सस्ती ब्रोकरेज सर्विस के आईडिया के साथ शुरू हुई थी Zerodha, 10 साल में कामथ ब्रदर्स ने बना दिया यूनिकॉर्न
कंपनी ने 2020 में एंप्लॉयीज से 65 करोड़ रुपये के ESOP बायबैक प्लान किया, जो बुक वैल्यू से 5 गुना अधिक थी. इस तरह कंपनी का वैल्यूएशन 7000 करोड़ रुपये यानी 1 अरब डॉलर के पास पहुंच गया और कंपनी यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गई.
2008 में जब फाइनैंशियल क्राइसिस आया तब उसका असर ब्रोकिंग इंडस्ट्री पर भी पड़ा था. 2009-10 तक बिजनेसेज इसके असर से उभर नहीं पाए. कई बड़ी-बड़ी कंपनियां अपना ब्रोकरेज बिजनेस समेट कर निकल रही थीं, लेकिन उसी समय इंडिया में एक शख्स ब्रोकरेज कंपनी शुरू करने की प्लानिंग कर रहा था.
ये शख्स थे नितिन कामथ. जी हां, नितिन ने
को उस समय शुरू करने का सोचा जब इंडिया समेत दुनिया भर में ब्रोकरेज इंडस्ट्री की ग्रोथ नीचे जा रही थी.मंझे हुए ट्रेडर हैं नितिन
नितिन खुद एक मंझे हुए ट्रेडर हैं. उन्होंने 17 साल की उमर से ही ट्रेडिंग शुरू कर दी थी. उन्होंने 3-4 सालों तक ट्रेडिंग की और पैसे बचाए. जो उन्होंने डेरिवेटिव्स में गंवा दिए. उसके बाद नितिन ने एक कॉल सेंटर कंपनी को जॉइन किया. नितिन दिन में ट्रेडिंग करते थे और रात में काम करते थे. नितिन ने 2001 से 2004-05 तक कॉल सेंटर में काम किया.
उसी दौरान जिम में नितिन की मुलाकात एक बिजनेसमैन से मुलाकात हुई जो अमेरिका से हाल ही में इंडिया आए थे. उन्होंने बातों बातों में नितिन से पूछा कि क्या काम करते हो? नितिन ने उन्हें अपना ट्रेडिंग अकाउंट दिखाया तो उस शख्स ने इंप्रेस होकर नितिन को अपने पैसे मैनेज करने का काम दे दिया.
इस तरह नितिन को पहला क्लाइंट मिला और उन्होंने नौकरी छोड़ दी. धीरे-धीरे नितिन के पास और क्लाइंट आते गए. नितिन ने रिलायंस मनी के लिए सब-ब्रोकर बनने का फैसला किया.
फाइनैंशल क्राइसिस बना मौका
फिर आया 2008 यानी फाइनैंशियल क्राइसिस वाला दौर. उस समय मार्केट सिर्फ नीचे जा रहा था. तब तक नितिन को ट्रेडिंग का बड़ा एक्सपीरियंस हो चुका था इसलिए उन्होंने मार्केट को शॉर्ट करके अच्छे खासे पैसे बनाए.
नितिन तब तक 12 ब्रोकरेज फर्म्स के साथ काम कर चुके थे. इस बीच नितिन ने महसूस किया कि ट्रेडर्स ऑनलाइन शिफ्ट रहे हैं लेकिन ब्रोकर्स अभी भी पुराने ढर्रे पर काम कर रहे हैं.
हर ट्रांजैक्शन पर ब्रोकरेज चार्जेज लगते हैं जो यंग यूजर्स को ट्रेडिंग/इनवेस्टिंग से दूर रख रहे हैं. टेक्नोलॉजी, तौर तरीका काफी पुराना है. उन्हें यहां पर एक अपॉर्चुनिटी नजर आई और इस तरह उनके मन में खुद की ब्रोकरेज फर्म शुरू करने का आईडिया आया.
नितिन के साथ एक और अच्छी चीज हुई. स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया NSE उस समय अपने मेंबर्स को फ्री ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर दे रही थी. इसलिए अगर नितिन ब्रोकरेज बिजनेस शुरू करते तो उन्हें बेशक टेक्नोलॉजी पर खर्च नहीं करना पड़ता. सारी चीजों का आंकलन करने के बाद उन्होंने भाई निखिल कामथ और 5 लोगों की टीम के साथ मिलकर अपना फर्म शुरू करने का फैसला किया.
अनोखी मार्केटिंग
नितिन शुरू से ही याहू, मैसेंजर पर ट्रेडिंग कम्यूनिटी के बीच काफी पॉपुलर थे. इस तरह उन्होंने वहां यूजर्स के बीच जीरोधा के बारे में लिख लिख कर लोगों को अपनी कंपनी के बारे में फैमिलियर कराया. शुरू के 1000 कस्टमर लाने में एक साल लगे.
हालांकि, लोग ये नंबर अभी भी काफी नहीं थे. पैसे रुपये के बिजनेस में भरोसा बहुत बड़ी चीज होती है. नितिन लोगों के मन में अपने बिजनेस को लेकर यही भरोसा कायम करना चाह रहे थे.
तभी 2011 में इकनॉमिक टाइम्स ने डिस्काउंट ब्रोकिंग पर एक आर्टिकल लिखा, जिसमें जीरोधा का जिक्र था. इससे जीरोधा को लेकर लोगों के मन में भरोसा पैदा कर दिया और उसके कस्टमर बढ़ गए. जहां हर महीने 100 अकाउंट खोल रहे थे वो अब 300 से 400 अकाउंट्स खुलने लगे.
जीरोधा का मतलब
जीरोधा दरअसल इंग्लिश और संस्कृत के शब्दों से मिलकर बना है. Zero यानी शून्य और संस्कृत में रोधा का मतलब होता है रुकावट. जीरोधा का मतलब हुआ ‘कोई रुकावट नहीं’ यानी कंपनी चैलेंज फ्री ऑनलाइन स्टॉक ब्रोकिंग प्लैटफॉर्म होने का दावा करती है.जीरोधा का टैगलाइन ‘दी फ्री ट्रेड जोन’ है, जो कंपनी की खासियत यानी ब्रोकरेज फ्री ट्रेडिंग को प्रमोट करता है.
फंडिंग
नितिन ने इस कंपनी को अपने पैसों से शुरू किया था. हैरत की बात ये है कि ये कंपनी यूनिकॉर्न बन चुकी है लेकिन अभी तक इसने बाहर से कोई फंड नहीं जुटाया है. ऐसा नहीं है नितिन ने कभी फंड जुटाने की कोशिश नहीं की. एक इंटरव्यू में नितिन बताते हैं कि 2009 में जब उन्हें पहली बार जीरोधा का आईडिया आया तब वो कुछ वीसी के पास गए थे.
कई वीसी को तो मुझ पर भरोसा नहीं था. दूसरा ना ही मेरा एजुकेशन बैकग्राउंड अच्छा था और ना ही मैं बिजनेस बैकग्राउंड से था. नितिन को फंडिंग नहीं मिलने का मलाल नहीं होता है. आज लगता है कि अच्छा हुआ हमें फंडिंग नहीं मिली क्योंकि इस दौरान हमने कई ऐसी चीजें की जो शायद एक वीसी हमें करने की इजाजत नहीं देता.
2012 में जीरोधा को पहला कॉम्पटीशन मिला एक दूसरी ब्रोकरेज फर्म से. उसने में भी लो कॉस्ट ट्रेडिंग फसिलिटी ऑफर करना शुरू किया. नितिन कहते हैं कि जीरोधा भी लो कॉस्ट और ट्रांसपैरेंसी ऑफर कर रही है और दूसरी कंपनी भी. फिर हममें ऐसा क्या खास है जो यूजर हमें चुनेंगे.
इसी बीच उन्होंने जीरोधा पर ऐसी फैसिलिटी जोड़ने पर काम किया जो उन्हें दूसरे ब्रोकरेज से आगे रखा. ब्रोकरेज कैलकुलेटर के साथ ही मार्केटिंग, इनवेस्टिंग और ट्रेडिंग पर खुद से ब्लॉग पोस्ट लिखने शुरू कर दिए. जो ब्रोकिंग इंडस्ट्री में पहले किसी सीईओ ने नहीं किया था. आज भी जीरोधा अपने कॉम्पिटीटर्स से आगे रहने के लिए लगातार इनोवेशन करते रहती है.
बिजनेस मॉडल
जीरोधा लो मार्जिन और हाई वॉल्यूम मॉडल पर बिजनेस करती है. जीरोधा ट्रेडर्स से ट्रांजैक्शन के बदले बेहद कम चार्ज लेती है जिस वजह से उसके प्लैटफॉर्म पर ट्रेडर्स की संख्या अधिक है.
कम चार्ज लेने के बावजूद ज्यादा संख्या में क्लाइंट होने की वजह से जीरोधा का रेवेन्यू जेनरेशन जबरदस्त रहा है. कंपनी का ऑपरेटिंग कॉस्ट भी काफी कम है इस वजह से कंपनी हाई प्रॉफिट मार्जिन बरकरार रख पाती है. दरअसल कंपनी अपने ऑनलाइन स्ट्रक्चर की वजह से बाकी अन्य ब्रोकर्स से आगे रह पाने में कामयाब रहती है.
कंपनी अभी सभी इक्विटी डिलीवरी इनवेस्टमेंट्स पर जीरो रुपये चार्ज करती है. इंट्राडे और इक्विटी, करंसी और कमोडिटी में F&O ट्रेड्स पर 20 रुपये या 0.03 फीसदी (जो कम हो) उतना चार्ज करती है. डायरेक्ट एमएफ भी प्लैटफॉर्म पर फ्री में कर सकते हैं.
प्रोडक्ट सर्विसेज
Kite एक ट्रेडिंग प्लैटफॉर्म है, जहां यूजर्स को स्ट्रीमिंग मार्केट डेटा, एडवान्स्ड चार्ट्स और अव्वल दर्जे का यूजर एक्सपीरियंस मिलता है. Console के यूजर अपने ट्रेड और इनवेस्टमेंट के बारे में रिपोर्ट ऑफर करता है.
कॉइन के जरिए म्यूचुअल फंड सर्विस भी ऑफर करती है. इसके अलावा कंपनी Kite connect API जो यूजर्स को अपना इनवेस्टमेंट ऐप बनाने की सर्विस ऑफर करती है. इसके अलावा Varsity Mobile के जरिए कंपनी लोगों को इनवेस्टिंग और ट्रेडिंग के बारे में जानकारी देती है.
इसके अलावा कंपनी ने स्मॉलकेस, स्ट्रीक, सेंसीबुल,गोल्डेनपाई, डिट्टो इंश्योरेंस में भी निवेश कर रखा है. जीरोधा एक ऐसी स्टार्टअप थी जो बिना बाहरी फंडिंग के प्रॉफिटेबल थी.
कंपनी ने 2020 में एंप्लॉयीज से 65 करोड़ रुपये के ESOP बायबैक प्लान किया, जो बुक वैल्यू से 5 गुना अधिक थी. इस तरह कंपनी का वैल्यूएशन 7000 करोड़ रुपये यानी 1 अरब डॉलर के पास पहुंच गया और कंपनी यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गई.
रिजल्ट
वित्त वर्ष 2022 में कंपनी का मुनाफा बढ़कर करीब दोगुना हो गया है. 2022 में कंपनी को 2094 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है, जो वित्त वर्ष 2021 में करीब 1122 करोड़ रुपये था. यानी करीब 87 फीसदी की तेजी देखने को मिली है. जीरोधा का मुनाफा बढ़ने की एक बड़ी वजह है उसके रेवेन्यू में आई तेजी. वित्त वर्ष 2022 में कंपनी का रेवेन्यू करीब 4963 करोड़ रुपये हो गया है.
पिछले साल के मुकाबले करीब 82 फीसदी अधिक है. तब कंपनी का रेवेन्यू लगभग 2729 करोड़ रुपये था. ऐसा नहीं है कि सिर्फ मुनाफा और रेवेन्यू ही बढ़ा है. साल भर में कंपनी का खर्चा भी करीब दोगुना हो गया है. साल भर पहले कंपना का खर्चा 1260 करोड़ रुपये था, जो अब 2164 करोड़ रुपये हो गया है.
चुनौतियां
काम करते हुए नितिन ने महसूस किया कि बिजनेस ग्रो जरूर कर रहा है लेकिन बिजनेस एक्सपैंड करने का ज्यादा स्कोप नहीं है. मतलब ये कि, कंज्यूमर बेस ही कम है. इसके लिए उन्होंने इवेस्टिंग ईकोसिस्टम बढ़ाने के लिए प्रॉफिट को वापस ईकोसिस्टम को बढ़ाने के लिए दूसरे इनोवेशन में लगाना शुरू कर दिया.
2014 में जीरोधा ने टेस्टलैब के साथ अपना पहला निवेश किया. कंपनी के कॉम्पिटीशन में मोतीलाल ओसवाल, कोटक सिक्योरिटीज, आईआईएफल सिक्योरिटीज जैसे बड़े नाम हैं.
हाई ट्रैफिक की वजह से कई बार ऐप्लिकेशन डाउन हो जाता है या चार्ट में एरर शो हो जाते हैं. जीरोधा अन्य ट्रेडिंग प्लैटफॉर्म्स की तरह मार्केट से जुड़े एडवाइजरी कॉल भी नहीं ऑफर करती है. कंपनी के यूजर्स को कस्टमर्स सपोर्ट के मोर्चे पर काफी शिकायतें रहती हैं.