श्रमिक स्पेशल ट्रेन में रो रहे बच्चे के लिए महिला पुलिसकर्मी ने आनन-फानन में कुछ इस तरह किया दूध का इंतजाम
आनन-फानन में सुशीला अपने दोपहिया वाहन पर स्टेशन के पास अपने घर चली गई और बच्चे के लिए दूध की बोतल लेकर लौटी।
कोरोनोवायरस महामारी ने पहले से ही पीड़ित प्रवासी श्रमिकों और दैनिक ग्रामीणों को भी नहीं बख्शा है। ये श्रमिक पहले पैदल, फिर लोगों द्वारा उपलब्ध कराई गई बसों और अब सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई श्रमिक ट्रेनों द्वारा बड़ी संख्या में ये श्रमिक अपने घरों को चले गए हैं।
बेंगलुरु-गोरखपुर मार्ग पर चलती हुई ऐसी ही एक ट्रेन में मेहरुन्निसा थी, जो एक चार महीने के बच्चे की माँ थी, जिन्होने झारखंड के रांची के हटिया रेलवे स्टेशन पर दूध के लिए वहाँ तैनात अधिकारियों से अनुरोध किया था।
मां की परेशानी को समझते हुए, एएसआई सुशीला बड़ाईक, जो उस दिन सुबह काम कर रही थीं, उन्होने तुरंत बच्चे के लिए दूध लाने की पेशकश की। ऐसे में सुशीला अपने दोपहिया वाहन पर स्टेशन के पास अपने घर चली गई और बच्चे के लिए दूध की बोतल लेकर लौटी।
ज़ी न्यूज़ की एक वीडियो क्लिप जिसे रेल मंत्रालय द्वारा ट्वीट किया गया था, सुशीला ने बताया "बच्चा दूध के लिए रो रहा था, और मैं दूध लाने के लिए दौड़ पड़ी।"
मंडल रेल प्रबंधक, रांची ने भी ट्वीट कर कहा, दिनांक 14 जून 2020 को हटिया रेलवे स्टेशन पर ट्रेन संख्या 06563 बेंगलुरु से गोरखपुर जाने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन का सुबह 06:00 बजे आगमन हुआ। इस ट्रेन से यात्रा कर रही एक महिला यात्री (नाम- मेहरून्निसा ) ने स्टेशन पर कार्यरत रेल सुरक्षा बल की महिला कर्मचारी ASI, श्रीमती सुशीला बड़ाईक से अपने 4 माह के पुत्र की भूखा होने की बात कही तथा बच्चे के लिए दूध मिलने हेतु अनुरोध किया।
यह सुनते ही श्रीमती सुशीला बड़ाईक ने ममता, कर्तव्यनिष्ठा तथा समयसूचकता का परिचय देते हुए फौरन अपने घर जाकर उस बच्चे के लिए दूध लेकर आई एवं उस महिला यात्री को दिया।