इंडियन आर्मी जॉइन करने वाली पहली महिला अधिकारी प्रिया झिंगन
एक पुलिस अधिकारी की बेटी होने की वजह से प्रिया के जेहन में हमेशा से वर्दी पहनकर देश की सेवा करने का जुनून था। उनका मानना था कि मोटी तनख्वाह वाली ऑफिस की नौकरी से कहीं बेहतर इस वर्दी में देश की सेवा करना है।
प्रिया का मानना था कि लड़कियां भी लड़कों से किसी मामले में कम नहीं हैं और इसलिए उन्हें भी सेना में जाने का अधिकार मिलना चाहिए।
पुरुषों के वर्चस्व वाले संस्थान में उन्होंने उत्कृष्टता का परिचय दिया। वह अपने बीते हुए दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि कैसे उन्हें गरम पानी, ट्यूब लाइट जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए ऑफिसर्स अकैडमी में गुहार लगानी पड़ी थी।
1992 से पहले भारतीय सेना में महिलाओं को प्रवेश नहीं मिलता था। इसके बाद प्रिया झिंगन ने तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल सुनित फ्रांसिस को चिट्ठी लिखकर सेना में लड़कियों के लिए रास्ते खोलने का मुद्दा उठाया था। प्रिया का मानना था कि लड़कियां भी लड़कों से किसी मामले में कम नहीं हैं और इसलिए उन्हें भी सेना में जाने का अधिकार मिलना चाहिए। एक पुलिस अधिकारी की बेटी होने की वजह से प्रिया के जेहन में हमेशा से वर्दी पहनकर देश की सेवा करने का जुनून था। उनका मानना था कि मोटी तनख्वाह वाली ऑफिस की नौकरी से कहीं बेहतर इस वर्दी में देश की सेवा करना है।
प्रिया ने एक इंटरव्यू में कहा, 'मैं अपने देश के लिए ऐसा करना चाहती थी। इसीलिए मैंने तत्कालीन सेना प्रमुख को आर्मी में महिलाओं के लिए दरवाजे खोलने के लिए एक लंबा चौड़ा लेटर लिखा था। सेना की वर्दी पहनना मेरा सपना था।' उनके पत्र का जवाब देते हुए सेना प्रमुख ने कहा था कि वह अगले दो सालों में महिलाओं के लिए भर्ती की व्यवस्था करने वाले हैं। इस वजह से प्रिया को गर्व की अनुभूति हुई थी। इसके बाद 1992 में ही अखबार में महिलाओं के लिए सेना में भर्ती होने का विज्ञापन जारी हुआ। प्रिया ने अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत सेना में अपनी जगह सुनिश्चित की और चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकैडमी में अपने सपने पूरे करने निकल पड़ीं।
सेना में अधिकारी बनने वाली प्रिया पहली महिला थीं इसलिए उनका एनरोलमेंट कैडेट नंबर- 001 के तौर पर हुआ। इस ऐतिहासिक नंबर को प्रिया हमेशा याद रहता है। उनके बैच में कुल 25 महिलाएं थीं। इस पहले बैच ने देश की महिलाओं के लिए सेना में जाने का जुनून पैदा किया था। एक महिला सैन्य अधिकारी के तौर पर प्रिया ने अपने अनुभव का काफी विस्तार किया। पुरुषों के वर्चस्व वाले संस्थान में उन्होंने उत्कृष्टता का परिचय दिया। वह अपने बीते हुए दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि कैसे उन्हें गरम पानी, ट्यूब लाइट जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए ऑफिसर्स अकैडमी में गुहार लगानी पड़ी थी।
महिला होने के बावजूद उनपर कोई नरमी नहीं बरती जाती थी और पुरुष कैडेटों की तरह ही उन्हें ट्रेनिंग करनी पड़ती थी। एक वाकये को याद करते हुए वह बताती हैं कि उस वक्त उन्हें काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था जब ट्रेनिंग के दौरान महिला कैडेटों को पुरुषों के साथ एक ही पूल में भेज दिया गया था। लेकिन इस पर सभी महिला कैडेटों ने सख्त आपत्ति जताई थी। जिसके बाद अधिकारियों को अपना आदेश बदलना पड़ गया था। वह हर ऐसे मौके पर बिना झुके अडिग रहीं। एक बार उनके कमरे में एक जवान शराब पीकर घुस आया था जिसके खिलाफ प्रिया ने शिकायत दर्ज कराई और उसका कोर्ट मार्शल भी कराया। 1 साल तक कड़ी ट्रेनिंग लेने के बाद 6 मार्च 1993 को उन्हें सर्विस के लिए कमीशन किया गया।
प्रिया लॉ ग्रैजुएट थीं, लेकिन उनका मन आर्मी की इन्फैंट्री डिविजन में जाने का था। उन्होंने काफी अनुरोध किया, लेकिन उनकी नियुक्ति जज एडवोकेट जनरल के तौर पर हुई। उस वक्त महिलाओं के लिए आर्मी की कॉम्बैट पोजिशन्स खाली नहीं हुई थी। इसी साल जून में सेना प्रमुख बिपिन रावत ने घोषणा की थी कि जल्द ही कॉम्बैट ग्रुप में भी महिलाओं के प्रवेश के नियम बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि जल्द ही इसके लिए महिलाओं की नियुक्ति की जाएगी। मिलिट्री पुलिस के लिए भी महिलाओं की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लेकिन इन सबकी शुरुआत आज से 25 साल पहले प्रिया और प्रिया जैसी 25 अन्य महिलाओं ने किया था
अभी महिलाओं को सेना में मेडिकस, लीगल, एजुकेशनल और इंजिनियरिंग विंग में ही प्रवेश मिलता है। प्रिया की सबसे अच्छी यादें तब की हैं जब उन्होंने पहली बार अपनी सेवा में कोर्ट मार्शल किया था। कोर्ट मार्शल के दौरान कार्यवाही देखने वाला अधिकारी एक कर्नल था। जब वह प्रिया से पहली बार मिला तो उसने प्रिया से पूछा कि यह उनका कौन सा कोर्ट मार्शल का मामला है जिसे वे देखने जा रही हैं। प्रिया ने इस वक्त अपने वरिष्ठ अधिकारी से झूठ बोल दिया कि यह उनका छठा मामला है, जबकि यह उनका पहला केस था। यह ट्रायल काफी गंभीर था, लेकिन प्रिया ने इसे काफी समझदारी से हैंडल किया और जब बाद में बताया कि यह उनका पहला केस था तो सभी अधिकारी हैरान रह गए और उनकी सराहना किए बिना नहीं रहे।
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