दर-दर भटकती विस्थापित दामी को 12वीं बोर्ड परीक्षा के लिए मिला मंत्री से भरोसा
राजस्थान के शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने पाकिस्तान से विस्थापित होकर जोधपुर आ गई दामी को 12वीं बोर्ड परीक्षा दिलाने के लिए आश्वस्त कर दिया है। बोर्ड जो प्रमाणपत्र दामी से मांग रहा है, छात्रा के पिता अगर वह पाकिस्तान में लेने की कोशिश करते तो वहां उन पर अत्याचार होने लगता, सो, चुपचाप बेटी संग आ गए।
यह दर्द दर-दर भटक चुकी बारहवीं की छात्रा दामी का ही नहीं, पाकिस्तान की दुर्दशा पीछे छोड़कर किसी तरह भारत भाग आ रहे उन हजारों विस्थापितों के भी बच्चों की है, जो दो देशों की अदावत में अपने भविष्य की बलि चढ़ा रहे हैं।
वैसे राजस्थान के शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने दामी को तो फोन पर आश्वस्त कर दिया है कि
'बेटी तुम तैयारी करो, हम तुम्हारे साथ हैं। हम तुम्हे 12वीं का एग्जाम दिलाएंगे'
लेकिन उन विस्थापित बच्चों का क्या हो रहा होगा, जो मीडिया की सुर्खियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। सवाल गंभीर है, असमाधेय भी। फिलहाल, जवाब किसी के पास नहीं। वैसे भी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ ज्यादातर स्कूल-कॉलेजों के छात्र ही सड़कों पर उतर रहे हैं। जो पढ़ाई कर रहे हैं, उनमें भी बहुतायत सतही शिक्षा व्यवस्था झेलने वाले छात्रों की है। फिलहाल, बात दामी की।
गौरतलब है कि भारत सरकार के निर्देश पर गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल अक्टूबर 2012 में राज्य के गृह विभाग ने भी निर्देश दिए थे कि भारतीय नागरिकता प्राप्त करने और भारत में स्थाईवास चाहने के आधार पर राज्य में रह रहे पाक नागरिकों के बच्चों को शिक्षा के लिए प्रवेश दिया जाए।
दामी के पिता चौथा बताते हैं कि वह सिंध (पाकिस्तान) के मीरपुरखास में रह रहे थे। सिंध में जब भारतीय मूल के लोगों पर अत्याचार, बेटियों के साथ अमानवीय व्यवहार होने लगे तो वह दो साल पहले विस्थापित होकर परिवार सहित पाकिस्तान से जोधपुर आ गए। दामी ने दसवीं तक की पढ़ाई पाकिस्तान के सरकारी स्कूल में की थी।
उन्होंने जोधपुर में दीर्घ अवधि वीजा (एलटीवी) के लिए आवेदन करने के साथ ही बेटी दामी का मगरा पूंजला के सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में 11वी क्लास में एडमिशन करा दिया। पाकिस्तान से जारी टीसी के आधार पर उसे प्रवेश मिला। जब 11वीं पास कर दामी ने 12वीं बोर्ड परीक्षा के लिए आवेदन किया तो अभी कुछ दिन पहले ही बोर्ड ने यह कहकर आपत्ति लगा दी कि पात्रता प्रमाण पत्र नहीं है।
चौथा का कहना है कि वह अगर पाकिस्तान में दामी का शिक्षा प्रमाण पत्र लेने की कोशिश करते तो वहां के लोगों को शक हो जाता कि वह वहां से निकलना चाह रहे हैं और वे उन पर अत्याचार करने लगते, इसलिए वह प्रमाण पत्र लिए बिना ही पाकिस्तान से भाग आए हैं। अब यहां नागरिकता संशोधन कानून के चक्कर में उनकी बेटी का भविष्य पर दांव पर लग गया है।
जब यह पूरा वाकया राज्य के शिक्षामंत्री के संज्ञान में लगाया गया, तो उन्होंने स्वयं मीडिया को अवगत कराने, ट्विटर पर सूचना प्रसारित करने के साथ ही दामी को भी 12वीं बोर्ड परीक्षा दिलाने के लिए फोन पर आश्वस्त किया। शिक्षा मंत्री ने कहा है कि बोर्ड के नियमों के अनुसार पात्रता परीक्षा प्रमाण पत्र की अनुपलब्धता की वजह से छात्रा को 12वीं बोर्ड की परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं मिली थी।
इस संबंध में बोर्ड ने अधिक जानकारी के लिए पाकिस्तान दूतावास को भी पत्र भेजा था, जिसका कोई जवाब नहीं आया। राजस्थान सरकार ने मामले की गंभीरता और बच्ची के भविष्य को देखते हुए इसे परीक्षा में बैठने की अनुमति देने का फैसला लिया है।