Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

खोजी महिलाएं : अगर आप भी आइसक्रीम के शौकीन हैं तो नैंसी मारिया जॉनसन को थैंक यू बोलिए

नैंसी मारिया जॉनसन की मशीन ने कुलीनों का डेजर्ट माने जाने वाली आइसक्रीम को अमेरिका के घर-घर में पहुंचा दिया.

खोजी महिलाएं : अगर आप भी आइसक्रीम के शौकीन हैं तो नैंसी मारिया जॉनसन को थैंक यू बोलिए

Monday March 06, 2023 , 5 min Read

गर्मियां आ रही हैं. गर्मियां यानि आइसक्रीम का मौसम. आइसक्रीम हम सभी बहुत चाव से खाते हैं, लेकिन ये नहीं जानते कि आइसक्रीम बनाने वाली पहली मशीन किसने बनाई थी. रेफ्रिजरेटर आने के भी बहुत पहले आइसक्रीम बनाने वाली हैंडी मशीन एक महिला ने बनाई थी. 

अगर आप भी आइसक्रीम के दीवाने हैं तो आपको उनका शुक्रगुजार होना चाहिए और थोड़ा रुककर उनकी कहानी पढ़नी चाहिए.

हम बात कर रहे हैं नैंसी मारिया डोनाल्‍डसन जॉनसन की, जिन्‍होंने 1843 में दुनिया का पहला हैंड कैंक्‍ड आइसक्रीम फ्रीजर बनाया था. रेफ्रिजरेटर के आविष्‍कार से बहुत पहले नैंसी की इस मशीन ने आइसक्रीम को घर-घर पहुंचा दिया. घरेलू औरतों के बीच यह मशीन बहुत लोकप्रिय हुई, जिसकी मदद से वह अपने बच्‍चों के लिए घर पर ही आइसक्रीम बना सकती थीं.

कहानी नैंसी मारिया की

इतिहास महिलाओं के प्रति कभी उदार नहीं रहा. ज्ञान, विज्ञान और मनुष्‍यता को आगे बढ़ाने में महिलाओं के योगदान को स्‍वीकारने और उसे इतिहास में दर्ज करने के मामले में कभी उदार नहीं रहा. महिलाओं के श्रम और योगदान का श्रेय उन्‍हें दिया जाना इतिहास में पिछले पचास साल के भीतर दर्ज हुई घटना है.

ऐसी एक महिला अन्‍वेषक की कहानी है ये. वो जब पैदा हुई थी, अमेरिका में महिला शिक्षा महज दो फीसदी थी. पूरे अमेरिका में एक भी ऐसा कॉलेज नहीं था, जहां लड़कियों को पढ़ने की अनुमति हो. 1821 में न्‍यूयॉर्क के ट्रॉय में एम्‍मा विलार्ड ने एक कॉलेज खोला था. नाम था ट्रॉय फीमेल सेमिनरी. अमेरिका का पहला वुमेंस कॉलेज.

उसका जन्‍म उस कॉलेज के खुलने के भी 27 साल पहले हुआ था.

28 दिसंबर, 1794 को न्‍यूयॉर्क के मैरीलैंड में नैंसी का जन्‍म हुआ. पिता लोथैरियो डोनाल्‍डसन डॉक्‍टर थे और मां मैरी हाउसवाइफ. नैंसी की शुरुआती शिक्षा घर पर ही हुई. उस जमाने में लड़कियों को स्‍कूल भेजने का चलन नहीं था.

लेकिन घर पर ही नैंसी ने साहित्‍य से लेकर विज्ञान तक की ढेरों किताबें पढ़ डाली थीं. घर के आर्थिक हालात अच्‍छे थे और पिता की खासी बड़ी लाइब्रेरी भी थी. नैंसी के दिन का बहुत सारा वक्‍त उस लाइब्रेरी में ही गुजरता.

नैंसी की परवरिश उस दौर के हिसाब से काफी प्रगतिशील तरीके से हुई थी. बाकी लड़कियों की तरह 17 साल की होते-होते उनकी शादी भी नहीं हुई. 1823 में 29 साल की उम्र में उन्‍होंने वॉल्‍टर रोजर जॉनसन के साथ विवाह किया, जो खुद भी एक साइंटिस्‍ट थे. वॉल्‍टर ‘अमेरिकन एसोसिएशन फॉर द एडवान्‍समेंट ऑफ साइंस’ के पहले सेक्रेटरी थे.

 

नैंसी की कहानी इतनी पुरानी है कि उनके बायोग्राफिक डीटेल भी ज्‍यादा नहीं मिलते. इतना पता चलता है कि नैंसी अपनी बहन मैरी के साथ मिलकर अमेरिकन मिशनरी एसोसिएशन के लिए काम करती थीं. बाद में दोनों बहनों ने मिलकर स्‍लेवरी यानि गुलामी की प्रथा के खिलाफ भी व्‍यापक अभियान चलाया था.

शादी के बाद नैंसी की जिंदगी की शुरुआत एक हाउस वाइफ की तरह ही हुई थी, लेकिन वो बहुत समय तक हाउस वाइफ की तरह रह नहीं पाईं. औरतों के लिए बनाई गई प्रचलित सीमाओं को तोड़कर उन्‍होंने सामाजिक कामों से लेकर वैज्ञानिक खोजों तक में अपना योगदान दिया. नैंसी और वॉल्‍टर ने अपने बच्‍चे नहीं पैदा किए, बल्कि उन्‍होंने दो अनाथ बच्‍चों को गोद लिया था.

नैंसी की आइसक्रीम बनाने वाली मशीन

अमेरिका के तीसरे राष्‍ट्रपति थॉमस जेफरसन के कामों के अलावा उनकी आइसक्रीम बनाने की रेसिपी भी बहुत फेमस है. उनकी रेसिपी से आइसक्रीम बनाने में पूरे दो दिन लगते थे और अठारह चरणों में उसे बनाने का काम पूरा होता.  

फिर नैंसी ने वो मशीन बना डाली, जिसने आइसक्रीम बनाने की प्रक्रिया को तेज और आसान कर दिया. खुद जेफरसन भी नैंसी के इस आविष्‍कार से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके. उन्‍होंने भी अपनी पांच पन्‍नों वाली 18 चरणों की आइसक्रीम रेसिपी को छोड़कर नैंसी की मशीन का इस्‍तेमाल करना शुरू कर दिया.   

9 सितंबर, 1843 को नैंसी को अपनी मशीन का पेटेंट मिला, जिसका नाम पेटेंट के कागजों पर लिखा था- आर्टिफिशियल फ्रीजर. लकड़ी के दो बेलनाकार डिब्‍बों को जोड़कर बनाई गई इस मशीन में एक लोहे का हैंडल लगा हुआ था. मशीन के एक हिस्‍से में ढेर सारे बर्फ के टुकड़े डालने होते थे और अंदर के बॉक्‍स में आइसक्रीम बनाने का सामान. फिर उस हैंडल को हाथ से घुमाना होता था. विज्ञान में दो टर्म हैं- थर्मोडायनैमिक्‍स (Thermodynamics) और एंडोथर्मिक(Endothermic). नैंसी की यह मशीन इन्‍हीं दोनों के वैज्ञानिकों सिद्धांतों पर आधारित थी. यह मशीन इतनी प्रभावकारी थी कि कुछ ही देर के भीतर मशीन के भीतर का तापमान फ्रीजिंग प्‍वॉइंट यानि शून्‍य से नीचे चला जाता था और बस कुछ ही घंटों में आइसक्रीम बनकर तैयार हा जाती थी.

साथ ही यह मशीन आकार में बहुत बड़ी नहीं थी. इसे आसानी से घर में रखा और इस्‍तेमाल किया जा सकता था. इस मशीन की सबसे बड़ी खासियत ये थी कि यह प्रचलित आइस मेकर के मुकाबले यह बहुत सस्‍ती थी.

आइसक्रीम जैसा डेजर्ट, जो अब तक कुछ अपर क्‍लास समृद्ध घरों में ही बनता था, नैंसी की मशीन ने उसे अमेरिका के मिडिल और लोअर मिडिल क्‍लास घरों तक पहुंचा दिया था.

आज एक डेजर्ट की बात करें तो आइसक्रीम दुनिया में सबसे ज्‍यादा खाया जाने वाला डेजर्ट है. दुनिया के हर देश में आइसक्रीम का चलन है, लेकिन इसका श्रेय उस महिला को जाता है, जिसने तकरीबन पौने दो सौ साल पहले एक मशीन बनाकर आइसक्रीम का अमेरिका और फिर यूरोन के घर-घर तक पहुंचा दिया. आज जिस टेक्‍नोलॉजी के साथ बड़े पैमाने पर आइसक्रीम प्रोडक्‍शन का काम होता है, वो बुनियादी तौर पर उसी टेक्‍नीक का एडवांस  वर्जन है, जो नैंसी ने खोजी थी.

इसे पढ़ने के बाद अगर आपका भी आइसक्रीम खाने का मन हो रहा है तो खाते हुए एक बार नैंसी और उनके जैसी गुमनाम खोजी महिलाओं को जरूर याद करिएगा और उनका शुक्रिया अदा करिएगा.