देश के अगले प्रधानमंत्री से क्या अपेक्षाएं रखते हैं भारत के स्टार्टअप्स?
2019 से 2024 तक के कार्यकाल के लिए भारत की जनता ने अपना प्रधानमंत्री चुन लिया है। इस बार के आम चुनाव में भारत के 90 करोड़ वोट देने योग्य जनता में से 60 करोड़ वोटर्स ने मतदान किया और अपने भावी नेतृत्व का चुनाव किया। अब भारत का स्टार्टअप ईकोसिस्टम अपने नए प्रधानमंत्री से क्या अपेक्षाएं रखता है, यह जानना काफ़ी महत्वपूर्ण और रोचक है।
इस बार के आम चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद अब 17वीं लोकसभा का गठन होगा और नई सरकार के साथ आगामी पांच सालों के लिए भारत का राजनैतिक और आर्थिक भविष्य भी तय होगा। पिछले पांच सालों में, हमारे देश के तेज़ी के साथ उभरते स्टार्टअप ईकोसिस्टम ने कई उतार-चढ़ाव देखे। अकेले पिछले साल में ही भारतीय स्टार्टअप ईकोसिस्टम के यूनिकॉर्न क्लब में आठ कंपनियों ने अपनी जगह बनाई और इस साल अभी तक तीन नए सदस्य भी इस क्लब में अपनी भागीदारी दर्ज करा चुके हैं। सिर्फ़ इतना ही नहीं, पिछले साल बिज़नेस के लिए सुलभ देशों की सूची में भारत ने 23 पायदानों की चढ़ाई की। हालांकि, भारत में स्टार्टअप ईकोसिस्टम एक अच्छी गति और पूरी सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ रहा है, लेकिन जो लोग इस सिस्टम का हिस्सा हैं, उनके मुताबिक़ अभी सितारों के आगे जहां और भी हैं।
तो आइए गौर करते हैं कुछ उन बेहद चुनिंदा और अहम अपेक्षाओं पर, जो भारत का स्टार्टअप ईकोसिस्टम, प्रधानमंत्री पद पर अपनी दूसरी पारी खेलने के लिए तैयार नरेंद्र मोदी से रखता है।
नियमों और नीतियों में स्पष्टता की ज़रूरत
बेंगलुरू आधारित को-लिविंग स्टार्टअप ज़ोलोस्टेज़ के को-फ़ाउंडर और सीईओ निखिल सिकरी का कहना है, "नियमों और नीतियों को औद्यागिक विकास की दर के अनुरूप होना चाहिए। तकनीकी क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों को यह ठीक तरह से पता होना चाहिए कि क्या सही है और नीति क्या कहती है, जिसके लिए सरकार द्वारा बनने वाली नीतियों को पूरी तरह से स्पष्ट होना चाहिए। हर सेक्टर अब एक-दूसरे पर निर्भर होता जा रहा है और एक-दूसरे से जुड़ता जा रहा है। ऐसे में हमें नियमों की एक पूरी अलग पद्धति की ज़रूरत है और समय की आवश्यकता के हिसाब से तैयार की गई हो।"
इस संदर्भ में गुरुग्राम से ऑपरेट होने वाले हेल्थकार्ट स्टार्टअप के को-फ़ाउंडर और सीईओ समीर माहेश्वरी कहते हैं कि भारत में लगातार बढ़ते स्टार्टअप ईकोसिस्टम और कंपनियों की भरमार को देखते हुए नीतिगत ढांचे में एक एकरूपता होनी चाहिए।
वहीं ऐग्रीटेक स्टार्टअप डी हाट के को-फ़ाउंडर शशांक कुमार कहते हैं कि केंद्र सरकार को नीतियों को तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखना होगा कि नीतियों की प्रकृति ऐसी हो और वे इतनी व्यावहारिक हों कि प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार के साथ मिलकर ज़मीनी स्तर पर ठीक तरह से उनका क्रियान्वयन कर सके।
काग़ज़ी कार्यवाही में रियायत
द वेडिंग विशलिस्ट की को-फ़ाउंडर और सीईओ कनिका सुबइया का मानना है कि भारत में अभी भी किसी स्टार्टअप की शुरुआत करने के लिए काफ़ी काग़ज़ी कार्यवाही होती है, जिसमें थोड़ी रियायत मिलनी चाहिए। द वेडिंग विशलिस्ट एक ऑनलाइन वेडिंग रजिस्ट्री स्टार्टअप है, जो चेन्नई से अपने ऑपरेशन्स चलाता है। निखिल भी इस बात पर अपनी सहमति जताते हुए बताते हैं कि हाल ही उन्हें जो फ़डिंग मिली, उसमें काग़ज़ी कार्यवाही के चलते 50 दिनों की देरी हुई। कनिका का सुझाव है कि सिंगापुर की तरह भारत को भी हर चीज़ को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर डाल देना चाहिए।
निवेशक और स्टार्टअप मेंटर संजय आनंदराम का कहना है कि सरकार ने वादा किया था कि भारत में स्टार्टअप खोलने या एक कंपनी शुरू करने में सिर्फ़ आधे घंटे का वक़्त लगेगा और सरकार को अभी अपने इस वादे को पूरा करने के लिए काफ़ी काम करना बाक़ी है। वह भी मानते हैं कि ऑटोमेशन की बदौलत इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
निवेश की संभावनाओं में बढ़ोतरी और सहूलियत
संजय बताते हैं कि हालांकि सरकार ने एंजल टैक्स के मुद्दे को सुलझाने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी समय की ज़रूरत है कि इस मुद्दे को जड़ से समाप्त कर दिया जाए।
साथ ही उनका कहना है, "हमें ज़रूरत है कि हमारे देश का पैसा ही निवेश के रूप में स्टार्टअप्स को मिले। आज की तारीख़ में वेंचर कैपिटल फ़ंड का 90 प्रतिशत हिस्सा विदेशी सूत्रों से आता है। सरकार को देश में निवेश की सहूलियत को बढ़ाने की आवश्यकता है।"
ओरियस वेंचर्स के मैनेजिंग पार्टनर अनूप जैन कहते हैं कि निश्चित रूप से सरकार ने देश में बिज़नेस करने की सहूलियत को बढ़ाया है, लेकिन अब समय है कि देश और विदेश दोनों ही जगहों के निवेशकों को भारतीय स्टार्टअप ईकोसिस्टम की ओर आकर्षित किया जाए।
अनूप का कहना है कि सरकार को एक फ़ोरम बनाने की ज़रूरत है, जहां पर विदेशी फ़ंड्स आसानी से भारतीय फ़ंड्स में निवेश कर सकें और इस काम में काग़ज़ी झंझट भी कम से कम हो।
अनूप अपनी बात को ख़त्म करते हुए कहते हैं कि भारत सरकार को अब देश के स्टार्टअप्स को यह मौक़ा देना चाहिए कि वे विदेशी स्टार्टअप्स के बराबर खड़े हो सकें और इस काम में उनकी मदद भी करनी चाहिए। उनका सुझाव है कि विदेश व्यापार आयोग, दुनियाभर में भारतीय स्टार्टअप्स के प्रचार में मदद कर सकता है।
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