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GST रेवेन्यू में आई कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को 13वीं किस्त के तहत 6000 करोड़ रुपये के कर्ज जारी

अब तक 78 हजार करोड़ रुपये सभी केंद्र और केंद्रशासित प्रदेशों को जारी किए गए। यह राशि राज्यों को उधारी के रूप में दी जाने वाली 1,06,830 करोड़ रुपये की राशि से अतिरिक्त है।

GST रेवेन्यू में आई कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को 13वीं किस्त के तहत 6000 करोड़ रुपये के कर्ज जारी

Tuesday January 26, 2021 , 2 min Read

वित्त मंत्रालय ने जीएसटी राजस्व में आई कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को 13 वीं साप्ताहिक किस्त के तहत 6000 करोड़ रुपये जारी किए है। जारी की गई राशि में से 5516.60 करोड़ रुपये 23 राज्यों को और 483.40 करोड़ रुपये की राशि 3 केंद्रशासित प्रदेशों को जारी की गई है। केंद्रशासित राज्यों में वह तीन राज्य (दिल्ली, जम्मू और कश्मीर और पुडुचेरी) हैं, जहां पर विधानसभाएं हैं। और यह प्रदेश जीएसटी काउंसिल के सदस्य भी हैं। जबकि बाकी बचे 5 राज्य अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम में जीएसटी लागू करने के दौरान राजस्व में कमी नहीं आई है।


इस किस्त के बाद जीएसटी राजस्व के संग्रह में आई कमी की 70 फीसदी भरपाई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कर दी गई है। इस रकम में से 71,099.56 करोड़ रुपये राज्यों को जारी किए गए हैं, जबकि 6900.44 करोड़ रुपये विधानसभाओं वाले 3 केंद्रशासित प्रदेशों को जारी किए गए हैं।

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भारत सरकार ने राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की ओर से जीएसटी राजस्व में आई कमी की भरपाई के लिए विशेष उधारी खिड़की का गठन अक्टूबर 2020 में किया था। जिसके तहत 1.10 लाख करोड़ रुपये की पूंजी मुहैया केंद्र सरकार करा रही है।


23 अक्टूबर 2020 को इसके तहत 12 वें चरण की उधारी लेने की प्रक्रिया पूरी हुई है। यह राशि राज्यों को दे दी गई है। इस हफ्ते केंद्र सरकार ने यह रकम 5.3083 फीसदी के ब्याज पर कर्ज लिया है। केंद्र सरकार, विशेष उधारी खिड़की के तहत अब तक 78 हजार करोड़ रुपये उधारी के रूप में ले चुकी है। जिस पर उसे औसतन 4.7491 फीसदी का ब्याज चुकाना होगा।


विशेष उधारी खिड़की के द्वारा पूंजी चुकाने के साथ-साथ भारत सरकार जीएसटी लागू करने में आई राजस्व की कमी को पूरा करने के लिए, राज्यों को अपने सकल घरेलू उत्पाद का 0.50 फीसदी अतिरिक्त राशि के रूप में उधार लेने का भी विकल्प दे रही है। इसके लिए राज्य विकल्प-1 का चयन कर रहे हैं। इसके तहत 28 राज्यों को 1,06,830 करोड़ (राज्यों के सकल घरेलू उत्पाद का 0.50 फीसदी) की अतिरिक्त उधारी का भी प्रावधान किया गया है।