आधुनिक भारत की आधुनिक कृषि जनगणना, पहली बार इन गैजेट्स का हो रहा इस्तेमाल
मंत्रालय वर्ष 1970-71 से कृषि जनगणना योजना लागू कर रहा है. जनगणना का दसवां एडिशन संदर्भ वर्ष 2015-16 के साथ आयोजित किया गया था.
सरकार ने 11वीं कृषि जनगणना (11th Agri Census) शुरू कर दी है. इसके तहत खेती के लिए इस्तेमाल हो रही कृषि भूमि सहित विभिन्न अन्य मानकों पर आंकड़े जुटाए जाएंगे. खास बात यह है कि पहली बार कृषि जनगणना में आंकड़ों को कलेक्ट करने में स्मार्टफोन और टैबलेट का इस्तेमाल किया जाएगा. कृषि मंत्रालय (Ministry of Agriculture) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कि 11वीं कृषि जनगणना (2021-22) का जमीनी काम अगस्त 2022 में शुरू होगा. कहा गया है कि कृषि जनगणना हर पांच साल में की जाती है, जो अब कोरोना महामारी के कारण देरी से की जा रही है.
मंत्रालय वर्ष 1970-71 से कृषि जनगणना योजना लागू कर रहा है. जनगणना का दसवां एडिशन संदर्भ वर्ष 2015-16 के साथ आयोजित किया गया था. कृषि जनगणना विभिन्न मापदंडों के बारे में जानकारी का मुख्य स्रोत है. इसमें खेती के इस्तेमाल वाले जोतों की संख्या और क्षेत्र, उनका आकार, वर्गवार वितरण, भूमि उपयोग, किरायेदारी और फसल पद्धति आदि को शामिल किया जाता है.
पहली बार डिजिटली डेटा कलेक्शन
मंत्रालय ने कहा कि यह पहली बार है कि कृषि जनगणना के लिए आंकड़ों का कलेक्शन स्मार्टफोन और टैबलेट पर किया जाएगा ताकि ये आंकड़े समय पर उपलब्ध हो सकें. अधिकांश राज्यों ने अपने भूमि अभिलेखों और सर्वेक्षणों को डिजिटल स्वरूप दे दिया है, जिससे कृषि जनगणना के आंकड़ों के कलेक्शन में और तेजी आएगी. बयान में कहा गया है, ‘डिजिटल भूमि रिकॉर्ड और डेटा कलेक्शन के लिए मोबाइल ऐप के उपयोग से देश में परिचालन वाले जोतों का एक डेटाबेस तैयार किया जा सकेगा.
टेक्नोलॉजी का पूर्ण उपयोग करने का समय
कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि इस गणना से भारत जैसे विशाल और कृषि प्रधान देश में भारी लाभ होगा. देश तेजी से डिजिटल कृषि की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि यह इस गणना के काम में टेक्नोलॉजी का पूर्ण उपयोग करने का समय है. कृषि जनगणना को व्यापक परिप्रेक्ष्य में सोचा जाना चाहिए. कृषि गणना फसलों के मानचित्रण में भी योगदान दे सकती है ताकि देश को इसका लाभ मिल सके.
Edited by Ritika Singh