पिछले 9 वर्ष में स्टार्ट-अप्स 300 गुना बढ़े हैं: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोल दिया, जिससे अंतरिक्ष क्षेत्र में लगभग तीन वर्षों के भीतर 100 से अधिक स्टार्टअप हो गए. उन्होंने कहा कि इसी तरह, बायोटेक स्टार्ट-अप्स लगभग 50 से बढ़कर लगभग 6,000 हो गए हैं.
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत में स्टार्ट-अप्स पिछले 9 वर्षों में 300 गुना बढ़ गए हैं. डॉ. जितेंद्र सिंह राष्ट्रपति भवन में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा स्थापित "नेशनल इनोवेशन अवार्ड्स" वितरण के लिए आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे जिसमें भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा "ग्रासरूट इनोवेटर्स" को पुरस्कृत किया गया.
मंत्री ने कहा कि 2014 से पहले लगभग 350 स्टार्ट-अप्स ही थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में लाल किले की प्राचीर से आह्वान करने और 2016 में विशेष स्टार्ट-अप योजना शुरू करने के बाद से, आज स्टार्ट-अप्स की संख्या, 100 से अधिक यूनिकॉर्न के साथ 90,000 से अधिक हो गयी है.
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोल दिया, जिससे अंतरिक्ष क्षेत्र में लगभग तीन वर्षों के भीतर 100 से अधिक स्टार्टअप हो गए. उन्होंने कहा कि इसी तरह, बायोटेक स्टार्ट-अप्स लगभग 50 से बढ़कर लगभग 6,000 हो गए हैं.
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में युवाओं में प्रतिभा, क्षमता, नवाचार और रचनात्मकता की कोई कमी नहीं है, लेकिन उनके पास राजनीतिक नेतृत्व से मिलने वाले उस अनुकूल वातावरण और उचित संरक्षण की कमी थी जो अब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रदान कराया गया है. अब यह भी स्पष्ट है कि हमारे ग्रामीण युवाओं में भी इतनी नवीन प्रतिभा है जो यह बताती है कि औपचारिक शिक्षा की डिग्री तथा नवाचार क्षमताओं के बीच कोई संबंध नहीं होता है और यह इन पुरस्कारों से स्पष्ट है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का समाधान करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से ऐसी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लाने का आग्रह किया गया था जो केवल शैक्षणिक डिग्री के आधार पर व्यक्ति को उसकी योग्यता और कौशल के अनुसार आजीविका कमाने के लिए तैयार करने के साथ ही कौशल पर भी जोर दे.
मंत्री ने उल्लेख किया कि आज दिए जाने वाले पुरस्कारों की प्रकृति और पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं की प्रोफाइल यह सिद्ध करता है कि भारत में बड़ी संख्या में "ग्रासरूट इनोवेटर्स" उपलब्ध हैं, जिनके पास बहुत उच्च औपचारिक शिक्षा नहीं है, लेकिन जो सफलता की कहानियां रचने अपने लिए आजीविका के आकर्षक साधन पैदा करने में सक्षम हैं.
डॉ. जितेंद्र सिंह ने "फेस्टिवल ऑफ़ इनोवेशन एंड आंत्रप्रेन्योरशिप (FINE) के आयोजन के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (NIF) के प्रयासों की सराहना की और कहा कि यह विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को बढ़ावा देने का एक अनूठा प्रयास है. वे जो औपचारिक अर्थों में उच्च शिक्षित नहीं हो सकते हैं अथवा विज्ञान के छात्र भी नहीं हो सकते हैं, लेकिन उनमें नवाचार और उद्यमिता के लिए ऐसी अंतर्निहित प्रतिभा और जन्मजात योग्यता है, जो उनके लिए आजीविका का स्रोत भी बन सकती है.
पुरस्कार विभिन्न श्रेणियों - अर्थात् राष्ट्रीय स्तर, राज्य स्तर और छात्र श्रेणी में प्रदान किए गए. इन पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं में से दो को उनके नवाचारों के लिए पहले ही पद्म श्री से सम्मानित किया जा चुका है.