‘मॉडल्स दिल्ली डॉट कॉम’, युवाओं के लिए राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों में काम करने का बड़ा प्लेटफॉर्म
क्या आप यकीन करेंगे कि रोज़गार की कमी के इस दौर में एक ऐसा क्षेत्र है जहां काम करने वाले की संख्या कम पड़ती है। जहां रोज़गार के अनेक मौके हैं, भले ही वो रोजगार कुछ घंटों या दिनों के लिये ही क्यों ना हो और लोग उस क्षेत्र के बारे में ज्यादा जानते तक नहीं। सालों तक मीडिया से जुड़े पुष्पेंद्र सिंह ने जब इस क्षेत्र में कदम रखा तो उनको ये अंदाजा नहीं था कि इस क्षेत्र में डिमांड का इतना ज्यादा होना और लोगों का ना मिलना इतनी बड़ी समस्या हो सकता है, लेकिन आज उनकी ‘मॉडल्स दिल्ली डॉट कॉम’ हजारों युवाओं को जोड़ उनको रोजगार दिला रही है, रोजगार के जरिये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के साथ काम करने का तजुर्बा सिखा रही है।
पुष्पेंद्र सिंह आज इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों को मैनपावर मुहैया कराते हैं, जो इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों के लिये जुटाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होता। वहीं दूसरी ओर जो लोग इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों के साथ जुड़ना चाहते हैं उनको ये पता नहीं होता है कि वो उनके साथ कैसे सम्पर्क करें। ‘मॉडल्स दिल्ली डॉट कॉम’ ने अपने काम की शुरूआत साल 2011 में ‘इंडियन ऑयल कॉरपरेशन’ के साथ शुरू की उसके तुरन्त बाद इन्होंने अमेरिकन कंपनी ‘स्कल कैंडी’ के लिए काम किया। इस तरह उनका ये काम आगे बढ़ता गया, लेकिन इस मुकाम तक पहुंचना इतना आसान नहीं था, इस काम को शुरू करने से पहले पुष्पेंद्र ने करीब 6-7 महीने तक काफी रिसर्च की तो उनको पता चला की इवेंट मैनेजमेंट के इस क्षेत्र में मैनपावर की काफी कमी है। पुष्पेंद्र ने अपनी रिसर्च के दौरान दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू, हैदराबाद और चेन्नई की कई कंपनियों से बात की तो उनको पता चला की कंपनियों को अपने उत्पाद के प्रचार के लिए मैनपावर की दिक्कत से दो-चार होना पड़ता है।
‘मॉडल्स दिल्ली डॉट कॉम’ की शुरूआत पुष्पेंद्र ने अपनी बचत के पैसों से शुरू की। इसके लिए उन्होने लंबी रिसर्च के बाद अपनी एक टीम बनाई और वेबसाइट के जरिये ना सिर्फ इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों को अपने साथ जोड़ा, बल्कि ऐसी मैनपावर तैयार की जो इवेंट मैनेजमेंट के जरिये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के लिए काम कर सकें। भले ही वो थोड़े ही वक्त के लिये क्यों ना हो। इस तरह इवेंट मैनेजमेंट कंपनी को मांग के अनुरूप एक ही जगह पर मैनपावर मिल जाती है, वहीं दूसरी ओर इवेंट मैनेजमेंट कंपनी से जुड़ कर युवा ना सिर्फ बड़ी कंपनियों के साथ काम करने का अनुभव पा सकते हैं बल्कि उनकी थोड़े से वक्त में बड़ी कमाई भी हो जाती है।
पुष्पेंद्र ने योरस्टोरी को बताया,
"हमारे काम करने को दो तरीके हैं पहले तरीके में हम अपनी वेबसाइट के जरिये इवेंट मैनेजमेंट कंपनी से उनकी जरूरतों को लेकर 26 तरह के सवाल पूछते हैं। जैसे की इवेंट कब और कहां होगा, उन्हें कितने और किस तरह के लोगों की जरूरत होगी आदि। वहीं प्रमोटर्स और होस्टेस जिन्हें मेल और फिमेल मॉडल भी कहा जाता है, उनके लिए 56 सवालों का एक वेब पेज है जिसे उनको भरना होता है। इसमें उनकी पढ़ाई, पारिवारिक स्थिती, शहर, उनका कद और उनकी भाषा आदि से जुड़े सवाल होते हैं।"
‘मॉडल्स दिल्ली डॉट कॉम’ आज सिप्ला, सेमसंग, नोकिया, स्नेपडिल, वीडियोकॉन, वर्लपूल और दूसरी कई देसी और विदेशी कंपनियों को अपनी सेवाएं दे चुकी है।
पुष्पेंद्र के मुताबिक इस समय उनके पास 102 शहरों से मैनपावर पूरी करने की डिमांड आ रही है। इन्हें पूरा करने के लिए उन्होने 13 हजार लोगों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है। इसके अलावा उनके पास विभिन्न देशों की अलग अलग कंपनियों के भी फोन आते हैं। चीन से इनके पास सबसे ज्यादा कॉल आती हैं क्योंकि देश में चीन के कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इसके अलावा इनके पास जापान, ताइवान, यूरोपीय यूनियन और अरब देशों से भी मैनपावर मुहैया कराने की डिमांड आती हैं। अपने काम करने के तरीके के बारे में बात करते हुए उनका कहना है कि-
“हम इस काम में मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं। जब किसी की भी क्लाइंट का फोन आता है तो हम उसकी जरूरत के मुताबिक होस्टेस या प्रोमोटर से सम्पर्क कर उनको क्लाइंट का नंबर देते हैं और वे लोग आपस में बात कर उस काम को करते हैं।”
उनका कहना है कि हमारी कोशिश रहती है कि जिस शहर में इवेंट हो रहा हो कंपनी को उसी शहर की होस्टेस देने की होती है ताकि शहर के लोगों को रोजगार मिले और कंपनियों की लागत भी कम आये, बावजूद कंपनियों की डिमांड दूसरे शहरों जैसे दिल्ली या मुंबई के लोगों की होती है तो हम यहां के लोगों को भी उनके पास भेजते हैं। ऐसे में कंपनी को गुणवत्ता के आधार पर पैसा देना होता है। एक जानकारी के मुताबिक हर साल करीब 3 लाख विदेशी कम्पनियां देश के अलग अलग भागों पर प्रदर्शनियां लगातीं हैं। जिसके लिए 50-70 प्रतिशत तक होस्टेस और प्रोमोटर को वो यहीं आकर हायर करते हैं। इस दौरान इन होस्टेस या प्रमोटर का काम लोगों के बीच कंपनियों के सामान के बारे में बताना होता है।
पुष्पेंद्र के मुताबिक उनका सारा काम ऑनलाइन ही होता है, वे इन लोगों को पैसा, आने जाने, रहने का खर्चा सब ऑनलाइन ही मुहैया करा देते हैं, ताकि इस काम में पारदर्शिता बनी रहे। अब उनके पास कम से कम 13 हजार लोग रजिस्टर्ड हैं। वे हर साल करीब 27 से 28 सौ लोगों को रोजगार प्रदान कर रहें हैं।भविष्य की योजनाओं के बारे में पुष्पेंद्र का कहना है कि “हम ऐसे निवेशकों की तलाश कर रहे हैं। जो कि इस क्षेत्र में अपना पैसा लगा सकें, क्योंकि डिमांड और सप्लाई को देखते हुए हमारी योजना मुंबई और बेंगलुरू में भी अपने ऑफिस खोलने की है। क्योंकि पिछले साल दिसंबर से अब तक अकेले बेंगलुरू से ही हमारे पास करीब 3 हजार कॉलें आ चुकी हैं इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि अभी इस क्षेत्र में कितना काम करने की जरूरत है।” ‘मॉडल्स दिल्ली डॉट कॉम’ के पास ना सिर्फ बड़े शहरों बल्कि टीयर2 और टीयर3 शहर जैसे लखनऊ, भोपाल, मसूरी, भिलाई, सोनीपत, अजमेर आदि शहरों से भी होस्टेस को लेकर डिमांड आती है।
इस काम में आने वाली दिक्कतों के बारे में उनका कहना है कि उनके सामने सबसे बड़ी दिक्कत बड़ी संख्या में लोगों तक मैसेज ना भेज पाने की है क्योंकि ट्राई ने 2012-13 में बल्क मैसेजस पर रोक लगा दी है। जिस वजह से वे डिमांड के हिसाब से सप्लाई नहीं कर पाते हैं। जबकि इस क्षेत्र में मांग को जल्द से जल्द पूरा करना होता है और इन लोगों के पास इतना वक्त नहीं होता कि ये हर किसी को फोन कर उससे सम्पर्क कर सकें। उनके मुताबिक इस इंडस्ट्री में सालाना 3 लाख 75 हजार जॉब की डिमांड आती है। यह डिमांड देश और विदेश दोनों ही जगहों से होती है। लेकिन ट्राई के डीएनडी नियमों की वजह से ही वो इस मांग को पूरा नहीं कर पाते हैं। पुष्प्रेंद के मुताबिक अगर इस समस्या का समाधान हो जाता है तो वे हर साल करीब 5 हजार लोगों को रोजगार प्रदान कर सकते हैं।
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