विकास को लेकर अति महत्वाकांक्षी होने से बचे भारत : रघुराम राजन
पीटीआई
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि ऐसे समय में जब विश्व में अनिश्चितता का माहौल है, भारत को ‘अति महत्वाकांक्षी’ होने से बचना चाहिए और इसकी बजाए सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए विवेकपूर्ण नीतियों पर ध्यान देना चाहिए।
राजन ने भुवनेश्वर में महताब स्मारक व्याख्यान देते हुए कहा, ‘‘इस समय दृष्टिकोण एवं दूसरों की नीतियों को लेकर जारी व्यापक अनिश्चितता को देखते हुए भारत जैसे देश को अति महत्वाकांक्षी हुए बिना विवेकपूर्ण उपाय करने की कोशिश करनी चाहिए जैसा कि हमने अब तक किया है।’’
राजन ने कहा, ‘‘यह विश्व अर्थव्यवस्था की गति पकड़ने के साथ भारत के मजबूत एवं सतत विकास के ठोस आधार के तौर पर काम करेगा।’’
राजन ने कहा कि हर देश में अलग अलग कारकों की वजह से विश्व ‘काफी धीमी गति’ से विकास कर रहा है। औद्योगिक देशों में आसान एवं अपारंपरिक मौद्रिक नीति तेजी से समस्या का हिस्सा बन सकती है।’’
रिजर्व बैंक के गर्वनर ने दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों से ज्यादा वैश्विक दृष्टिकोण के साथ सोचने की अपील की।
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का मानना है कि भारत में बुनियादी सुधारों की रफ्तार को तेज करना ‘राजनीतिक दृष्टि से मुश्किल’ काम है। हालांकि गवर्नर ने बैंकों के बही खाते को साफ सुथरा करने और मुद्रास्फीति को अंकुश में रखने पर जोर दिया जिससे तेज वृद्धि हासिल की जा सके।
राजन ने कहा कि श्रम बाजार सुधारों से वृद्धि को प्रोत्साहन दिया जा सकता है, लेकिन इस प्रक्रिया को विरोध का सामना करना पड़ेगा।
राजन ने ‘कहा कि नए नियम अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक नीति के इर्दगिर्द बनाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत जैसे उभरते बाजारों को अपनी आवाज तेजी से उठानी चाहिए जिससे वैश्विक एजेंडा के निर्धारण में उनकी बात को भी महत्व दिया जाए।
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के पूर्व अर्थशास्त्री ने कहा कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के उतार-चढ़ाव से काफी हद तक संरक्षित है। दो बार सूखे तथा कमजोर अंतरराष्ट्रीय बाजार के बावजूद भारत 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करने में सफल रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘जहां वृहद स्तर की स्थिरता सुनिश्चित करने की जरूरत है, वहीं देश को मुद्रास्फीति को अंकुश में रखने के लिए बैंकों को साफसुथरा करने की जरूरत है। इससे वृहद स्तर की स्थिरता को मजबूत किया जा सकता है।’’ राजन ने कहा कि सुधारों को कायम रखने से अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू निवेशकों को आकषिर्त किया जा सकता है और साथ ही गतिविधियों को बढ़ाया जा सकता है।
रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि अर्थव्यवस्था की क्षमता बढ़ाने को बुनियादी सुधार महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा तथा समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी का स्तर बढ़ाया जाना चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोगों को श्रमबल में लाया जा सके।