“रे की फिल्‍में न देखने का अर्थ है बिना चांद-सूरज देखे दुनिया में होना” – अकीरा कुरोसावा

आज सत्‍यजीत रे को एकेडमी अवॉर्ड मिलने के 30 साल पूरे होने पर पढि़ए कि दुनिया के महान फिल्‍मकारों ने रे के बारे में क्‍या कहा है.

“रे की फिल्‍में न देखने का अर्थ है बिना चांद-सूरज देखे दुनिया में होना” – अकीरा कुरोसावा

Thursday December 15, 2022,

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30 साल पहले आज ही के दिन सत्‍यजीत रे को फिल्‍मों में उनके योगदान के लिए ऑनरेरी ऑस्‍कर अवॉर्ड से सम्‍मानित किया गया था. इस यादगार दिन हम आपको बता रहे हैं कि दुनिया भर के महान फिल्‍मकारों और अभिनेताओं ने भारत के इस महान फिल्‍मकार के बारे में क्‍या कहा है.

जूलिया रॉबर्ट्स

हॉलीवुड एक्‍ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स कहती हैं कि सत्‍यजीत रे की उत्कृष्टता की बराबरी कोई नहीं कर सकता. स्‍वयं उनके शब्‍दों में, "आज हॉलीवुड में भी हमारे पास रे के बराबर सामर्थ्‍य वाला एक भी निर्देशक नहीं है. जब सिनेमा में इतनी टेकनीक नहीं आई थी, तब उन्होंने इतनी सरलता से सिनेमा की सबसे उत्कृष्ट कृतियों का निर्माण किया. मुझे आज भी यह सोचकर आश्चर्य होता है कि ‘चारुलता’ फिल्‍म में उन्होंने माधवी मुखर्जी की आंखों को इतने धीमे और स्‍लो मोशन में इतनी खूबसूरती के साथ कैसे कैप्‍चर किया था.” 

मेरिल स्ट्रीप

हॉलीवुड फिल्‍मों की अप्रतिम यादगार अभिनेत्री मेरिल स्ट्रीप हमेशा इस बात से प्रभावित और अभिभूत रहीं कि अपनी हर फिल्‍म में सत्‍यजीत रे महिलाओं को इतनी सुंदरता, गहराई और गरिमा के साथ कैसे चित्रित कर पाते थे. मेरिल स्‍ट्रीप ने कहा था, “रे जिस तरह अपनी अभिनेत्रियों को प्रस्‍तुत करते हैं, वह दुनिया भर के फिल्‍म निर्माताओं के लिए एक सबक की तरह होना चाहिए.”

मेरिल स्‍ट्रीप कहती हैं, "रे ने चारुलता में अभिनेत्री माधवी मुखर्जी को जिस तरह फिल्‍माया है, उसे देखकर लगता है कि उन्‍होंने अपनी अभिनेत्रियों को कितना सम्मान और आदर दिया होगा. यह अपने आप में एक सच्चे निर्देशक की पहचान है. मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि यदि रे हॉलीवुड में काम कर रहे होते तो डेविड लीन, फ्रांसिस फोर्ड कोपोला और एलन पार्कर जैसे निर्देशकों को कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रहे होते.”

अकीरा कुरोसावा

‘रॉशोमन’, ‘सेवेन समुराई’ और ‘थ्रोन ऑफ ब्‍लड’ जैसी कल्‍ट फिल्‍में बनाने वाले प्रसिद्ध जापानी फिल्म निर्देशक अकीरा कुरोसावा सत्‍यजीत रे के बहुत बड़े प्रशंसक थे. उन्‍होंने रे के बारे में कहा था, “सत्‍यजीत रे के सिनेमा के जिस केंद्रीय चरित्र ने मुझे खासतौर पर प्रभावित किया, वह था- शांत, लेकिन गहरा सूक्ष्‍म अवलोकन, मनुष्‍यता के प्रति गहरी करुणा, प्रेम और उसकी समझ. मुझे लगता है कि सिनेमा की दुनिया में उनका दर्जा बहुत महान है. उनकी फिल्‍मों को न देखने का अर्थ है, बिना सूर्य और चंद्रमा को देखे इस दुनिया में रहना.”

what great film makers and actors of the world say about satyajit ray

कुरोसावा कहते हैं, “मैं कभी नहीं भूल सकता कि ‘पाथेर पांचाली’ देखने के बाद मुझे कैसे उत्‍साह और उत्‍तेजना की अनुभूति हुई थी. यह फिल्‍म किसी विशालकाय नदी की तरह अपनी गंभीरता और गहराई में आपके भीतर प्रवाहित होती है. लोग जनमते हैं, जीते हैं और एक दिन मर जाते हैं. रे बिना किसी मेहनत, कोशिश के, बिना धक्‍का दिए, झटका मारे इतनी सहजता और सरलता से कहानी सुनाते हैं, लेकिन दर्शक के मन पर उसका जो प्रभाव होता है, वह भूचाल ला देता है.”

क्रिस्‍टोफर नोलन

हर बार अपनी फिल्‍म से चौंकाने और दर्शकों के दिमाग के परखच्‍चे उड़ा देने वाले, ‘इंसेप्‍शन’, ‘डनकिर्क’, ‘मॉमेन्‍टो’, ‘इंसोम्निया’ और ‘टेनेट’ जैसी फिल्‍में बनाने वाले हॉलीवुड के चहेते फिल्‍मकार क्रिस्‍टोफर नोलन ने 2018 में अपनी भारत यात्रा के दौरान सत्‍यजीत रे के बारे में कहा था-

"हाल ही में मुझे सत्‍यजीत रे की फिल्‍म 'पाथेर पांचाली' देखने का मौका मिला. मैंने पहले ये फिल्‍म नहीं देखी थी. मुझे लगता है कि यह अब तक बनी सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक है. 'पाथेर पांचाली' एक असाधारण कृति है. इस फिल्‍म के बाद अब मुझमें भारतीय फिल्‍मों के बारे में और अधिक जानने और सीखने में दिलचस्पी है. इसीलिए मैं हिंदुस्‍तान आया हूं."  

मार्टिन स्‍कॉरसेसे

अमेरिकी फिल्‍मों के दीवानों के लिए मार्टिन स्‍कॉरसेसे कोई अपरिचित नाम नहीं. सिनेमा प्रेमियों को ‘टैक्‍सी ड्राइवर’, ‘रेजिंग बुल’, ‘गुड फेलस’, ‘गैंग्‍स ऑफ न्‍यूयॉर्क’ और ‘एविएटर’ जैसी फिल्‍मों का तोहफा देने वाला स्‍कॉरसेसे का बहुत बड़ा योगदान है सत्‍यजीत रे को ऑस्‍कर दिलवाने में.

उन्‍होंने ही ऑनरेररी एकेडमी अवॉर्ड के लिए सत्‍यजीत रे का नाम प्रस्‍तावित किया था, जिसका एकेडमी बोर्ड के सभी सदस्‍यों से एकमत से समर्थन किया.   

स्‍कॉरसेसे ने सत्‍यजीत रे के बारे में कहा था, “हम सभी को सत्यजीत रे की फिल्में देखने और उन्हें बार-बार देखने की जरूरत है. रे की सारी फिल्‍मों को एक जगह रखा जाए तो यह विश्‍व सिनेमा का एक बड़ा खजाना होगी. रे की फिल्‍मों की छवियां एक सरल कविता की मानिंद हैं. उनकी फिल्‍में और उसका भावनात्मक प्रभाव हमेशा मेरे साथ रहेगा."  

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फ्रांसिस फोर्ड कपोला

गॉडफादर जैसी कालजयी फिल्‍म बनाने वाले फ्रांसिस फोर्ड कपोला भी सत्‍यजीत रे के सिनेमा के प्रशंसक थे. कपोला ने कहा था, “हम भारतीय सिनेमा को रे की रचनाओं से ही जानते हैं और मेरे लिए उनकी सर्वश्रेष्ठ फिल्‍म 'देवी' है, जो विश्‍व सिनेमा में एक मील का पत्थर है."

 

रे को याद करते हुए एक बार कपोला ने कहा था, "जब भी कोई कोलकाता से बोलता है तो मुझे सत्यजीत रे की कॉल याद आ जाती है. जब 'गॉडफादर’ आई तो उन्‍होंने कलकत्‍ता से फोन करके उस फिल्‍म की प्रशंसा की. खासतौर पर अल पचीनो को खोजने के लिए उन्‍होंने मेरी सराहना की थी. उन्‍होंने कहा था कि पचीनो 1970 के दशक का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता है.” 

किआनू रीव्‍स

बेरूत में जन्‍मे और टोरंटो में पले-बढ़े नई पीढ़ी के पसंदीदा कनाडियन एक्‍टर किआनू रीव्‍स भी सत्‍यजीत रे के बहुत बड़े प्रशंसक हैं और कहते हैं कि सत्‍यजीत रे की फिल्‍मों के जरिए ही उन्‍हें भारत को जानने का मौका मिला है.  

रे के बारे में रीव्‍स कहते हैं, "भारत के बारे में मेरी एकमात्र समझ (अपने युवा दिनों में) सत्यजीत रे की फिल्मों के माध्यम से थी, जिन्हें मैंने एक के बाद एक कई फिल्म फेस्टिवल्‍स में देखा था. उनका सिनेमा बिलकुल अविश्वसनीय है. मैं उनकी फिल्‍मों के आईने से ही भारत को देखता हूं- सत्‍य और गर्मजोशी से भरा हुआ."