नाव हादसे में गई थीं 12 जानें, गाँव वालों ने मिलकर कलजनी नदी पर बना दिया बांस का पुल
यह मामला पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले के बरमनपारा गाँव के लोगों से जुड़ा है, जहां गाँव वालों ने अपनी इस मुसीबत का हल निकालने के लिए खुद ही आगे आकर नदी पर एक पुल का निर्माण कर दिया है।
"यह मामला पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले के बरमनपारा गाँव के लोगों से जुड़ा है, जहां गाँव वालों ने अपनी इस मुसीबत का हल निकालने के लिए खुद ही आगे आकर नदी पर एक पुल का निर्माण कर दिया है। गौरतलब है कि पुल निर्माण के दौरान उन्हें गूंज एनजीओ से भी मदद हासिल हुई है।"
गाँव वालों को जरूरत का सामान लेने के लिए दूसरे जिले जाना पड़ता था, जिसके लिए उन्हें नाव के जरिये नदी पार करनी होती थी। एक दिन बीच नदी में नाव के साथ हुए हादसे ने अचानक गाँव वालों के मन में भय भर दिया, हालांकि इसके बाद ग्रामीणों ने खुद ही एकजुट होकर इस समस्या का स्थायी समाधान निकाल लिया, जिससे अब परिवहन में उन्हे काफी सहूलियत हासिल हो रही है।
यह मामला पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले के बरमनपारा गाँव के लोगों से जुड़ा है, जहां गाँव वालों ने अपनी इस मुसीबत का हल निकालने के लिए खुद ही आगे आकर नदी पर एक पुल का निर्माण कर दिया है। गौरतलब है कि पुल निर्माण के दौरान उन्हें गूंज एनजीओ से भी मदद हासिल हुई है।
नाव दुर्घटना ने बदल दिया सब कुछ
गौरतलब है कि बरमनपारा गाँव में सुविधाओं की कमी है और इसके चलते ग्रामीणों को काम व जरूरत की अन्य वस्तुएँ खरीदने के लिए पड़ोसी जिले अलीपुरदौर जाना पड़ता है। ग्रामीणों के अनुसार ऐसे में एक दिन कलजानी नदी में ग्रामीणों को लेकर दूसरी तरफ जा रही नाव पलट गई थी और इस दुर्घटना में 12 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। इस घटना के बाद से ही ग्रामीणों के नाव से यात्रा करना भी बंद कर दिया था।
इस घटना के बाद गूंज एनजीओ ने ग्रामीणों से संपर्क किया और उन्हे मदद का आश्वासन भी दिया। जिसके बाद एनजीओ की मदद लेते हुए करीब 100 ग्रामीणों ने नदी के ऊपर 350 मीटर लंबा बांस का पुल बनाने का निर्णय लिया।
एक महीने के अथक प्रयास के बाद अब ग्रामीणों ने यह पुल बनाकर तैयार कर लिया है। इस सफलता के बाद एनजीओ द्वारा ग्रामीणों को इनाम के रूप में उनकी जरूरत के सामान वाली एक किट भी उपलब्ध कराई गई है।
पुल के रखरखाव को ध्यान में रखते हुए गाँववालों ने पुल से यात्रा करने वाले लोगों से एक मामूली सी राशि लेने का भी निर्णय लिया है, जिससे उन्हे इस पुल को सतत जारी रखने में मदद मिलती रहेगी और जरूरत पड़ने पर वह नए पुल का भी निर्माण कर सकेंगे।
पुल निर्माण से खुश हुए ग्रामीण
ग्रामीणों के अनुसार क्षेत्र में परिवहन सुविधाओं की बेहद कमी है और इसके चलते क्षेत्र के लोगों को हर रोज़ परेशानी का सामना भी करना पड़ता है। क्षेत्र के किसानों को अपने खेतों में जाने के लिए कई बार 20 किलोमीटर तक का सफर पैदल ही तय करना पड़ता था।
किसानों का कहना है कि ऐसा करना उनकी मजबूरी थी, क्योंकि अगर वो दूसरी को देखते हुए अपने खेतों में काम करने नहीं जाएंगे तो उनके घरों का चूल्हा जलना बंद हो जाएगा।
ग्रामीणों के अनुसार अब इस बांस के नए पुल के निर्माण के बाद अब वह सब बेहद खुश हैं और नदी पार करके दैनिक जरूरत का सामान के लिए अब उन्हे परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
Edited by Ranjana Tripathi