आशाओं-अपेक्षाओं और चुनौतियों के रथ पर सवार उत्तर प्रदेश की केसरिया सरकार
25 करोड़ आबादी वाले उत्तर प्रदेश में लाख से ज्यादा थाने, हजारों दफ्तर, हजारों स्कूल और अस्पताल होंगे, आखिर किन-किन स्थानों पर कदम रखेंगे मुख्यमंत्री?
उत्तर प्रदेश की केसरिया सरकार के 30 दिन पूरे हो चुके हैं। यूं तो एक माह का समय किसी भी हुकूमत के मूल्यांकन के लिये बेहद कम है लेकिन यह भी सच है कि लम्हे में भी तारीख बना करती है। अगर 2007 और 2012 की हुकूमतों के पहले एक माह से तुलना की जाये तो वर्तमान 30 दिन ऐतिहासिक कहे जायेंगे।
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अल्पसंख्यक मोर्चे पर उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी कयासों को झुठलाते हुये महज एक माह के अल्प समय में अपनी पूर्ववर्ती सरकारों से एक बड़ी रेखा खींच दी है। जैसे हर साल गरीब मुस्लिम लड़के-लड़कियों के 100 सामूहिक विवाह का लक्ष्य रखा है जिसमें मेहर की रकम सरकार चुकाएगी। अगर ये योजना सफल रहती है तो इसकी मियाद 6 महीने भी की जा सकती है।
अंधाधुंध फीस बढ़ाने वाले निजी स्कूलों की सूची योगी सरकार ने बनानी शुरू कर दी है, जिसका लोग स्वागत कर रहे हैं। दरअसल सीएम योगी ने निजी स्कूलों की फीस की निगरानी के लिए पूर्व न्यायाधीशों की टीम गठित करने की घोषणा की है और इसी सिलसिले में उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को नीति बनाने के लिए कह दिया है।
एंटी रोमियो स्क्वॉड के कार्यों, शराबियों की धरपकड़ और मंत्रियों द्वारा अपने दफ्तर में झाड़ू देने के दृश्यों ने जहां एक ओर समा बांधा तो वहीं दूसरी ओर किसानों की ऋण माफी के अपने वायदे को पूरा कर योगी सरकार ने हुकूमत के वकार को नई ऊचाइयां बख्शी। बेलगाम नौकरशाही को काम करने की कार्य संस्कृति का पहला सबक पढ़ाया तो खादी को जनता की खिदमत और ख्याल करने का मंत्र दिया। जनता के मन में कानून के प्रति विश्वास भाव जगाने के लिये पुलिस के अधिकारियों को व्यस्त बाजारों में प्रतिदिन डेढ़ से दो किमी पैदल गश्त का निर्णय कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर सरकार की गंभीरता को बयान करता है तो अवैध बूचडख़ानों पर परिणामदायक कार्यवाही ने कानून के इकबाल को बुलंद करने का काम किया। छुट्टियां छुट्टी पर चली गईं और मनमानी फीस वाले फंसते नजर आ रहे हैं। भ्रष्टाचार, भोजन, सुरक्षा, स्वास्थ्य और बिजली जैसे अहम मुद्दों को वरीयता प्रदान कर सरकार ने आगे के पांच साल के लिये अपने इरादे साफ कर दिये हैं। प्रदेश के मख्यमंत्री का तीन तलाक पीड़ित महिलाओं को सरकारी मदद देने का ऐलान, मुस्लिम छात्रों को मुख्यधारा में लाने के लिए मदरसों के पाठ्यक्रम में सुधार का निर्णय और मुस्लिम बेटियों की शादी आदि के लिये योगी सरकार का अपना खजाना खोलना सियासत के पहले पन्ने पर सबका साथ-सबका विकास की सुनहरी इबारत लिख गया है।
शिक्षा में प्रदेश के सभी मदरसों का आधुनिकीकरण का निर्णय लिया गया है। 19 हजार से ज्यादा मदरसों में विज्ञान जैसे विषय भी शामिल किए जा रहे हैं, ताकि मदरसों से पास हुए छात्र तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं का भी हिस्सा बन सकें। मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी को लखनऊ कैंपस के लिए भी जल्द ही जमीन मुहैया करायेगी सरकार।
गरीबों को भरपेट भोजन मुहैया कराना आज भी सरकार और समाज के लिये बड़ी चुनौती है। लेकिन अभी एक माह पूर्व वजूद में आयी केसरिया सरकार ने तमिलनाडु की अम्मा कैंटीन और मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार की दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना की तर्ज पर गरीबों के लिए सस्ता भोजन उपलब्ध कराने के ऐलान ने सरकार के सरकार होने के अहसास को गहरा किया है। दीगर है कि अन्नपूर्णां योजना के अंतर्गत राज्य की कुछ कैंटीनों में 05 रुपए में खाना और 3 रुपए में नाश्ता दिया जाएगा। पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में पहले इसकी शुरुआत होगी। इन कैंटीन में नाश्ते में दलिया, इडली-सांभर, पोहा और चाय-पकौड़ा होगा तो खाने में रोटी, सब्जी, अरहर की दाल और चावल मिलेगा। स्ट्रेचर पर पड़ी सूबे की चिकित्सा व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिये सरकार द्वारा शुरू की गई कार्यवाही की शुरूआत भी काफी दिलचस्प है। पिछले हफ्ते ही योगी ने केजीएमयू (किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी) में सरकार ने प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों की पहचान करने के लिए आदेश जारी कर दिया है। इसके लिए सभी जिलों के चीफ मेडिकल अफसरों से महीने भर में ब्यौरा भेजने को कहा गया है।
बता दें, यूपी में एक लाख लोगों पर सिर्फ तीन अस्पताल हैं, जबकि सिर्फ 101 डॉक्टर हैं। अभी राज्य में 5 लाख डॉक्टरों की जरूरत है। सबसे अधिक सुर्खियां बटोरी एंटी रोमियो स्क्वाड ने। सड़कों और स्कूलों के बाहर लड़कियों पर खुलेआम फब्तियां कसने वाले शोहदों और मनचलों पर नकेल कसने के लिये योगी सरकार ने एंटी रोमियो स्क्वाड का गठन किया है जिससे शोहदों और मनचलों की हरकतों पर लगाम तो लगी है किंतु कुछ लोग नाजायज भी परेशान हुये हैं जिसके कारण मुख्यमंत्री योगी ने कपल को न छेड़ा जाये का ऐलान कर योजना के उद्देश्य को साफ कर दिया है। जनता के मध्य यह योजना बड़े ही उत्साह के साथ स्वीकार की गई है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महापुरुषों के नाम पर उनकी जयन्तियों या पुण्यतिथियों पर स्कूलों में छुट्टियां नहीं होनी चाहिए। हालांकि प्रदेश सरकार की ओर से उसे समाप्त करने का कोई औपचारिक आदेश अभी जारी नहीं किया गया। किंतु योगी के इस ऐलान ने शिक्षा जगत में एक नई बहस छेड़ दी है।
अंधाधुंध फीस बढ़ाने वाले निजी स्कूलों की सूची योगी सरकार ने बनानी शुरू कर दी है, जिसका लोग स्वागत कर रहे हैं। दरअसल सीएम योगी ने निजी स्कूलों की फीस की निगरानी के लिए पूर्व न्यायाधीशों की टीम गठित करने की घोषणा की है और इसी सिलसिले में उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को नीति बनाने को कहा है। राज्य में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए नकल माफिया से निपटना बेहद जरूरी है। इसी क्रम में दागी केंद्रों को पहचान कर उन्हें ब्लैक लिस्ट किया जा रहा है और उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जा रही है। कोचिंग चलाने वाले सरकारी शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश है। यही नहीं स्कूलों के पाठ्यक्रम को 200 दिन में खत्म करने और सभी स्कूलों में बायोमीट्रिक्स के जरिए शिक्षकों और बच्चों की नियमित उपस्थिति पर निगरानी रखने की व्यवस्था करने के आदेश दिये गये हैं।
14 अप्रैल को सबसे इंकलाबी ऐलान करते हुये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महापुरुषों के नाम पर उनकी जयन्तियों या पुण्यतिथियों पर स्कूलों में छुट्टियां नहीं होनी चाहिए। हालांकि प्रदेश सरकार की ओर से उसे समाप्त करने का कोई औपचारिक आदेश अभी जारी नहीं किया गया। किंतु योगी के इस ऐलान ने शिक्षा जगत में एक नई बहस छेड़ दी है। सच है कि कई बार महापुरुषों के नाम पर होने वाले अवकाशों के पीछे काम न करने और छुट्टियों की संख्या बढ़ाने की दृष्टि होती है। संगठित, जागरूक और चतुर सरकारी कर्मचारी तो इनकी ताक में रहते ही हैं, लोकतंत्र में जिन्हें जनप्रतिनिधि कहा जाता है और जो राज्य नामक संस्था का संचालन करते हैं, उनमें भी यह प्रवृत्ति देखी गई है। शायद अब ऐसी कु-प्रवृत्ति पर चोट शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री के औचक निरीक्षणों से तो सरकारी विभागों का दम ही फूल गया। कभी थाने तो कभी सचिवालय तो कभी किसी अन्य विभाग में मुख्यमंत्री की औचक मौजूदगी मीडिया, जन मानस और विभाग के लोगों के मध्य कौतुक और अंदेशे का विषय बनी।
गौरतलब है, कि 25 करोड़ आबादी वाले उत्तर प्रदेश में लाख से ज्यादा थाने, हजारों दफ्तर, हजारों स्कूल और अस्पताल होंगे। आखिर किन-किन स्थानों पर कदम रखेंगे मुख्यमंत्री? एक व्यक्ति की सीमा होती है। इसलिए मुख्यमंत्री को समस्या से प्रदेश को मुक्त कराने के लिये नीतियों और उनके कार्यान्वयन के स्तर पर ठोस बदलाव करना पड़ेगा। पूत के पांव पालने में ही दिखाई पड़ने लगे हैं। आगाज जब इतना रोमांचकारी है तो अंजाम के क्रांतिकारी होने के कयास लगाये जा सकते हैं फिलहाल तो बस योगी सरकार के 30 दिन के लिये इतना ही, कि
"हमारे हौसलों की दाद तुमको आंधियां देंगी,
हमारा नाम इज्जत से अभी तूफान लेता है।"
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