Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

क्या 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा भारत, जानिए ग्लोबल निवेश बैंक ने क्या कहा?

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था में शक्ति प्राप्त कर रहा है और हमारी राय में, ये परिवर्तन पीढ़ी में एक बार बदलाव लाने वाले हैं जो निवेशकों और कंपनियों के लिए एक अवसर है.

क्या 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा भारत, जानिए ग्लोबल निवेश बैंक ने क्या कहा?

Wednesday November 02, 2022 , 3 min Read

भारत में विनिर्माण, इनर्जी ट्रांजिशन और देश के एडवांस्ड डिजिटल बुनियादी ढांचे में निवेश के कारण आर्थिक तौर पर उछाल की स्थिति में हैं और ये कारक 2030 में समाप्त होने वाले इस दशक के अंत से पहले इसे दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार बना देंगे. वैश्विक निवेश बैंक मॉर्गन स्टेनली ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है.

'व्हाई दिस इज इंडियाज डिकेड' शीर्षक वाली रिपोर्ट में भारत की अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार देने वाले रुझानों और नीतियों को देखा गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था में शक्ति प्राप्त कर रहा है और हमारी राय में, ये परिवर्तन पीढ़ी में एक बार बदलाव लाने वाले हैं जो निवेशकों और कंपनियों के लिए एक अवसर है.

चार वैश्विक रुझान - जनसांख्यिकी, डिजिटलीकरण, डीकार्बोनाइजेशन और डीग्लोबलाइजेशन न्यू इंडिया को दर्शाने वाले हैं. इसने कहा कि भारत इस दशक के अंत तक वैश्विक विकास का पांचवां हिस्सा चलाएगा.

खपत को कैसे प्रभावित करेगा विकास:

आने वाले दशक में 35,000 डॉलर प्रति वर्ष से अधिक आय वाले परिवारों की संख्या पांच गुना बढ़कर 2.5 करोड़ से अधिक होने की संभावना है.

घरेलू आय में वृद्धि होने का मतलब है कि 2031 तक सकल घरेलू उत्पाद के दोगुने से अधिक 7.5 ट्रिलियन डॉलर होने, खपत में भारी उछाल आने और आने वाले दशक में बाजार पूंजीकरण का 11 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्धि 10 ट्रिलियन डॉलर की संभावना है.

इसमें कहा गया है कि भारत की प्रति व्यक्ति आय 2031 में 2,278 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 5,242 अमेरिकी डॉलर हो जाएगी, जो खर्च में भारी उछाल लाएगी.

ऑफशोरिंग: 'वर्क फ्रॉम इंडिया'

पिछले दो वर्षों में भारत में खोले गए वैश्विक इन-हाउस कैप्टिव केंद्रों की संख्या पिछले चार वर्षों की तुलना में लगभग दोगुनी हो गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दो सालों के दौरान, भारत में इस उद्योग में कार्यरत लोगों की संख्या 4.3 मिलियन से बढ़कर 5.1 मिलियन हो गई और वैश्विक सेवाओं के व्यापार में देश की हिस्सेदारी 60 आधार अंक बढ़कर 4.3 प्रतिशत हो गई.

आने वाले दशक में, देश के बाहर नौकरियों के लिए भारत में कार्यरत लोगों की संख्या कम से कम दोगुनी होकर 11 मिलियन से अधिक होने की संभावना है. रिपोर्ट का अनुमान है कि आउटसोर्सिंग पर वैश्विक खर्च 180 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष से बढ़कर 2030 तक लगभग 500 बिलियन डॉलर हो सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका वाणिज्यिक और आवासीय रियल इस्टेट की मांग दोनों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा.

आधार प्रणाली और इसका प्रभाव

भारत की आधार प्रणाली की सफलता के बारे में बात करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सभी भारतीयों के लिए मूलभूत आईडी है, जिसे छोटे मूल्य के लेनदेन के साथ कम लागत पर उच्च मात्रा में संसाधित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि धीमी शुरुआत और कानूनी चुनौतियों सहित कई चुनौतियों के बाद, आधार और इंडियास्टैक सर्वव्यापी हो गए हैं. 1.3 अरब लोगों के पास डिजिटल आईडी होने से वित्तीय लेनदेन आसान और सस्ता हो गया है. आधार ने सामाजिक लाभों के सीधे भुगतान को दक्षता और बिना किसी रिसाव के सक्षम किया है.


Edited by Vishal Jaiswal