लेकर एक नीति लाई जानी चाहिए, ताकि सिंगल यूज़ प्लास्टिक से निजात पाई जा सके. यदि ऐसा होता है तो यह ईको -फ्रेंडली प्रोडक्ट्स इंडस्ट्री के लिए मील का पत्थर साबित होगा. प्लास्टिक यूज़ को मॉनिटर करने वाली टेक्नोलॉजी और ग्रीन-प्रोडक्ट्स के नाम पर गलत प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनियों और उसे इस्तेमाल करने वाले लोगों नज़र रखनी होगी. हम आशा करते हैं कि सरकार प्रोक्योरमेंट पॉलिसी को लेकर भी कुछ नीतियां लेकर आएगी, ताकि गवर्नमेंट बिल्डिंग, डिपार्टमेंट्स, रेलवेज और मिलिट्री में ईको -फ्रेंडली प्रोडक्ट्स इस्तेमाल किया जा सके."

AgriBid Pvt. Ltd. के को-फाउंडर आशुतोष मिश्रा ने कहा, "फार्म बिल के साथ सरकार का लक्ष्य किसानों को व्यापक बाजार लिंकेज प्रदान करना था. अफसोस की बात है कि इसे लागू नहीं किया जा सका. इसके बावजूद हम उम्मीद करते हैं कि सरकार एग्रीटेक स्टार्टअप्स पर ध्यान केंद्रित करेगी जो किसानों के जीवन में बदलाव लाने का लक्ष्य रखते हैं. बजट से हमारी उम्मीद है कि चाहिए. बाजार में कृषि-स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करने के लिए एक समर्पित नीति बनें. बाजार से जुड़ाव, सिंचाई, आनुवंशिक बीज आदि की दिशा में कई कृषि स्टार्ट-अप काम कर रहे हैं. यह किसान और कृषि उद्यमी के बीच एक सहजीवी संबंध बनाने में एक लंबा रास्ता तय कर सकता है. बजट 2023-24 उस दिशा में सार्थक शुरुआत कर सकता है."

हेल्थटेक कंपनी Vesta Elder Care के फाउंडर राहुल मिश्रा बताते हैं, "यदि हम हेल्थ केयर में कुल जीडीपी के खर्चे की बात करें तो यह 2020–2021 में महज 1.8% जबकि 2021–2022 में 2.1% था. सो, यह जरुरी है कि इसमें बेहतर सुधार के लिए इसे 1.5% बढ़ाया जाये ताकि नेशनल हेल्थ पॉलिसी- 2017 के लक्ष्य को हासिल किया जा सके, जिसके अनुसार हेल्थ केयर पर कुल जीडीपी का 2.5% खर्च किये जाने का लक्ष्य था. इसके अलावा, 2022-23 के यूनियन बजट में मिनिस्ट्री ऑफ़ हेल्थ एंड फॅमिली वेलफेयर (MoHFW) को 86,200.65 करोड़ रुपये दिए गए थे. इसे भी 20 % बढ़ाये जाने कि आवश्यकता है, ताकि बढे हुए फंड का इस्तेमाल इस क्षेत्र के इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं को और बेहतर बनाने में किया जा सके. इसके अलावा यह आवश्यक मेडिकल इक्विपमेंट व मेडिकेशन्स की उपलब्धता और डॉक्टरों और नर्सों को बेहतर ट्रेनिंग देने में भी अहम भूमिका निभाएगा.'

LandShare India और Agrocorp Landbase के निदेशक आरुष नागपाल ने कहा, “रियल एस्टेट के दृष्टिकोण से, मेरी कुछ उम्मीदें हैं जैसे कि किफायती आवास विकास के लिए धारा 80IBA 100% टैक्स ब्रेक 31 मार्च, 2022 तक स्वीकृत परियोजनाओं के लिए उपलब्ध था. इस परियोजना के तहत डेवेलपर्स पूर्ण कर छूट का दावा कर सकते हैं , बशर्ते वे कुछ आवश्यकताओं को पूरा करते हों, जैसे अनुमोदन की तिथि. हमें लगता है कि इस नीति को फिर से पेश करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह निस्संदेह किफायती आवास विकास की लाभप्रदता बढ़ाने के लिए सबसे ठोस कदम है. इसके अलावा, लोकप्रिय मांगों में से एक जो पूरी नहीं की गई है, वह रियल एस्टेट के लिए सिंगल-विंडो अनुमोदन और उद्योग वर्गीकरण है. इस क्षेत्र का अनुमान है कि इसे अंततः आगामी बजट में संबोधित किया जाएगा."

Lawyered के फाउंडर और सीईओ हिमांशु गुप्ता ने कहा, "'इस साल के बजट से स्टार्टअप के पर्सपेक्टिव से जो सबसे पहला एक्सपेक्टेशन है एक्सपेंशन ऑफ़ गोवेर्मेंट स्कीम जो सरकार को स्टार्टअप के लिए क्रेडिट गारंटीड स्कीम फॉर स्टार्टअप सी जी एस एस और स्टार्टअप इंडिया लोन्स जैसे सरकारी योजनाओ पर ज़ोर देना चाहिए ताकि उन्हें स्टार्टअप्स के लिए आराम से एक्सेसिबल बनाया जा सके. दूसरा है टैक्स एक्सेम्पशन सरकार को स्टार्टअप्स के लिए टैक्स एक्सेम्पशन स्टार्ट करने के लिए विचार करना चाहिए ताकि उन्हें भारत में ऑपरेशन सेटअप और एक्सपैंड करने के लिए बढ़ावा दिया जा सके. तीसरा विचार यह रहेगा की इन्वेस्टमेंट इंसेंटिव सरकार को स्टार्टअप में जो इन्वेस्ट करने वाले इन्वेस्टर्स के लिए टैक्स रिबेट या कैपिटल गेन इन्वेस्टमेंट शुरू करने पर विचार करना चाहिए इससे हमारे जो इन्वेस्टर्स है वह और स्टार्टअप्स में इन्वेस्ट करने के लिए ध्यान देंगे और टैलेंट एक्विजिशन इन्सेन्टिव्स सरकार को टैलेंट एक्विजिशन इन्सेन्टिव्स रोल आउट करने पर ध्यान देना चाहिए ताकि स्ट्रटअप्स के लिए हाई क्वालिटी टैलेंट आसानी से अट्रैक्ट हो पाए."

NRI Chaiwala के फाउंडर जगदीश कुमार बताते हैं, “खाद्य और पेय क्षेत्र में महामारी के महत्वपूर्ण नुकसान के कारण, यह महत्वपूर्ण है कि हम केंद्रीय बजट 2022-23 को समर्थन के लिए देखें. एक खाद्य और पेय कंपनी को भारत में कई लाइसेंस प्राप्त करने चाहिए. 2023 का बजट वह जगह है जहां हम उम्मीद करते हैं कि सरकार इसे संबोधित करेगी. इस क्षेत्र को एक राहत पैकेज और त्वरित सुधार के लिए एक विशेष बजट आवंटन देना भी महत्वपूर्ण है, यह देखते हुए कि यह महामारी के प्रकोप के परिणामस्वरूप संघर्ष कर रहा है. इसके अतिरिक्त, स्टार्टअप में निवेश करना जोखिम भरा और अतरल है. इसलिए, निवेशकों (आधार दरों सहित) के लिए सूचीबद्ध और अपंजीकृत संपत्तियों के बीच पूर्ण कर समानता होनी चाहिए. सरकार की निवेश प्रोत्साहन पहलों के साथ आगे बढ़ते रहना आवश्यक है.“

Prayatna Microfinance की सीईओ सौम्या श्रीवास्तव बताती हैं, "जबकि इंट्राडे डेरिवेटिव ट्रेडिंग को व्यावसायिक आय के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, इंट्राडे कैश मार्केट ट्रेडिंग को सट्टा आय के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. इसके अलावा, एक वर्ष से कम समय तक चलने वाले गैर-इंट्राडे सौदों को अल्पावधि के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. "अल्पकालिक आय" के अंतर्गत, सट्टा आय चुनें. यह करदाताओं के लिए आय वर्गीकरण को सरल करेगा और सिस्टम से कुछ अनिश्चितता को दूर करेगा. इसके अतिरिक्त, कर दायित्वों को स्थापित करने के लिए किसी संपत्ति को दीर्घकालिक या अल्पकालिक के रूप में वर्गीकृत किया गया है या नहीं, यह पहचानने के लिए सीमा की कमी, अधिकांश निवेशकों के लिए समझना मुश्किल है. ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रत्येक परिसंपत्ति प्रकार का एक अलग होल्डिंग समय होता है जिसे दीर्घकालिक निवेश के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिए पूरा किया जाना चाहिए. इक्विटी फंड की इकाइयों को एक वर्ष के लिए रखा जाना चाहिए, अचल संपत्ति और गैर-सूचीबद्ध शेयरों को दो साल के लिए रखा जाना चाहिए, और ऋण निधि की इकाइयों को कम से कम तीन वर्षों के लिए रखा जाना चाहिए, ताकि वे लंबी अवधि की पूंजीगत संपत्ति के रूप में रिकॉर्ड लाभ पर कम कर दर के अधीन हों.”

Lucent Innovation के को-फाउंडर और सीईओ नितेश कासमा कहते हैं, "1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2023-24 के प्रकाशन के साथ, भारत को वर्तमान भू-राजनीतिक रूप से अप्रत्याशित समय में निवेश के लिए एक साइट के रूप में और अधिक आकर्षण प्राप्त होने की उम्मीद है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने का एक बड़ा हिस्सा संभवतः सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विकास के माध्यम से होगा. सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, आईटी उद्यमों के पास अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौतों को पूरा करने की समय सीमा होनी चाहिए, और अधिक स्टार्टअप कर्मचारियों को उनके कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजनाओं पर कर भुगतान स्थगित करने की अनुमति दी जानी चाहिए. उम्मीद की जाती है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अत्याधुनिक तकनीक बनाने वाली आईटी कंपनियों के लिए और अधिक नियमों और प्रोत्साहनों की घोषणा करेंगी, जिससे देश के आर्थिक माहौल में सुधार होगा. दूसरे, पूंजीगत वस्तुओं पर जीएसटी रिफंड के लिए आवेदन करने पर प्रतिबंध से एक महत्वपूर्ण वित्तीय बाधा उत्पन्न होती है. लंबे समय से यह मांग की जाती रही है कि जिन करदाताओं को उनके द्वारा निर्यात की जाने वाली सेवाओं पर जीएसटी का भुगतान करने से छूट प्राप्त है, उन्हें इस तरह की छूट प्राप्त हो."

Karigari के निदेशक मनीष शर्मा बताते हैं, "आतिथ्य उद्योग पर महामारी के प्रभाव को कम कर दिया गया है, लेकिन फिर भी यह होटल के कमरों पर माल और सेवा कर (जीएसटी) की उच्च दरों और पिछले बजट में सरकार की सीमित सहायता एक चिंता का मुद्दा है. मुझे जीएसटी दरों के अलावा नए होटलों के विकास के लिए ऑनलाइन सिंगल विंडो क्लीयरेंस की भी उम्मीद है. औद्योगिक उद्योग की तरह ही बिजली पर भी सब्सिडी दी जानी चाहिए. इसके अलावा, यह लंबी अवधि के धन उगाहने का समर्थन करेगा, जो अनुभवात्मक गुणवत्ता को बढ़ाएगा. शायद बजट में खपत और खर्च को बढ़ावा देने के लिए घोषणाएं होंगी. आगामी बजट में सुरक्षा और स्वच्छता के लिए भी एक बड़ी राशि आवंटित की जा सकती है. इन घोषणाओं का होटल उद्योग के लिए एक छोटा अप्रत्यक्ष लाभ होता रहेगा. पिछले एक साल में सड़क यातायात में मजबूत वृद्धि को देखते हुए, कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे में सुधार के कदमों का आतिथ्य बाजार पर लाभकारी प्रभाव पड़ेगा."

Rockland Hotels की निदेशक सान्या श्रीवास्तव कहती हैं, “आतिथ्य उद्योग के प्रतिस्पर्धी माहौल में, 18% जीएसटी बहुत अधिक है; इसे 12% की दर से कम करना बेहतर है. वित्त मंत्री से उम्मीद है कि ईपीसीजी योजना के लिए अर्जित विदेशी मुद्रा को विदेशी मेहमानों द्वारा होटलों में भारतीय रुपये में किए गए भुगतान के रूप में गिना जाए. ईपीसीजी योजना के प्रयोजनों के लिए, भारत में आने वाले अंतर्राष्ट्रीय आगंतुक जो होटलों में रहते हैं और खर्च करते हैं, उन्हें होटलों द्वारा अर्जित विदेशी मुद्रा माना जाना चाहिए. एक अन्य सुझाव यह है कि 2019-20 के बाद कम से कम 5 वर्षों के लिए होटल रिवार्ड पॉइंट्स को स्कीम के तहत 5% पर रखा जाए और सर्विस एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (SEIS) के तहत होटलों को मिलने वाले लाभों को बहाल किया जाए. अंत में, निवेश में तेजी लाने के प्रयास में ई-अनुमोदन के आधार पर अधिकांश सामान्य अनुमोदन, लाइसेंस और परमिट के लिए केंद्रीकृत अनुमोदन प्रणाली स्थापित करने के लिए आवश्यक लाइसेंस की कुल संख्या को कम करने का आग्रह किया गया है. इन्हें या तो एक निर्धारित समय अवधि के भीतर स्वीकृति प्रदान की जानी चाहिए."

The Dialogue के प्रोग्राम मैनेजर सक्षम मलिक बताते हैं, "आगामी केंद्रीय बजट 2023 को 1 फरवरी को पेश किया जाना है. इसे लेकर इंडस्ट्री, सिविल सोसाइटी और लोकल गवर्नेंस स्टेकहोल्डर्स अपनी साझा राय पेश कर रहे हैं, जिसके मुताबिक इस बार के आम बजट में डिजिटल समावेशन पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए. ऐसा माना जा रहा है कि बजट में टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम के बुनियादी ढांचे के विकास पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए. सरकार ने हाल ही में 5G सर्विस को रोलआउट करके साफ संदेश दे चुकी है कि वो टेक्नोलॉजी सेक्टर और उसके इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने की दिशा में प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है. देश में इंटरनेट को विस्तार देने वाले स्टेकहोल्डर्स को प्रोत्साहित करके सरकार इस दिशा में एक कदम और आगे बढ़ सकती है. इससे एजूकेशन को टेक्नोलॉजी और इंटरनेट से जोड़ने के काम में तेजी आएगी. साथ ही इंटरनेट और डिजिटल के एडॉप्शन को बल मिलेगा. शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी की तरफ से भारतीय एजुकेशन सेक्टर में सुधार के लिए कई कदम उठाए गए हैं. ऐसे में इस बार के केंद्रीय बजट 2023 में सरकार की तरफ से एजूकेशन सेक्टर के बजट में बढ़ोतरी और टैक्स के बोझ में कमी की उम्मीद की जा रही है. अगर ऐसा होता है, तो यह डिजिटल समावेशन के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा."

BlockLegal की फाउंडर शैफाली पाहवा बताती हैं, "इस बार के केंद्रीय बजट 2023-24 का इंतजार आम लोग बेसब्री से कर रहे हैं. आम जनता को उम्मीद है कि इस बार का केंद्रीय बजट काफी लोक लुभावना होगा. लोगों को उम्मीद है कि इस बार के बजट में आय में बढ़ोतरी की स्कीम के अलावा सेविंग और निवेश की स्कीम में इजाफा किया जा सकता है. ऐसे में आम बजट को लेकर लोगों की उम्मीद की लिस्ट में अपेक्षाओं का बढ़ना लाजमी हो जाता है. केंद्रीय बजट 2023 में लोगों को सबसे ज्यादा उम्मीद है कि सरकार टैक्स स्लैब में बदलाव करके टैक्स छूट की सीमा को बढ़ा सकती है."

वह आगे कहती है, "व्यक्तिगत टैक्स पेयर के लिए सरकार दो तरह के ऑप्शन देती है कि टैक्सपेयर चाहे, तो नए टैक्स या फिर पुराने टैक्स सिस्टम के हिसाब से टैक्स दे सकता है. हालांकि एक समस्या पैदा हो गई है कि लोग कंफ्यूज हैं कि वो हर असेसमेंट ईयर में कौन से टैक्स सिस्टम के तहत टैक्स भरें. उनके लिए यह समझना मुश्किल है कि आखिर कौन सा टैक्स सिस्टम सिंपल है. इसके अतिरिक्त नया टैक्स सिस्टम उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जिनकी ग्रॉस टोटल इनकम (GTI) 15 लाख रुपये तक है. इसमें टैक्सपेयर कई सारे छूट का खर्च को दिखा सकते हैं. वही जो इस कैटेगरी में नहीं आते हैं, उनके लिए टैक्स का नया सिस्टम अच्छा नहीं है."

शैफाली कहती है, "इसी का नतीजा है कि आम आदमी उम्मीद कर रहा है कि इस बार के केंद्रीय बजट में नॉन सीनियर सिटीजन, सीनियर सिटीजन और सुपर सीनियर सिटीजन के बीच के टैक्स सिस्टम को साफ कर दिया जाए. साथ ही सीनियर सिटीजन को टैक्स में छूट दी जाए. ऐसे में केंद्रीय बजट में सरकार को इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 24(b) के तहत होम लोन पर 2 लाख की हर वित्तीय वर्ष में मिलने वाली टैक्स छूट में बदलाव करना चाहिए. साथ ही होम पर दिए जाने वाले ब्याज पर मिलने वाली छूट में भी उसी हिसाब से बदलाव किए जाने चाहिए."

Trace Network Labs के को-फाउंडर लोकेश राव बताते हैं, "हमारा मानना है कि जब डिजिटल संपत्तियों के हैंडलिंग और मैनेजमेंट की बात आती है, तो भारत इस मामले में एक बड़ी सफलता हासिल करने के लिए तैयार है. इसी समय में हम आम बजट 2023 से बड़ी उम्मीद रख रहे हैं. हमें ऐसा लगता है कि यह सही समय है जब सरकार को क्रिप्टो टैक्स की दर में कमी करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर और निरीक्षण करें. सरकार को वर्चुअल डिजिटल संपत्ति टैक्स सिस्टम को लागू करने से पहले सैंडबॉक्स नजरिए से इसे लागू कर के देखना चाहिए. सरकार की वीडीए टैक्स के नियमों और इस्तेमाल और लेनदेन को अमल में लाने से पहले टेस्टिंग करनी चाहिए. जिससे वी.डी.ए. टैक्स सिस्टम में ज्यादा पारदर्शिता आ सकेगी. सरकार टेक्नोलॉजी एडॉप्शन की दिशा में काफी आगे रही है. ऐसे में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स को भी सरकार की तरफ से मान्यता देने पर विचार करना चाहिए. साथ ही इसका समर्थन करना चाहिए. जिससे इस टेक्नोलॉजी में इनोवेशन और डेवलपमेंट के रास्ते को आगे बढ़ाया जा सके. सरकार की यह कोशिश आखिरकार देश की आर्थिक तरक्की की राह को मजबूत करेगी."

Mildcares (Gynocup) के फाउंडर संदीप व्यास ने कहा है कि 2023 को बजट महिलाओं की जरूरतों के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए. उनका सुझाव है कि बजट में महिलाओं के लिए स्वास्थ्य संबंधी उत्पादों और सेवाओं के लिए कुल बजट का 2.5% से 3% आवंटित किया जाना चाहिए. उनका मानना ​​है कि महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित नीतियों और कार्यक्रमों को मजबूत किया जाना चाहिए और उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जाना चाहिए. इसमें महिलाओं की स्वच्छता, मासिक धर्म स्वास्थ्य, पोषण, प्रसव पूर्व और प्रसवोत्तर देखभाल और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने जैसी नीतियां शामिल हैं. वे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं, स्वच्छता और स्वच्छता के महत्व पर भी जोर देते है. उनका मानना ​​है कि बजट में महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण पर केंद्रित स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक ध्यान देना चाहिए. हाल ही के वर्षो में महामारी से लड़ने के बाद हमे खुदको एक बेहतर कल के लिए तैयार करना होगा.

Gram Unnati के फाउंडर अनीश जैन बजट से कृषि सेक्टर की उम्मीदें बताते हुए कहते हैं कि करोड़ों भारतीय कृषि के ऊपर अपनी आजीविका के प्राथमिक स्रोत के रूप में निर्भर हैं. इसी वजह से हर बजट में कृषि सेक्टर पर मुख्य रूप से ध्यान दिया जाता है. इस बार भी हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए नई स्कीम और प्रोजेक्ट लागू करेगी. किसानों की कमाई बढ़ाने के लिए जरूरी है कि पैदावार बढ़ाने वाली तकनीक और प्रजातियां किसानों के द्वारा अपनाई जाएं. इन तकनीक का प्रदर्शन किए जाने की स्कीम किसानों को इन्हें अपनाने में एक अहम योगदान दे सकती है.

ये स्कीम और प्रोजेक्ट डिजाइन करते वक्त ध्यान रखना होगा कि इन्हें गांव या ग्राम पंचायत स्तरों पर लागू किया जाए, वरना मार्केट लिंकेज में चुनौतियां आएंगी. साथ ही आधुनिक क्रॉप टेक्नोलॉजी को प्रोत्साहित करने के लिए इंसेंटिव कार्यक्रम भी चलाया जा सकता है. इन कार्यक्रमों से किसानों की यूरिया और डीएपी जैसे उर्रवरकों पर निर्भरता कम होगी. एफपीओ और एग्रिटेक कंपनियों को कृषि सप्लाई चेन से जोड़ने के लिए वर्किंग कैपिटल क्रेडिट गारंटी स्कीम भी चालू कराई जा सकती है. इससे किसानों को उनकी फसल का भुगतान तुरंत मिल सकता है. साथ ही एफपीओ और एग्रीटेक कंपनियों के माध्यम से सीधा मार्केट से जुड़ाव हो सकता है.

Leads Connect के फाउंडर नवनीत रविकर बजट से उम्मीद करते हैं कि एफपीओ और किसानों को जीएसटी के जरिए फायदा पहुंचाना चाहिए और जीएसटी शून्य कर देनी चाहिए. साथ ही किसानों के लिए मंडी टैक्स को भी हटाए जाने की जरूरत है. यूनिवर्सल क्रॉप स्कीम लॉन्च होनी चाहिए, जिससे किसानों को फायदा हो. इसके तहत जिन किसानों के पास 2 हेक्टेयर से कम जमीन है, उनके लिए फसल बीमा योजना जीरो प्रीमियम पर होनी चाहिए. एक थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेशन होना चाहिए, जो क्लेम सेटलमेंट का काम करेगा. इससे जल्दी क्लेम निपटेगा और किसानों को फायदा होगा. इंश्योरेंस एक्ट में बदलाव कर के ऐसा किया जा सकता है, जिससे किसानों को जल्दी क्लेम मिल सकेगा. ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग में जो सब्सिडी एफपीओ को मिल रही है, वह सब्सिडी एग्री फिनटेक सेक्टर में भी मिलनी चाहिए. प्राइवेट रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन को भी ये सब्सिडी मिलनी चाहिए. इससे रिसर्च में ड्रोन का इस्तेमाल करना आसान हो सकेगा.

Pataa (Pataa Navigations) के को-फाउंडर रजत जैन ने यूनियन बजट पर टिप्पणी करते हुए कहा, “आने वाले बजट में, सरकार को स्टार्टअप के साथ पार्टनरशिप को प्राथमिकता देनी चाहिए. साथ ही सरकार को उन स्टार्टअप्स को आर्थिक मदद देनी चाहिए जिनके प्रोडक्ट और सर्विसेज सरकार की ज़रूरतों के अनुरूप हो. इसके अतिरिक्त, सरकार को स्टार्टअप्स के लिए स्ट्रैटैजिक पार्टनर के रूप में काम करना चाहिए ताकि सरकारी चैनलों के माध्यम से स्टार्टअप को प्रोडक्ट और सर्विसेज का मुद्रीकरण करने में मदद हो सके. अंत में, सरकार को स्टार्टअप्स के लिए टैक्स हॉलीडे और सब्सिडी की टाइमलाइन बढ़ानी चाहिए, यह मानते हुए कि स्टार्टअप को मैच्यौर होने में आम तौर पर 5-7 साल लग ही जाते हैं. इन संसाधनों को प्रदान करके, सरकार स्टार्टअप्स को सफल होने में मदद कर सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था और समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. साथ ही साथ मेरा माना है की सरकार को स्टार्टअप्स के लिए फंडिंग, कनेक्शन और अन्य संसाधनों तक पहुंचने के लिए वन-स्टॉप पोर्टल भी बनाना चाहिए.“

Exalta के फाउंडर आशुतोष वर्मा ने कहा, "भारत दुनिया के सबसे बड़े इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर में से एक है इसीलिए हमे इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करते हुए सरकार से सब्सिडी बढ़ाए जाने की उम्मीद है ताकि इस क्षेत्र में और अधिक विस्तार हो सकें. भारत में ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए ईवी चार्जिंग और स्वैपिंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. इसके अलावा सरकार को इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कुछ ऐसी अन्य योजनाएं भी लानी चाहिए, जिससे इसके क्षेत्र का तेजी से विस्तार हो सकें. यह न सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को प्रोत्साहित करेगा और साथ ही साथ इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में रिसर्च एंड डेवलपमेंट में निवेश को बढ़ावा देगा. इस तरह की पहल और नीतियां भारत में स्थायी ऊर्जा बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने और ईवी को अधिक किफायती बनाने में मदद करेंगी.”

Lavna Locks के फाउंडर सनत जैन ने इस वर्ष के बजट पर बात करते हुए, कहा, "हम चाहते हैं कि सरकार टैक्स में कुछ कटौती करे ताकि प्रोडक्ट डिलीवरी को कॉस्ट इफेक्टिव बनाया जा सके. इससे स्मार्ट सिक्योरिटी प्रोडक्ट्स की मार्किट में तेजी देखने को मिलेगी और साथ ही साथ उन्हें वैश्विक बाजार में भी बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा, प्रोडक्ट नवीनीकरण को बढ़ावा देने, प्रतिस्पर्धी बढ़त को मजबूत करने और वैश्विक पहुंच का विस्तार करने के लिए, सरकार को अनुसंधान और विकास के लिए पर्याप्त फंडिंग की घोषणा करनी चाहिए. इस तरह, बिज़नेस वैश्विक बाजार में अपनी मजबूत मुकाम हासिल करने में सक्षम होंगे और लागत क्षमता को ध्यान रखते हुए मार्किट में नए स्मार्ट प्रोडक्ट्स को बढ़ावा मिलेगा."

Recode Studios के फाउंडर धीरज बंसल ने कहा, “2023-2024 के बजट में विशेष नीतियां और स्पष्ट GST के नियम और विनियम होने चाहिए जो ब्यूटी इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने में मदद करेगा. ब्यूटी इंडस्ट्री भारत में सैकड़ों-हजारों लोगों को रोजगार प्रदान कराता है और देश की GDP में महत्वपूर्ण योगदान देता है. पिछले कुछ सालो में सबसे ज्यादा स्टार्टअप्स ब्यूटी और कॉस्मेटिक सेगमेंट में देखे गए है हमे उम्मीद है कि इस पर ध्यान देते हुए सरकार आगामी बजट में नए स्टार्टअप्स के लिए में नई नीतियां लाएगी जिससे इस क्षेत्र में आने वाले स्टार्टअप को बढ़ावा मिलेगा. सरकार को कंज्यूमर-फ्रैंडली टैक्स, सब्सिडी और टैक्स में कटौती पर भी ध्यान देना चाहिए, जिससे छोटे व्यवसाय को प्रोत्साहन मिले और साथ ही साथ रोजगार के नित्य नए अवसर पैदा हो सके."

Milap Cosmetics के डायरेक्टर और फाउंडर रवि चड्ढा, ने कहा, "हाल के वर्षों में, इंडियन कस्टमर्स के बीच ब्यूटी एंड कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स की मांग में वृद्धि देखने को मिली है. कस्टमर्स की मांगों को पूरा करने के लिए इस क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों ने अपने मार्केटिंग बजट में काफी इजाफा किया है. आने वाले 2023-24 के बजट में इस बिज़नेस को बढ़ावा देने के लिए सरकार को टैक्स में छूट और नियमों में ढील के साथ-साथ सब्सिडी जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए. जिससे इसकी पहुंच छोटे शहरों तक हो और लोग इसके प्रोडक्ट्स किफायती दामों में खरीद सके. ब्यूटी एक्सपर्ट्स का भी मानना है की यदि सरकार इस क्षेत्र के लिए स्पष्ट नीति लेकर आती है तो इसके सप्लाई चेन को बढ़ाने में मदद मिलेगी और साथ ही साथ यह कॉस्ट-इफेक्टिव भी हो सकेगा."

SigTuple के व्यापारिक प्रगति (बिजनेस ग्रोथ) के अध्यक्ष प्रणत भादानि का कहना है 'भारत वर्तमान में ज्यादातर चिकित्सा उपकरण आयात करता है। बजट 2023 से अपनी उम्मीदें बताते हुए वह कहते हैं कि मेक इन इंडिया की सफलता के लिए सरकार को कुछ मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। सरकार को कलपुर्जों का आयात आसान और उपकरण का आयात कठिन बनाना चाहिए। विशेष आर्थिक क्षेत्र (एस.ई.जेड.) को विकसित करते हुए पी.एल.आई. योजनाओं को लाकर निर्यात के लिए प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। स्थायी माहौल बनाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए चिकित्सा प्रौद्योगिकी उद्योग में देश की अर्थव्यवस्था में अरबों डॉलर जोड़ने की क्षमता है।'