डेढ़ किलो का वज़न, 10000 करोड़ तंत्रिकाएं: इंसानी दिमाग की ये जानकारी बहुत काम आएगी
"ब्रेन हेल्थ फॉर ऑल" (Brain Health for All) - सभी का मस्तिष्क स्वस्थ रहें यह इस वर्ष के विश्व मस्तिष्क दिवस (World Brain Day) का विषय है. हमारे मस्तिष्क, उसकी क्रियात्मक गतिविधियों और मस्तिष्क की सुरक्षा का महत्त्व इस विषय में दर्शाया गया है. आज इस मौके पर जानिए कैसे रखें अपने दिमाग का खयाल...
मस्तिष्क या दिमाग (brain) मनुष्य के शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है. करीबन डेढ़ किलो वजन का यह अंग एक रिमोट कंट्रोल की तरह काम करता है, हमारे शरीर की सभी गतिविधियों को हमारा मस्तिष्क नियंत्रित करता है. शरीर के सभी अंगों की हलचल और गतिविधियों के लिए उन पर मस्तिष्क का नियंत्रण होना ज़रूरी है. अगर किसी व्यक्ति का मस्तिष्क काम करना (प्रतिक्रिया देना, दैनिक प्रक्रिया करना) बंद कर देता है तो उस व्यक्ति को मेडिकली डेड यानी चिकित्सकीय रूप से मृत माना जाता है.
मस्तिष्क और उससे जुडी बिमारियों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए वर्ल्ड ब्रेन फाउंडेशन (World Brain Foundation) हर साल 22 जुलाई को विश्व मस्तिष्क दिवस मनाता है. दुनिया भर में मस्तिष्क जागरूकता सप्ताह मनाया जाता है, जिसमें मस्तिष्क के बारे में जानकारी देने वाले अभियान चलाए जाते हैं. भारत के प्रमुख शहरों में भी इन कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.
मनुष्य का मस्तिष्क प्रकृति की एक अद्भुत रचना है. सिर्फ डेढ़ किलोग्राम वज़न के इस अंग की संरचना काफी जटिल होती है, जिसमें करीबन 100 बिलियन नर्व्स यानी तंत्रिकाएं होती हैं. कल्पना कीजिए कि इन नसों को बांधकर उनकी रस्सी बनाई जाए, तो वह इतनी लंबी बनेगी कि उसे पूरी पृथ्वी को चार बार लपेटा जा सकता है. अगर नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) को कोई चोट लगती है, तो आसपास के टिश्यूज़ (ऊतक) बढ़कर उस घायल नर्वस सिस्टम का काम कर सकते हैं, लेकिन नई नसें कभी भी पैदा नहीं हो सकती हैं. इसलिए मस्तिष्क की देखभाल और सुरक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण है.
"ब्रेन हेल्थ फॉर ऑल" (Brain Health for All) - सभी का मस्तिष्क स्वस्थ रहें यह इस वर्ष के विश्व मस्तिष्क दिवस (World Brain Day) का विषय है. हमारे मस्तिष्क, उसकी क्रियात्मक गतिविधियों और मस्तिष्क की सुरक्षा का महत्त्व इस विषय में दर्शाया गया है.
इस साल के विश्व मस्तिष्क दिवस अभियान में 5 प्रमुख संदेश दिए जा रहे हैं -
- जागरूकता: मस्तिष्क और उससे जुडी बीमारियों के बारे में सभी को जानकारी देना. स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के लिए मस्तिष्क की जानकारी देने वाले विशेष लेक्चर्स आयोजित करना, म्यूजियम मॉडल में मस्तिष्क की प्रतिकृतियों को दिखाकर बिमारियों और इलाज सुविधाओं के बारे में बताना. चित्रकला, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं के ज़रिए स्कूली बच्चों को मस्तिष्क के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने के लिए प्रेरित करना.
- रोकथाम: स्ट्रोक, मस्तिष्क में होने वाले संक्रमण, एपिलेप्सी जैसी गंभीर बीमारियों को रोकथाम के सही उपाय अपनाकर नियंत्रण में लाया जा सकता है. हाई ब्लड प्रेशर, मधुमेह, मोटापा, दिल की बीमारियां, धूम्रपान आदि मस्तिष्क की बीमारियों के प्रमुख कारणों पर नियंत्रण पाकर स्ट्रोक को 80 से 90% तक रोका जा सकता है. अच्छी, स्वस्थ जीवनशैली को अपनाकर पार्किंसन्स, अल्झाइमर्स जैसी बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है.
- समर्थन: मस्तिष्क की बीमारियों के वैज्ञानिक अध्ययनों, नए शोधों और इलाजों के लाभ आम लोगों को किफायती कीमत में उपलब्ध होना बहुत महत्वपूर्ण है. इसके लिए दुनिया के सभी हिस्सों में मेडिकल समुदायों के असोसिएशन्स, बीमारियों से ठीक हुए लोगों के समूहों द्वारा जन-स्नेही योजनाएं बनाई जाने के लिए सरकार पर दबाव डाला जाना चाहिए. इन योजनाओं की लगातार मॉनिटरिंग की जानी चाहिए ताकि सही लाभार्थियों को वह उपलब्ध हो सकें.
- शिक्षा: "सभी के लिए शिक्षा" दुनिया में कई इलाके ऐसे हैं जहां यह बात अभी भी सिर्फ कागज पर लिखी जाने तक ही सीमित रह गयी है. इस सामाजिक-शैक्षणिक असमानता को दूर करने के लिए दुनिया भर के सभी सरकारों और गैर-सरकारी संगठनों को साथ मिलकर काम करना होगा.
- पहुंच: मस्तिष्क के बारे में जानकारी और उसकी बीमारियों के इलाज के संसाधनों को दुनिया भर में सभी के लिए आसानी से उपलब्ध होने योग्य बनाया जाना चाहिए, चाहे वो डिजिटल जानकारी हो या जागरूकता अभियानों के न्यूज़लेटर्स के रूप में हो. आधुनिकतम इलाज को आम जनता के लिए उपलब्ध करने के लिए स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स और हॉस्पिटल्स द्वारा प्रयास किए जाने चाहिए.
इन पांच मुद्दों को ध्यान में रखते हुए इस साल के विश्व मस्तिष्क जागरूकता अभियान की रचना की गयी है. सबसे अच्छे अभियानों को चलाने वाले डॉक्टरों, मरीज़ों के स्वयं-सहायता समूहों, संगठनों को प्रोत्साहन दिया जाता है ताकि वह आम जनता को ज़्यादा से ज़्यादा जागरूक करें.
इंडियन असोसिएशन ऑफ़ न्यूरोलॉजिस्ट्स भारत भर के न्यूरोलॉजिस्ट्स का संगठन है, जिसके 3300 से ज़्यादा सदस्य हैं. इस साल के मस्तिष्क दिवस के उपलक्ष्य में देश भर में सौ से ज़्यादा सार्वजानिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है. कॉर्पोरेट संगठनों के कर्मचारियों में मस्तिष्क की बीमारियों के बारे में जागरूकता पैदा करना, स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों के लिए मस्तिष्क स्वास्थ्य पर विशेष लेक्चर्स आयोजित करना, चित्रकला प्रतियोगिताओं के ज़रिए छोटे बच्चों में मस्तिष्क और इसकी बीमारियों के बारे में जानने की उत्सुकता पैदा करना, मरीज़ों के स्वयं-सहायता समूहों को आवश्यक प्रशिक्षण और जानकारी प्रदान करना यह इनमें से कुछ प्रमुख कार्यक्रम हैं. इंडियन असोसिएशन ऑफ़ न्यूरोलॉजिट्स द्वारा "टू मिलियन स्टेप्स टुवर्ड्स ब्रेन हेल्थ" यह एक अनोखा अभियान भी चलाया जा रहा है. सदस्यों के शारीरिक फिटनेस को बरक़रार रखना इस अभियान का उद्देश्य है.
मस्तिष्क की बीमारियों को नियंत्रण में रख पाने के लिए अच्छी, स्वस्थ जीवनशैली बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. ब्लड प्रेशर, मधुमेह, दिल की बीमारियां, हाई कोलेस्टेरॉल जैसी समस्याओं को नियंत्रण में रखना बहुत ही आवश्यक है. ज़्यादा पोषक खाना खाइए, तला हुआ/चरबी वाला, मीठा खाना न खाएं. हरी, पत्तेदार और सभी प्रकार की सब्जियों, अंकुरित दालों का सेवन ज़्यादा से ज्यादा और हर दिन करें.
हर व्यक्ति को हर दिन कम से कम 30 से 45 मिनटों तक कसरत करनी ही चाहिए. इसमें आप चलना, जॉगिंग, दौड़ना, कसरत, योगा, ध्यान आदि को शामिल करके अपने शरीर और मस्तिष्क को स्वस्थ और तंदुरुस्त रख सकते हैं.
ध्यान रखें: मस्तिष्क और इसकी बीमारियों के बारे में जानकारी को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाने से इन गंभीर बीमारियों को टाला जा सकता है. इससे हमें एक स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिल सकती है.
(लेखक डॉ सूर्यनारायण शर्मा पीएम, अपोलो हॉस्पिटल्स (बेंगलौर) में सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट एंड स्ट्रोक स्पेशलिस्ट हैं. वे कर्नाटक स्ट्रोक फाउंडेशन (बंगलौर) के सेक्रेटरी भी हैं.)