मातृभाषा सर्वे क्या है? देश के भाषाई आंकड़ों के संरक्षण में इसकी क्या भूमिका है?
गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्येक स्वदेशी मातृभाषा के वास्तविक रूप को संरक्षित करने और उसका विश्लेषण करने के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) में एक ‘वेब’ संग्रह स्थापित करने की योजना बनाई गई है.
गृह मंत्रालय ने देशभर में 576 भाषाओं और बोलियों का मातृभाषा सर्वेक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, इसके लिए स्वदेशी भाषाओं से जुड़ी जानकारी को व्यवस्थित करने का काम जारी है.
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भारतीय मातृभाषा सर्वेक्षण (एमटीएसआई) परियोजना का काम 576 मातृभाषाओं की ‘फील्ड वीडियोग्राफी’ के साथ सफलतापूर्वक पूरा हो गया है.’’
रिपोर्ट में कहा गया कि मातृभाषाओं के ‘स्पीच डेटा’ का संग्रह करने के उद्देश्य से इसकी वीडियो को ‘एनआईसी सर्वर’ पर साझा किया जाएगा.
क्या है मातृभाषा सर्वेक्षण?
गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्येक स्वदेशी मातृभाषा के वास्तविक रूप को संरक्षित करने और उसका विश्लेषण करने के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) में एक ‘वेब’ संग्रह स्थापित करने की योजना बनाई गई है.
गृह मंत्रालय के अनुसार, भारतीय भाषा सर्वेक्षण (एलएसआई) एक नियमित शोध गतिविधि है. इस परियोजना के तहत पहले के प्रकाशनों के क्रम में, एलएसआई झारखंड का काम पूरा हो गया है और एलएसआई हिमाचल प्रदेश का काम पूरा होने वाला है. एलएसआई तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश का क्षेत्रीय कार्य जारी है.
देश में कितनी मातृभाषाएं बोली जाती हैं?
2018 में जारी 2011 की भाषाई जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 19,500 से अधिक भाषाएं और बोलियां मातृभाषा के रूप में बोली जाती हैं. इन 19,500 भाषाओं को भाषाई जांच और युक्तिसंगत बनाने के बाद मातृभाषा की 121 श्रेणियों में बांटा गया.
2011 की भाषाई जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, देश के 52.8 करोड़ लोगों द्वारा हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली मातृभाषा है, जो 43.6 प्रतिशत आबादी के लिए जिम्मेदार है. उसके बाद, 9.7 करोड़ लोगों या 8 प्रतिशत आबादी ने बंगाली बोली, जिससे यह देश की दूसरी सबसे लोकप्रिय मातृभाषा बन गई.
शिक्षा में मातृभाषा
केंद्रीय मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने हाल ही में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के तहत मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया जा रहा है.
सितंबर में, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जोर देकर कहा था कि विज्ञान, साहित्य और सामाजिक विज्ञान में प्रतिभा विकास अधिक प्रभावी हो सकता है यदि किसी की मातृभाषा में पढ़ाया जाए.
इस साल की शुरुआत में, इस साल की शुरुआत में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि अपनी मातृभाषा के अलावा किसी अन्य भाषा में शिक्षा प्राप्त करने से 95 प्रतिशत भारतीयों को अपनी वास्तविक क्षमता हासिल करने से रोका गया है.
आगामी जनगणना की स्थिति क्या है?
गृह मंत्रालय ने कहा कि आगामी जनगणना में एडवांस्ड जियोग्राफिकल टेक्नोलॉजी सहित कई नई पहल की गई हैं. जनगणना का काम कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण रोक दिया गया था.
वर्ष 2011 की जनगणना के बाद से 31 दिसंबर 2019 तक देश में हुए क्षेत्राधिकार परिवर्तन को भू-संदर्भित ‘डेटाबेस’ में अपडेटेशन किया गया है और इसे आगे भी अपडेट किया जा रहा है.
Edited by Vishal Jaiswal