आखिर क्यों छोड़ दी इस युवा आईएएस टॉपर ने अपनी प्रतिष्ठित नौकरी!
सिविल सेवा परीक्षा में टॉप करने वाले पहले कश्मीरी शाह फैसल का इस्तीफा कई मायने में अलग तरह की चर्चाओं को रंग दे रहा है। शाह के ट्विटर पर अथवा सरकार की ओर से उनको प्रेषित नोटिस में जो लिखा गया है और राज्यपाल द्वारा उनके बारे में जो कुछ कहा गया है, ब्यूरोक्रेसी में बेचैनी पैदा कर रहा है।
देश की सबसे महत्वपूर्ण भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में टॉप करने वाले पहले कश्मीरी शाह फैसल का इस्तीफा इस अशांत राज्य में एक नए तरह की सुर्खी बनकर उभरा है। वर्ष 2010 बैच के यूपीएससी टॉपर आईएएस शाह फैसल के ट्वीट पर अब भी बेचैनी छाई हुई है। रेपिस्तान को लेकर किए गए ट्वीट पर उनके खिलाफ राज्य सरकार ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। दरअसल, शाह फ़ैसल अब प्रशासनिक डगर छोड़कर सियासत की ओर चल पड़े हैं। वह लोक सभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने ख़ुद मीडिया से बातचीत के दौरान ऐसा कहा है। शाह सिविल सेवा परीक्षा में टॉपकरने वाले पहले कश्मीरी हैं।
देश के वर्तमान राजनीतिक हालात से परेशान होकर उन्होंने नौकरी से इस्तीफ़ा दिया है। शाह कहते हैं कि वे फिलहाल किसी पार्टी में शामिल नहीं होंगे। अलगाववादी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस में शामिल होने की संभावना से तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि शासन में मिले अनुभवों का वहां (हुर्रियत में) कोई उपयोग नहीं हो सकता है। एमबीबीएस की भी डिग्री रखने वाले शाह के नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल होने की भी अटकले हैं। कहा जा रहा है कि वह बारामुला सीट से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं।
शाह फैसल जन्म 17 मई 1983 को जम्मू कश्मीर में हुआ था। भारतीय सिविल सेवा परीक्षा टॉप करने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी उन्हें उनकी सफलता पर बधाई दी थी। वह जम्मू और कश्मीर राज्य में यूथ आइकॉन की तरह उभरे हैं। शाह फैसल ने भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों के बारे में काफी कुछ बहुत ही सूक्ष्म तरीके से कहा है जिसे कई बार सराहा गया है। वर्ष 2016 में कश्मीर में अशांति के दौरान शाह फैसल ने राष्ट्रीय मीडिया को बुरहान वाणी से तुलना करने के लिए उनके तस्वीर का इस्तमाल करने को मना किया था। कई कश्मीरी उन्हें भारतीय नौकरशाही का 'पोस्टर बॉय ' कहते रहे हैं। शाह फ़ैसल कहते हैं कि कश्मीर में बगैर उकसावे के होने वाली हत्याओं और भारतीय मुसलमानों को कथित तौर पर हाशिए पर डाले जाने का वह विरोध करते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने इस्तीफ़े की घोषणा की थी। इस पर एनसी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला कहते हैं कि इससे नौकरशाही को नुकसान हुआ है लेकिन राजनीति को फ़ायदा होगा।
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक कहते हैं कि जो अपनी सरकारी ड्यूटी ठीक से पूरा नहीं कर सका, वह आगे क्या करेगा, लेकिन इतना जरूर है कि उनको बहुत सम्मान मिला था और करने के लिए सरकारी काम भी मिला था, ऐसे में अगर वह उसे करते तो बहुत अच्छा होता। गौरतलब है कि शाह इस्तीफे से पूर्व जम्मू-कश्मीर में निदेशक स्कूली शिक्षा रहे हैं। शाह का आरोप है कि करीब 20 करोड़ भारतीय मुस्लिम गलत ताकतों के हाथों गायब हो गए, हाशिए पर पहुंच गए और सेकंड क्लास नागरिक बनकर रह गए हैं।
फैसल पर गूंजती सुर्खियों के बीच शाह फ़ैसल के कई एक पुराने ट्वीट भी सामने आए हैं, जिनमें उन्होंने भारत सरकार का कड़ा विरोध किया है। कार्मिक मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो शाह फैसल इससे पहले भी नियम तोड़ते आए हैं। उनका इस्तीफा कोई पहला ट्वीट नहीं है। उनके कई ट्वीट ऐसे हैं, जो सर्विस नियमों का उल्लंघन करते हैं। वह अपने दो जून 2018 के एक ट्वीट में लिखते हैं कि कश्मीरियों को जज करने से पहले लोगों को खुद सोचना चाहिए कि पिछले 30 साल में कश्मीरियों पर क्या बीती है। अगर ऐसा ही किसी अन्य समाज के साथ होता तो क्या होता। इसके अलावा 20 मई 2018 को उन्होंने ट्वीट किया था कि अगर आईएएस कैडर को लेकर नई पॉलिसी लागू की गई तो आईएएस बदलकर आईसीएस हो जाएगा, यानी 'इंडियन चमचा सर्विस'। फैसल एक अन्य ट्वीट में लिखते हैं- 'पितृसत्ता+ जनसंख्या+ निरक्षरता+ शराब+पॉर्न +तकनीक+ अराजकता=रेपिस्तान'।
फैसल को भेजे गये एक नोटिस में सामान्य प्रशासन विभाग ने कहा है कि आप कथित रूप से आधिकारिक कर्तव्य निभाने के दौरान पूर्ण ईमानदारी और सत्यनिष्ठा का पालन करने में असफल रहे हैं। यह एक लोक सेवक के लिए उचित व्यवहार नहीं है। विभाग ने केन्द्र के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अनुरोध पर फैसल के खिलाफ कार्रवाई की है। नोटिस मिलने के बाद फैसल ने आधिकारिक पत्र को ट्विटर पर पोस्ट करते हुए कार्रवाई का विरोध किया है। नोटिस पर उनकी तीखी प्रतिक्रिया भी सामने आई है। उन्होंने लिखा है- 'दक्षिण एशिया में बलात्कार के चलन के खिलाफ मेरे व्यंग्यात्मक ट्वीट के एवज में मुझे मेरे बॉस से प्रेम पत्र मिला।'
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