खोजी महिलाएं – फ्लोरेंस परपार्ट ने बनाई थी पहली इंडस्ट्रियल स्ट्रीट स्वीपिंग मशीन
फ्लोरेंस की एक मशीन ने हाथ से घंटों मेहनत करके शहर को साफ करने वाले लोगों का काम आसान कर दिया.
इस सीरीज में आप फ्लोरेंस पारपार्ट का नाम पहले भी पढ़ चुके हैं, जिन्होंने 1913 में पहला इलेक्ट्रिक रेफ्रिजरेटर बनाया था और फिर 1914 में उन्हें उसका पेटेंट हासिल हुआ था. और वह लंबी कहानी भी कि कैसे फ्लोरेंस को उसके काम का क्रेडिट मिलने में सालों लग गए क्योंकि पेटेंट के कागज पर तो उनके पति हिरम डी. लेमैन का नाम लिखा था. साथ में को-इन्वेंटर के तौर पर फ्लोरेंस का नाम भी था.
रेफ्रिजरेटर नाम की इस मशीन को लेकर उस दौर पर जितनी भी चर्चाएं हुईं, अखबारों में लेख लिखे गए, उन सबमें मुख्य तौर पर डी. लेमैन का ही जिक्र था. उस मशीन को बनाने में फ्लोरेंस के योगदान की कहानी तो बहुत बाद में लिखी गई, जब फेमिनिस्ट नजरिए से इतिहास लेखन की शुरुआत हुई.
फिलहाल सच तो ये है कि रेफ्रिजरेटर का आविष्कार फ्लोरेंस की इकलौती खोज नहीं थी. उन्होंने दुनिया का पहली स्ट्रीट स्वीपिंग मशीन भी बनाई थी.
अपने घरों को तो हम छोटे और वैक्यूम क्लीनर से साफ कर लेते हैं, लेकिन बड़ी-बड़ी, विशालकाय सड़कों की सफाई कैसे हो. आपने अकसर देखा होगा सड़कों पर एक विशालकाय ट्रक के आकार की मशीन, जो ऑटोमैटिक सड़कों की सफाई कर रही होती है. आज से सौ साल पहले जब ऐसी मशीनों की आविष्कार नहीं हुआ था, तब बड़ी-बड़ी सड़कों की सफाई भी हाथ वाले झाडू से ही होती थी. बहुत सारे लोग पूरे-पूरे दिन शहर को साफ रखने के काम में जुटे रहते थे.
लेकिन फिर एक महिला ने एक ऐसी मशीन बनाई, जिसने सफाई का काम आसान कर दिया. न सिर्फ इस काम में लगने वाली मेहनत कम हुई, बल्कि काम के बहुत सारे घंटे भी कम हो गए.
उस महिला का नाम था फ्लोरेंस परपार्ट.
फ्लोरेंस परपार्ट का जन्म जनवरी, 1873 को अमेरिका के न्यूयॉर्क में हुआ था. उनके माता-पिता दोनों जर्मन अप्रवासी थे. दोनों का ही परिवार जर्मनी से अमेरिका आकर यहीं बस गया था. पिता एडवर्ड परपार्ट एक शुगर रिफाइनरी फैक्ट्री में काम करते थे और मां हाउसमेकर थीं. उनका बचपन कई सारे बड़े भाई-बहनों के साथ न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन में बीता था.
फ्लोरेंस ने स्टेनोग्राफर का काम सीखा था और वह न्यू जर्सी की एक कंपनी द ईस्टर्न सेनेटरी स्ट्रीट क्लीनिंग में काम करती थीं. उसी कंपनी में काम करने के दौरान ही उनकी मुलाकात हिरम डी. लेमैन से हुई थी, जो कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर थे. 5 जुलाई, 1903 को फ्लोरेंस ने लेमैन से शादी की थी.
फ्लोरेंस परपार्ट ने रेफ्रिजरेटर से भी पहले इंडस्ट्रियल स्वीपिंग मशीन की आविष्कार किया था. उसकी शुरुआत ही इस तरह हुई क्योंकि वह द ईस्टर्न सेनेटरी स्ट्रीट क्लीनिंग में बतौर स्टेनोग्राफर काम कर रही थीं.
वह स्ट्रीट क्लीनिंग कंपनी विभिन्न कर्मचारियों के जरिए पूरे शहर की सफाई का कॉन्ट्रैक्ट लेती थी, लेकिन फ्लोरेंस को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि अब भी सफाई का पूरा काम लोगों द्वारा हाथ से किया जाता था.
फ्लोरेंस ने एक ऐसी मशीन बनाई, जो ऑटोमैटिकली सड़क की सफाई कर सकती थी. इस मशीन को इस तरह डिजाइन किया गया था कि वह एक बड़े क्षेत्रफल में फैले कूड़े को समान रूप से और एक साथ उठाकर मशीन के एक डिब्बे में जमा करती जाती थी. उस डिब्बे को भी हाथ से निकालकर कूड़ा साफ करने की जरूरत नहीं थी. मशीन में लगे एक बटन को घुमाकर डिब्बे में जमा हुए कूड़े को किसी एक जगह पर इकट्ठा किया जा सकता था.
आज हम जो बिजली, पेट्रोल और डीजल से चलने वाली रोड स्वीपिंग मशीन देखते हैं, वह इंडस्ट्रियल स्ट्रीट क्लीनिंग मशीन का ही विकसित रूप है. फ्लोरेंस ने जिस तकनीक का इस्तेमाल कर अपनी मशीन बनाई थी, बाद की मशीनों में भी उसी बुनियादी तकनीक का इस्तेमाल किया गया.
परपार्ट ने अपने इस आविष्कार के लिए दो पेटेंट दायर किए थे. इन दोनों पेटेंट्स में हिरम डी. लेमैन को बतौर सह-आविष्कारक जोड़ा गया था, जबकि सच तो ये था कि वे सिर्फ इंवेस्टर थे. जब फ्लोरेंस ने पहली मशीन का डिजाइन बनाया तो वह उस डिजाइन को लेकर हिरम डी. लेमैन के पास गईं, जो कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर थे. उन्हें वह डिजाइन इतना पसंद आया कि वे उसमें इंवेस्ट करने के लिए तैयार हो गए. जब तक वह डिजाइन बनकर तैयार हुआ और पेटेंट के लिए भेजा गया, तब तक दोनों इतने करीब आ गए कि उन्होंने शादी कर ली. इसलिए पेटेंट के कागज पर फ्लोरेंस के साथ लेमैन का भी नाम गया.
शायद इसकी एक वजह ये भी रही होगी कि उस दौर में पति के नाम के पिता सिर्फ औरत के नाम पर पेटेंट नहीं मिलता था. इसलिए भी उन्होंने कागजों पर लेमैन का नाम लिखा होगा.
यह मशीन इतनी पॉपुलर हुई कि जल्दी ही हार्टफोर्ड, कनेक्टिकट और शिकागो की नगर पालिकाओं ने शहर की सफाई के लिए इस मशीन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया.