भारत में लियोनेल मेस्सी की दीवानगी का कारण क्या है?
विश्व के महानतम फुटबॉल खिलाड़ियों में से एक 35 वर्षीय लियोनेल मेस्सी अपने कैरियर का आखिरी तिलिस्म तोड़ने में कामयाब रहे और विश्व कप की ट्रॉफी अपने नाम की.
फीफा वर्ल्ड कप 2022 के फाइनल मुकाबले में रविवार को अर्जेंटीना ने पिछली बार के विजेता फ्रांस को हराकर इतिहास रच दिया. अर्जेंटीना पेनल्टी शूटआउट में फ्रांस को 4 . 2 से हराकर 36 साल बाद विश्व चैम्पियन बना. लियोनेल मेसी की कप्तानी में अर्जेंटीना ने यह कमाल किया और तीसरी बार वर्ल्ड कप अपने नाम किया.
इसी के साथ, विश्व के महानतम फुटबॉल खिलाड़ियों में से एक 35 वर्षीय लियोनेल मेस्सी अपने कैरियर का आखिरी तिलिस्म तोड़ने में कामयाब रहे और विश्व कप की ट्रॉफी अपने नाम की.
डिएगो माराडोना (1986) के बाद उन्होंने अपनी टीम को विश्व कप दिलाकर महानतम खिलाड़ियों की सूची में अपना नाम दर्ज करा लिया . अपना आखिरी विश्व कप खेल रहे मेस्सी की अधूरी ख्वाहिश पूरी हो गई, जिससे वह 2014 में चूक गए थे. फ्रांस के 23 वर्षीय काइलियान मबाप्पे का हैट्रिक गोल भी मेस्सी को उनके सपने को पूरा करने से रोकने में नाकाम रहा.
अर्जेंटीना की जीत का जश्न भारत में भी मनाया गया और सड़कों पर लोग निकल आए. देशभर में लोग टीवी स्क्रींस के सामने चिपके हुए थे और इस सांस रोकने वाले मुकाबले में मेस्सी को जीतते हुए देखना चाहते थे.
भारत का अर्जेंटीना से जुड़ाव
भारत में पश्चिम बंगाल, केरल, गोवा और पूर्वोत्तर राज्यों में फुटबाल का बेहद क्रेज रहता है. शुरुआती दौर से ही भारतीय ब्राजील और अर्जेंटीना का समर्थन करते रहे हैं. इसका कारण इन देशों की टीमों और वहां से निकलने वाले महान खिलाड़ियों के साथ ही सामाजिक और सांस्कृतिक कारण भी हैं.
1980 के दशक में टीवी ने फुटबॉल को लाखों लोगों तक पहुंचाया और यह भारतीयों को भी इस गेम के करीब लेकर आया. भारतीय ब्राजील को सबसे अधिक पसंद करते हैं और इसके बाद अर्जेंटीना को लेकर दीवानगी देखी जाती है.
जब भारतीय फ़ुटबॉल वास्तव में एशियाई स्तर पर प्रतिस्पर्धी थी, तो वह ब्राज़ीलियाई थे जिन्होंने मानक निर्धारित किया था. यह रिश्ता तब और गहरा हो गया जब 1970 के दशक के अंत में पेले ने कोलकाता का दौरा किया था. एक दशक बाद टीवी प्रसारण ठीक उसी समय शुरू हुआ जब 1986 में मेक्सिको में डिएगो माराडोना ने विश्व कप जीता था.
उनके करिश्मे और अविश्वसनीय कौशल के मिश्रण ने लाखों भारतीयों के फैंस बना दिए, और जब वे एक चौथाई सदी बाद उत्तरी केरल में एक ज्वेलरी शोरूम खोलने के लिए आए, तो वहां सबकुछ ठहर सा गया था. वहीं, हाल के वर्षों, खासकर साल 2006 में मेसी के सामने आने के बाद अर्जेंटीना फुटबॉल का ब्रांड बनकर उभरा है.
अर्जेंटीना को लेकर भारतीयों में अलग तरह का क्रेज है. इसका एक कारण तो मैराडोना और मेस्सी का जादू है जो वह फुटबॉल फिल्ड पर दिखाते हैं. तो वहीं, दूसरी तरफ फ्रांस और अर्जेंटीना के मुकाबले में अर्जेंटीना के तरफ होने का एक कारण यह भी है कि भारत और अर्जेंटीना दोनों की सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि मिलती जुलती है.
ब्रिटेन द्वारा भारत पर शासन की तरह ही यूरोपीय देश स्पेन ने अर्जेंटीना पर 40 सालों तक शासन किया था. अर्जेंटीना ने 09 जुलाई 1816 को स्वतंत्रता हासिल की थी. सियासी तौर पर पिछले दो तीन दशकों से ये देश काफी अस्थिर रहा है. वर्ष 2001 में यहां 05 बार राष्ट्रपति बदले गए.
अर्जेंटीना को अप्रवासियों का देश माना जाता है. 19वीं शताब्दी के अंत और 20 वीं शताब्दी के शुरू में करीब 66 लाख लोग यहां आकर बस गए, जिसमें अधिकांश स्पेन और इटली से आए थे. इसीलिए यहां रहन सहन, खाने पीने और वेशभूषा में यूरोपीय संस्कृति की झलक दिखती है.
टीवी और इंटरनेट ने बढ़ा दी दीवानगी
पिछले एक दशक में सैटेलाइट टेलीविजन और अब इंटरनेट और सोशल मीडिया के आने के बाद फुटबॉल से दुनियाभर का कनेक्शन और गहरा हो गया है. यही कारण है कि भारतीय फैंस अब और ज्यादा इस गेम से जुड़ गए हैं. भारत के विभिन्न क्षेत्रों के सेलिब्रिटीज में भी फुटबॉल को लेकर जबरदस्त क्रेज रहता है.
फीफा विश्व कप 2022 के ऑफिशियल प्रसारणकर्ता जियो सिनेमा पर 3.2 करोड़ लोगों ने डिजिटली फाइनल मैच देखा. अकेले भारत में 1.1 करोड़ लोगों ने मैच देखा. दो क्वार्टर फाइनल सहित फीफा विश्व कप 2022 के 58 मैचों को 4.74 करोड़ दर्शकों ने देखा. प्रति मैच व्यूवरशिप औसतन 63 लाख थी.
वहीं, फीफा के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अनुमानित तौर पर 3.575 अरब लोगों ने 2018 विश्व कप में मैच देखे थे. मॉस्को में क्रोएशिया पर फ्रांस की अंतिम जीत 1.12 अरब लोगों ने देखी थी.
...और GOAT का फैसला हो गया
2000 के बाद रोनाल्डो और मेस्सी का पदार्पण हुआ था. इसके बाद दुनिया इन्हीं दो खिलाड़ियों में बंटी हुई रहती है. दोनों के ही चाहने वाले उन्हें सर्वकालिक महान खिलाड़ी (Greatest of the all Time या GOAT) बताते हैं. भारत में भी फैंस इन दोनों खेमों में बंटे रहते हैं.
2016 में पुर्तगाल को यूरो कप में जीत और 2019 में नेशंस लीग का खिताब दिलाने के बाद क्रिस्टियानो रोनाल्डो GOAT की बहस में आगे निकल गए थे. लियोनेल मेसी ने 2021 में कोपा अमेरिका की जीत के साथ एक बार फिर से इस बहस में वापसी की थी। हालांकि, अब मेस्सी की कप्तानी में अर्जेंटीना के विश्व कप विजेता बनने के बाद लोग मेस्सी बनाम रोनाल्डो की बहस में मेस्सी को महान मानने लगे हैं.
मेस्सी का सफर
मेस्सी का जन्म रोसारियो में 1987 में एक फुटबॉल प्रेमी परिवार में हुआ था. मात्र 11 बरस की उम्र में ग्रोथ हार्मोन की कमी (जीएचडी) जैसी बीमारी से जूझने से लेकर दुनिया के महानतम फुटबॉलरों में शामिल होने तक मेस्सी का सफर जुनून, जुझारूपन और जिजीविषा की अनूठी कहानी है.
बार्सीलोना के लिए लगभग सारे खिताब जीत चुके पेरिस सेंट जर्मेन के इस स्टार स्ट्राइकर ने 2004 में बार्सीलोना के साथ अपने क्लब कैरियर की शुरूआत 17 वर्ष की उम्र में की थी.
उन्होंने 22 वर्ष की उम्र में पहला बलोन डिओर जीता. अगस्त 2021 में बार्सीलोना से विदा लेने से पहले वह क्लब फुटबॉल के लगभग तमाम रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके थे.
मेस्सी का विश्व कप का सफर 2006 में शुरू हुआ और अब तक वह सबसे ज्यादा 25 मैच खेल चुके हैं. विश्व कप के इतिहास में अर्जेंटीना के लिए सर्वाधिक 11 गोल कर चुके हैं. उम्र को धता बताकर इस विश्व कप में चार गोल, दो में सूत्रधार की भूमिका निभाने के बाद तीन ‘मोस्ट वैल्यूएबल प्लेयर’ के पुरस्कार जीत चुके हैं.
मेस्सी सात बार बलोन डिओर, रिकॉर्ड छह बार यूरोपीय गोल्डन शूज, बार्सीलोना के साथ रिकॉर्ड 35 खिताब जीत चुके हैं. वह ला लिगा में 474 गोल मार चुके हैं. इसके साथ ही वह एक क्लब (बार्सीलोना) के लिए सर्वाधिक 672 गोल कर चुके हैं.