सैलून चलाने वाले की 13 वर्षीय बेटी को संयुक्त राष्ट्र ने बनाया 'गुडविल एंबेसडर फॉर द पुअर', प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की तारीफ
संयुक्त राष्ट्र की एसोसिएशन फॉर डेवलपमेंट एंड पीस द्वारा मदुरै की 13 साल की लड़की को 'गुड विल एंबेसडर (GWA) फॉर द पुअर' के रूप में नियुक्त किए जाने के बाद अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली है।
"संयुक्त राष्ट्र की एसोसिएशन फॉर डेवलपमेंट एंड पीस (UNADAP) द्वारा 13 साल की एम नेतरा को 'गुडविल एंबेसडर (GWA) फॉर द पुअर' के रूप में नियुक्त किया गया है। नेतरा के पिता सी मोहन और परिवार के लिए खुशी तब दोगुनी हो गई जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में उसकी नेकी का जिक्र किया।"
एम. नेतरा का मानना है कि जब तक पैसा जरूरतमंदों की सेवा के लिए काम नहीं आता है, तब तक यह फिजूल है। यह सीख उन्हें सैलून चलाने वाले उनके पिता से मिली जो कोरोनावायरस के कारण लागू हुए देशव्यापी लॉकडाउन से प्रभावित असहाय प्रवासी मजदूरों की मदद करते हुए 5 लाख रुपये से अधिक खर्च कर चुके हैं।
संयुक्त राष्ट्र की एसोसिएशन फॉर डेवलपमेंट एंड पीस (UNADAP) द्वारा हाल ही में बीते शुक्रवार को 13 साल की एम नेतरा को 'गुडविल एंबेसडर (GWA) फॉर द पुअर' के रूप में नियुक्त किया गया था।
नेतरा के पिता सी मोहन और परिवार के लिए खुशी तब दोगुनी हो गई जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में उसकी नेकी का ज़िक्र किया।
वहीं UNADAP ने भारत की इस बेटी को न्यूयॉर्क और जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलनों में आगामी सिविल सोसायटी मंचों को संबोधित करने का अवसर भी दिया है। इतनी ही नहीं, UNADAP द्वारा नेतरा को 'DIXON Scholarship' से भी सम्मानित किया गया, जिसकी कीमत 1 लाख रुपये है।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, एम नेतरा कहती हैं,
"शुरू में, हमने इस अवसर के महत्व को नहीं समझा। हमारा एकमात्र इरादा गरीबों की मदद करना था। अब इस बात ने मुझे लोगों की सेवा करने के लिए और अधिक ऊर्जा प्रदान की है।"
एक महत्वाकांक्षी नागरिक सेवक होने के नाते, उन्होंने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र के मंच पर 'गरीबी के उन्मूलन' पर दुनिया को संबोधित करने के लिए सम्मानित महसूस कर रही हैं।
अपने परिवार के संघर्षों को याद करते हुए, नेतरा ने कहा कि 2013 में, लोगों के एक समूह ने उसके पिता के पैसे चुरा लिए थे और पानी खरीदने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं थे।
नेतरा गरीब और जरुरतमंदों की मदद करने की बात पर कहती हैं,
"मेरी आगे की पढ़ाई के लिए रकम जोड़ने में परिवार को 7 साल लग गए तब जाकर 5 लाख रुपये की ही बचत हो पाई।"
Edited by रविकांत पारीक