Year Ender 2022: स्टार्टअप्स के लिए कैसा रहा ये साल, जानिए क्या कहते हैं को-फाउंडर्स
पहले कोरोना ने तमाम स्टार्टअप्स के सामने चुनौती ला दी. उसके बाद भी स्टार्टअप्स एक अलग तरह की परेशानियां झेलते रहे. आइए जानते हैं स्टार्टअप्स को कैसी-कैसी परेशानियां झेलनी पड़ीं.
कोरोना वायरस ने लगभग सभी क्षेत्रों में तमाम तरह की चुनौतियां ला दी हैं. अब बात यह नहीं है कि किन क्षेत्रों को इससे सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है, बल्कि यह है कि किस उद्योग पर किस हद तक इसका सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. हर स्टार्टअप फाउंडर शुरू से ही जानता है कि बाधाएं आने वाली हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके उत्पाद या सेवाएं कितनी अच्छी हैं. यह एक भीड़ भरा बाज़ार है और चुनौतियां इसका एक अहम हिस्सा हैं.
इसके साथ ही साथ सवाल यह है कि परिवर्तन की लहरों के बावजूद भी स्टार्टअप्स न ही सिर्फ मार्केट में जीवित हैं, बल्कि कई पुराने स्थापित ब्रांड्स को भी टक्कर दे रहे हैं. जहां कोविड ने कुछ स्टार्टअप्स के आगे चुनौतियों का पहाड़ खड़ा कर दिया, वहीं कुछ स्टार्टअप्स ने इस आपदा को अवसर के रूप में भी परिवर्तित किया है. आइए जानते हैं कि इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के लिए कैसा रहा साल 2022.
Pataa Navigations के फाउंडर रजत जैन के मुताबिक, 'स्टार्टअप्स के लिए सबसे अहम चैलेंज है वर्कफोर्स मैनेजमेंट. महामारी ने वर्कफोर्स के एक बड़े हिस्से को रिमोट वर्किंग करने के लिए प्रेरित किया है, जिससे नए-नए लोगों को हायर करना पहले से ज्यादा चैलेंजिंग हो गया है. अब कंपनियां किसी विशेष क्षेत्र से लोगों को हायर करने तक सीमित नहीं हैं और दुनिया भर के लोगों पर अपनी नज़र गड़ाए हुए हैं. उदाहरण के लिए, इंदौर का एक स्टार्ट-अप एक टैलेंट के लिए अब न्यूयॉर्क के एक स्टार्टअप के साथ कॉम्पटीशन कर रहा है. जिस कारण ना ही केवल नए लोगों को हायर करना मुश्किल हो गया है, बल्कि पुराने टैलेंट को रोके रखना उससे भी ज्यादा चैलेंजिंग हो गया है.'
Ezeepay के फाउंडर शम्स तबरेज का कहना है, “फिनटेक इंडस्ट्री में बढ़ती टेक्नोलॉजी के साथ कॉम्पटीशन और चैलेंज भी बढ़ता जा रहा है. मार्केट में पहले ही काफी एस्टेबलिश्ड प्लेयर्स मौजूद हैं और साथ ही काफी नए प्लेयर्स भी मार्केट में कदम रख रहे हैं. इन सब के बीच अगर कोविड महामारी की बात करें तो ये हमारे लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ. Ezeepay का अहम फोकस हमेशा से ग्रामीण क्षेत्र रहे हैं. कोविड के समय ग्रामीण क्षेत्र में बैंकिंग सिस्टम पूरी तरह से बंद था. तब हम उस डिमांड और सप्लाई के गैप को भरने के लिए आगे आए. ग्रामीण इलाकों में जब लोग बैंकिंग सेवाओं से वंछित थे, तब हमने गांव-गांव जाकर उन्हें सुविधाएं मुहैया कराईं. स्टार्टअप के तौर पर इससे हमें एक बहुत पॉजिटीव ग्रोथ मिली. लोगों का विश्वास भी Ezeepay पर मजबूत हो गया. आज हमारे पास 4 लाख से भी ज्यादा एक्टिव यूजर्स हैं और हमारी सर्विस 12,000 पिनकोड में मौजूद है.”
Exalta के फाउंडर आशुतोष वर्मा ने कहा, “भारतीय EV इंडस्ट्री की अगर बात की जाए तो डिमांड और सप्लाई के बीच का गैप अब तक सबसे चैलेंजिंग रहा. इसके अलावा चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और बैटरी के कारण EV का महंगा होना एक अगल चुनौती रही है. दूसरी तरफ अगर हम देखें तो लोगों में EV के प्रति जागरूकता लाना भी एक अहम पहलु है. साथ ही साथ लोग अभी EV के इस्तेमाल को लेकर कन्फ्यूज हैं, क्योंकि बैटरीज़ को लेकर लगातार नई नीतियां आ रही हैं. मार्केट में कई प्रकार की बैटरीज़ का इस्तेमाल हो रहा है. ऐसे में एक स्टैंडर्डाइजेशन का न होना भी एक बड़ी चुनौती है. हमें सख्त बैटरी स्टैंडर्ड्स बनाने की जरूरत है, जो सभी मेन्युफैक्चर्रस को मेंटेन करना होगा.
कोविड के बाद इसके प्रभाव की अगर बात की जाए तो EV इंडस्ट्री पर इसका पॉजिटिव प्रभाव ही पड़ा है. कोविड के दौरान ई-कॉमर्स और लास्ट माइल डिलीवरी सेक्टर ने सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की और साथ ही EV की तरफ रुख भी किया. यही वजह है कि अब EV को एक 'New Normal' के रूप में देखा जाने लगा है.”
Lavna Locks के को-फाउंडर सनत जैन ने कहा, “एक ऐसे बाजार में प्रवेश करना जहां हमें गोदरेज और येल जैसे ब्रांड्स के साथ मार्केट में उतरना है, यह अपने आप में एक बड़ी चुनौती थी. इससे पार पाने के लिए हमने किफायती रेंज में बाकी ब्रांड्स से ज्यादा फीचर्स दिए. दूसरी ओर, अगर हम महामारी के बाद के प्रभाव के बारे में बात करें तो इसका हमारे व्यवसाय पर सकारात्मक प्रभाव ही पड़ा है. कोविड के दौरान लोग ऑनलाइन मार्केटिंग की तरफ शिफ्ट हो चुके हैं, जिससे उपभोक्ता को टारगेट करना आसान हो गया है. साथ ही साथ विज्ञापन का खर्च भी कम हुआ है. वहीं अगर बीते 2 सालों की बात करें तो, मार्केट में अनुमान से कम नए नामों ने मार्केट में प्रवेश किया है. इस कारण स्मार्ट होम सिक्योरिटीज़ सेगमेंट का एक बहुत बड़ा हिस्सा अभी भी अनटैप्ड है, जिसे हमें जल्द से जल्द कवर करने की जरूरत है. इसीलिए हम समय-समय पर अपने प्रोडक्ट पर R&D टीम के साथ मिलकर ये सुनिश्चित करते हैं कि हम मौजूदा प्रतिष्ठित ब्रांड्स और आने वाले नए ब्रांड्स के बीच खुद को स्थापित कर सकें. आने वाले साल में हम नए फीचर्स के साथ अपने प्रोडक्ट्स मार्केट में उतारने के लिए तैयार हैं. इन्हें हम उपभोक्ताओं की डिमांड और फीडबैक के आधार पर तैयार कर रहे हैं.”
CarePop के फाउंडर आकर्ष जैन के मुताबिक, “कोविड पेंडेमिक ने लोगों की स्पेंडिंग हैबिट्स पर काफी प्रभाव डाला है, जिससे मार्केट पर काफी असर पड़ा है. हालांकि, ब्यूटी कंपनी ने इस बदलाव को सबसे पहले पढ़ा और बिना समय गंवाए उसी के अनुसार रिएक्ट किया. गौरतलब है कि कोविड ने सभी इकनॉमिक क्षेत्रों में डिजिटलाइजेशन को एक बहुत पॉजिटीव पुश दिया. इस कारण 2020 में ऑनलाइन ब्यूटी प्रोडक्ट्स कि सेल्स में 47फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई.
कार्बन फुटप्रिंट, क्रुएल्टी फ्री प्रोडक्ट्स, और नेचुरल इंग्रेडिएंट्स के बारे में बढ़ती जागरूकता के साथ, कंज्यूमर आज उम्मीद करते हैं कि ब्रांड्स ऐसे प्रोडक्ट्स ऑफर करें जो एनवायरमेंट फ्रेंडली हों. नतीजतन, रीयूजेबल और बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग के ट्रेंड ने नई और पुरानी कॉस्मेटिक कंपनी को अपने कब्जे में ले लिया है. इसके अलावा, जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है, लोगों की अपेक्षाएं भी बढ़ती जा रही हैं. उसी के अनुसार स्टार्टअप भी अब लोगों को टेलरमेड और कस्टमाइज्ड प्रोडक्ट्स ऑफर करने में लग गए हैं.”
Happier की फाउंडर और सीईओ, आकृति सूरी ने कहा, "पेंडेमिक से पहले बड़े ब्रांड्स अपने ग्राहकों को लिमिटेड क्वालिटी वाले प्रोडक्ट ऑफर कर रहे थे. पेंडेमिक के बाद नए उभरते स्टार्टअप्स ने बड़े ब्रांड्स को चुनौती दी, जिससे मार्केट में ऑप्शन्स की भरमार हो गई. इंटरनेट और सोशल मीडिया ने कस्टमर्स को प्रोडक्ट के इनग्रेडिएंट्स के प्रति जागरूक किया. कस्टमर्स के ऑर्गेनिक और नेचुरल प्रोडक्ट्स की तरफ रुझान को देखते हुए स्टार्टअप्स नईनयी प्रोडक्ट रेंज से ग्राहकों का मन जीता. साथ ही साथ बाजार में अंतर पैदा करने और इन अनूठे अवसरों का लाभ उठाने के लिए, कई स्टार्टअप्स ने पर्सनलाइज्ड प्रोडक्ट्स पर ध्यान केंद्रित किया. कंज्यूमर के स्किन टाइप का एनालिसिस करते हुए कई प्रकार के क्लाउड-बेस्ड ऐप्स, ई-कॉमर्स वेबसाइट्स और तमाम सोशल प्लेटफारम्स के जरिये कस्टमर्स को प्रोडक्ट्स चुनने का मौका दिया|
पेंडेमिक का एक अन्य पहलू यह रहा है कि इसने उपभोक्ताओं का ध्यान मेकअप से हटाकर स्किन केयर की तरफ केंद्रित किया. इसकी वजह ये है कि कस्टमर्स अब अपनी त्वचा को लेकर अधिक चिंतित हैं और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स में निवेश कर रहे हैं. ऐसे में कस्टमर्स की मांग को ध्यान में रखते हुए ब्यूटी ब्रांड्स अब नए प्रोडक्ट्स मार्केट में लाने लगे हैं. लोग ऐसे प्रोडक्ट्स पसंद कर रहे हैं जो कि लंबे समय तक स्किन को स्वस्थ रखते हैं और स्थिति में सुधार लाते हैं."