न अच्छी डाइट, न अच्छे जूते, फिर भी रिक्शेवाले के बेटे ने जीते दो गोल्ड मेडल
16 साल के इस एथलीट के नाम दिल्ली स्टेट एथलेटिक्स मीट में दो गोल्ड मेडल हैं। घर की हालत ये है कि पिता रिक्शा चलाते हैं और मां दूसरों के घरों में बर्तन धोने का काम करती हैं।
सबसे हैरानी की बात तो यह है कि निसार ने नेशनल अंडर-16 खिलाड़ियों के रिकॉर्ड तोड़े हैं। 100 मीटर की रेस उन्होंने सिर्फ 11 सेकंड में पूरी की, पुराना रेकॉर्ड 11.02 सेकंड का था।
दिल्ली सरकार ने कहा है कि निसार को जरूरी ट्रेनिंग देने और उसके साथ उनकी खेल की हर जरूरत को पूरा करने के लिए उसे हर मदद दी जाएगी।
देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, जरूरत है तो बस उन्हें पहचानकर सही रास्ते पर ले जाने की। इस बात का सटीक उदाहरण हैं दिल्ली के स्लम एरिया आजादपुर की एक झुग्गी में रहने वाले निसार अहमद। 16 साल के इस एथलीट के नाम दिल्ली स्टेट एथलेटिक्स मीट में दो गोल्ड मेडल हैं। घर की हालत ये है कि पिता रिक्शा चलाते हैं और मां दूसरों के घरों में बर्तन धोने का काम करती हैं। गरीबी, अच्छी डाइट न होने के बावजूद निसार अपने कठिन परिश्रम से माता-पिता को गौरान्वित करने में लगे हुए हैं। उन्होंने अपने स्कूल के स्पोर्ट्स टीचर सुरेंदर सिंह के कहने पर एथेलेटिक्स में कदम रखा था।
दिल्ली के आजादपुर के पास बड़ा बाग झुग्गी बस्ती में रहने वाले स्प्रिंट रेस चैंपियन निसार अहमद की दौड़ का सफर चार साल पहले शुरू हुआ था। अशोक विहार- 2 के गवर्नमेंट बॉयज सीनियर सेकंडरी स्कूल में पढ़ने वाले निसार कहते हैं, स्कूल में मेरे टैलंट को मेरे फिजिकल एजुकेशन टीचर सुरेंद्र कुमार ने पकड़ा। उन्होंने मुझे काफी मोटिवेट किया, एक्सरसाइज बताईं, यहां तक दूध पीने के लिए पैसे तक दिए। फिर छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग के लिए सुनीता राय मैम के पास भेजा। यहां से मेरी स्ट्रेंथ और बढ़ी, मैं रोज 6-6 घंटे एक्सरसाइज और प्रैक्टिस करता हूं।
सबसे हैरानी की बात तो यह है कि निसार ने नेशनल अंडर-16 खिलाड़ियों के रिकॉर्ड तोड़े हैं। 100 मीटर की रेस उन्होंने सिर्फ 11 सेकंड में पूरी की, पुराना रेकॉर्ड 11.02 सेकंड का था। 200 मीटर की रेस में भी उनकी फुर्ती काबिल-ए-तारीफ रही, सिर्फ 22.08 सेकंड में उन्होंने रिकॉर्ड अपने नाम किया है, जो कि पिछले रिकॉर्ड से 0.3 सेकंड कम है। आजादपुर में रेल की पटरी के ठीक किनारे की बस्ती में 10 बाई 10 के एक कमरे में निसार का पूरा परिवार रहता है। वही कमरा उनका ड्रॉइंग रूम, बेडरूम और किचन है। एक कोने में निसार की ट्रॉफी और मेडल उनकी तस्वीर के साथ सजे हैं।
छत्रसाल स्टेडियम में उनकी ऐथलेटिक्स ट्रेनर सुनीता राय का कहना है, निसार की इच्छाशक्ति, टैलंट और मजबूती को देखते हुए हम उसे हर मदद देना चाहते हैं। उसका जूनियर नैशनल गेम्स के लिए चुनाव हो चुका है। निसार के पिता ननकू रिक्शा चलाकर बमुश्किल रोजाना 200 रुपये कमा पाते हैं। इतने पैसों में घर का गुजारा ही मुश्किल से हो पाता है। ननकू कहते हैं, बेटे ने अब तक 35-36 इनाम जीते हैं, मगर उसे ताकत कैसे मिलेगी? निसार के लिए बाकी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए उनके पिता ने 28,000 रुपये किसी से उधार लिए। इन पैसों से निसार के लिए जूते और बाकी सामग्री खरीदी गई। उनकी मां कहती हैं कि अपने बेटे के लिए अच्छी सुविधा न दे पाने पर हमें बुरा लगता है, लेकिन जितना उनसे बन पा रहा है वो कर रहे हैं।
हालांकि जब मीडिया में निसार अहमद की कहानी छपी तो दिल्ली सरकार के साथ ही कई लोग मदद करने के लिए आगे आए। दिल्ली सरकार ने कहा है कि निसार को जरूरी ट्रेनिंग देने और उसके साथ उनकी खेल की हर जरूरत को पूरा करने के लिए उसे हर मदद दी जाएगी। दिल्ली की शिक्षा मंत्री की एडवाइजर आतिशी ने कहा है कि दिल्ली सरकार निसार की ट्रेनिंग के लिए उसे हर मुमकिन मदद देगी। उनकी ट्रेनिंग से जुड़ी हर दूसरी जरूरत का भी सरकार ख्याल रखेगी। सरकार निसार और उनके पैरंट्स से संपर्क कर रही है।
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