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जीएसटी जैसे कदम का असर, क्रेडिट एजेंसी ने 13 साल बाद सुधारी भारत की रेटिंग

जीएसटी जैसे कदम का असर, क्रेडिट एजेंसी ने 13 साल बाद सुधारी भारत की रेटिंग

Saturday November 18, 2017 , 5 min Read

भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के केंद्र सरकार के फैसलों का असर वैश्विक स्तर पर दिखाई देने लगा है। अमेरिका की रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की क्रेडिट रेटिंग को बीएए-3 से बढ़ाकर बीएए-2 कर दिया है। यह बदलाव 13 साल बाद हुआ है।

सांकेतिक तस्वीर

सांकेतिक तस्वीर


इससे भारतीय बाजारों में रौनक रही और बैंकिंग सेक्टर के शेयरों में तेजी दर्ज की गई। नोटबंदी और जीएसटी का देश में भले ही विरोध होता हो। लेकिन, दुनिया की कई एजेंसियों ने इनकी तारीफ की है। मूडीज की रैंकिंग में सुधार भारत द्वारा किए जा रहे आर्थिक और सांस्थानिक सुधार हैं।

इससे पहले 2004 में भारत की रेटिंग बीएए-3 थी। मूडीज ने अपने बयान में कहा कि रेटिंग में सुधार देश की सरकार द्वारा लिए जा रहे निर्णयों, उनका अर्थव्यवस्था पर किस तरह का असर पड़ रहा है, उन आधारों पर लिया जाता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के केंद्र सरकार के फैसलों का असर वैश्विक स्तर पर दिखाई देने लगा है। अमेरिका की रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की क्रेडिट रेटिंग को बीएए-3 से बढ़ाकर बीएए-2 कर दिया है। यह बदलाव 13 साल बाद हुआ है। इससे भारतीय बाजारों में रौनक रही और बैंकिंग सेक्टर के शेयरों में तेजी दर्ज की गई। नोटबंदी और जीएसटी का देश में भले ही विरोध होता हो। लेकिन, दुनिया की कई एजेंसियों ने इनकी तारीफ की है। मूडीज की रैंकिंग में सुधार भारत द्वारा किए जा रहे आर्थिक और सांस्थानिक सुधार हैं।

इससे पहले 2004 में भारत की रेटिंग बीएए-3 थी। मूडीज ने अपने बयान में कहा कि रेटिंग में सुधार देश की सरकार द्वारा लिए जा रहे निर्णयों, उनका अर्थव्यवस्था पर किस तरह का असर पड़ रहा है, उन आधारों पर लिया जाता है। भारत ने पिछले कुछ समय में अच्छे कदमों को उठाया है। सरकारी कर्ज को भी कम करने की ओर कदम उठा रही है। मूडीज की रिपोर्ट की मानें तो सरकार ने जिस तरह के कदमों को उठाया है, उससे सरकारी कर्ज के वृद्धि का जोखिम कम हो गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार अभी कार्यकाल के बीच में है, यानी आगे और भी बड़े फैसलों की संभावना है। सरकार के द्वारा जो फैसले लिए जा रहे हैं, उनसे व्यापार, विदेशी निवेश आदि की स्थिति भी बदलेगी। जीएसटी के कारण देश में अंतरराज्यीय व्यापार में काफी फायदा मिलेगा। डॉयरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर स्कीम जैसे सुधारों से भी नॉन परफॉर्मिंग लोन और बैंकिंग सिस्टम में सुधार हुआ है। इसके साथ ही, लगातार पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा के आरोप झेल रहे जेटली ने मूडीज रेटिंग अपग्रेड का हवाले से इशारों-इशारों में पूर्व वित्तमंत्री और वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा पर भी निशाना साधा।

मूडीज का अनुमान है कि भारत की जीडीपी ग्रोथ मार्च 2018 तक 6.7 फीसदी होगी। वहीं, अनुमान है कि 2019 तक जीडीपी एक बार फिर 7.5 फीसदी तक पहुंचेगी। एजेंसी ने भारत की रैंकिंग को सुधार दिया है। लेकिन, इससे भारत वैश्विक स्तर पर बेहतर नहीं हुआ है। भारत अभी भी नोटबंदी और जीएसटी जैसे बड़े बदलाव को लेकर अभी भी संघर्ष कर रहा है। मोदी सरकार का जीएसटी लाना और फिर उसमें बार-बार बदलाव किया जाना, इसके स्पष्ट संकेत है कि यह जल्दीबाजी में लिया गया फैसला है। भारत को वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाने के लिए अभी और संघर्ष करना ही होगा।

रिपोर्ट के अनुसार भारत की ग्रोथ उभरते देशों में सबसे अधिक रहेगी। आगे सरकारी कर्ज, वित्तीय घाटे में स्थिरता संभव है। वहीं, पीएसयू बैंकों के रीकैपिटलाइजेशन से ग्रोथ बढ़ेगी। इस पर देश के वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि मूडीज के आकलन में इन्सॉल्वंसी ऐंड बैंकरप्ट्सी कोड, सरकारी बैंकों के रीकैपिटलाइजेशन, जीएसटी के सहजता से लागू होने आदि पर गौर किया गया। जेटली ने कहा कि हालांकि, मूडीज की ओर से रेटिंग में सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की कोई अलहदा कहानी नहीं है। मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद से वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डुइंग बिजनेस में भारत 42 पायदान चढ़ा है। उन्होंने मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों की आलोचना करने वालों पर कहा कि जिनके दिमाग में भारत की सुधार प्रक्रिया को लेकर संदेह है, वे अब खुद ही अपना गंभीर आकलन करेंगे।

सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने इस पर कहा कि यह इस बात की स्वीकृति है कि सरकार ने सुधार के लिए जो कदम उठाए हैं, वे सही दिशा में हैं। इससे विदेशी पूंजी प्रवाह सहित निवेश में और तेजी आएगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक कहा कि यूं तो भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास का आधार लगातार मजबूत होने के सबूत मिलते रहे हैं। लेकिन, वैश्विक रेटिंग्स एजेंसी की ओर से इसे औपचारिक मान्यता मिलना काफी उत्साहवर्धक है। जेटली ने कहा कि मूडीज ने वित्तीय अनुशासन की दिशा में उठाए गए हमारे कदमों की प्रशंसा की है। नोटबंदी समेत सुधारवादी कदमों की एक पूरी सीरीज जो भारतीय अर्थव्यवस्था को ज्यादा औपचारिकता और डिजिटाइजेशन प्रदान कर रही है।

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