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दो नेत्रहीनों की अनोखी पहल, विकलांगों के लिए बनाई 'डिसेबल्ड मैट्रिमोनियल'

दो नेत्रहीनों की अनोखी पहल, विकलांगों के लिए बनाई 'डिसेबल्ड मैट्रिमोनियल'

Tuesday October 27, 2015 , 6 min Read

अंकित और संदीप ने किया कारनामा...

विकलांगों के लिए बनाई मैट्रिमोनियल वेबसाइट...

अब तक अपलोड हो चुके हैं 8सौ प्रोफाइल...


मुश्किलें चाहें जितनी हों, हौसला है तो मंजिल मिलती है। हां वक्त थोड़ा लग सकता है पर इस वक्त का इस्तेमाल खुद को कोसने में नहीं बल्कि संवारने और आगे की योजना बनाने में लगाना चाहिए। इसमें सबसे ज़रूरी होता है प्यार। अपनों का प्यार। पर एक शख्स हैं जो आपसे एक अलग तरह की बात करना चाहते हैं। 

एक ओर दुनिया कहती है कि प्यार अंधा होता है, लेकिन दूसरी ओर कोई भी सामान्य इंसान किसी नेत्रहीन से शादी नहीं करना चाहता। 

ये कहना है लुधियाना में रहने वाले अंकित कपूर का। जो बचपन से ही नेत्रहीन हैं और आज अपने दोस्त संदीप खुराना और ज्योतिषी विनय खुराना के साथ मिलकर एक मैट्रिमोनियल वेबसाइट चला रहे हैं। इस वेबसाइट की खास बात ये है कि ये डिसेबल्ड लोगों को अपना लाइफ पार्टनर चुनने में मदद करती है।

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डिसेबल्ड मैट्रिमोनियल डॉट कॉम नाम की इस वेबसाइट को शुरू करने वाले अंकित कपूर के दोस्त संदीप अरोड़ा भी नेत्रहीन हैं। संदीप ने अपनी आंखे बचपन में एक हादसे के दौरान खो दी थी। दोनों ने लुधियाना में ब्लाइंड स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की। दोस्ती बरकरार रही और नौकरी तक पहुंची।दोनों ने सरकारी नौकरी की। इसी नौकरी के दौरान दोनों की मुलाकात ज्योतिषी विनय खुराना से हुई। इन तीनों ने समाज के लिए कुछ करने का मन बनाया। दरअसल मन में तो पहले से था पर अंजाम देने की घड़ी आ गई थी। इसी के बाद इन तीनों ने मिलकर आहूति चेरिटेबल ट्रस्ट बनाया और अब ये विकलांग लोगों की शादी, उनकी पढ़ाई लिखाई और दूसरी तरह से मदद पहुंचाने का काम कर रहे हैं। अंकित ने योरस्टोरी को बताया 

कॉलेज के दिनों में हमारा जुड़ाव सोशल नेटवर्किंग साइट्स की ओर हो गया था। इस कारण हमारी पहचान बढ़ने लगी और लुधियाना के अलावा देश के दूसरे हिस्सों से भी लोग हमें जानने लगे। तब मैंने महसूस किया कि आज विकलांग लोग भले आईएएस, पीसीए, वकील बन गये हों लेकिन शादी को लेकर उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लोग इस बात को लेकर परेशान रहते थे और कहते थे कि उनके बच्चे ने पढ़ाई पूरी कर नौकरी भी हासिल कर ली है लेकिन उसकी शादी कैसे होगी।
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बेवसाइट ही क्यों ?

प्यार, दर्द, सुख, दुख जैसी भावनाओं को महसूस करने वाले अंकित के मुताबिक आज भी लोगों की मानसिकता नहीं बदली है। वो बताते हैं कि है “मैंने देखा है कि लोग विकलांग लोगों की शादी कराने के काम से डरते हैं तब मैंने फैसला लिया कि मैं इस काम को करूंगा और इसके लिए मैंने मदद ली अपने एक दोस्त संदीप अरोड़ा और विनय खुराना की, जो ज्योतिषी भी हैं।” अंकित का कहना है उन्होने ये तो तय कर लिया था कि वो विकलांग लोगों की शादी में मदद करेंगे लेकिन ये काम कैसे होगा ये नहीं सोचा था। तब इन्होने देखा कि बाजार में शादी कराने के लिए कई वेबसाइट तो हैं लेकिन विकलांग लोगों के लिए ऐसी कोई वेबसाइट नहीं है। जिसके बाद इन्होने अपने साथियों के साथ मिलकर वेबसाइट बानाने के लिए 6-7 महीने खूब मेहनत की। उनकी मेहनत रंग लाई और मई, 2014 से डिसेबल्ड मैट्रिमोनियल डॉट कॉम विकलांग लोगों की जोड़ियां बनाने का काम कर रहा है।

वेबसाइट की खासियत

आज इस वेबसाइट में 800 से ज्यादा विकलांग लड़के लड़कियों के प्रोफाइल हैं। खास बात ये है कि कोई भी इस वेबसाइट में आकर मुफ्त में रजिस्ट्रेशन करा सकता है और दूसरे के प्रोफाइल को देख सकता है। इतना ही नहीं, जरूरत पढ़ने पर ऑनलाइन बातचीत की सुविधा भी ये वेबसाइट उपलब्ध कराती है। इसके अलावा आपसी रजामंदी के बाद लोग एक दूसरे को कॉन्टेक्ट डिटेल्स दे सकते हैं, अपनी फोटो अपलोड कर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि ये वेबसाइट सिर्फ उन्ही लोगों के लिए है जो तकनीक की जानकारी रखते हैं। तभी तो इस वेबसाइट में एक फॉर्म भी दिया गया है जिसको डाउनलोड कर भरने के बाद कोई भी व्यक्ति इनको डाक के जरिये भेज सकता है जिसके बाद ये उस व्यक्ति को वेबसाइट में आये रिश्तों की जानकारी देते हैं। अंकित की जानकारी के मुताबिक अब तक महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में रहने वाले 2 लोगों की शादी इस वेबसाइट के जरिये हो चुकी है।

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निवेश है बड़ी समस्या

अंकित का कहना है कि वेबसाइट बनाने के लिए पैसा जुटाना बड़ी समस्या है क्योंकि तकनीक के मामले में लोगों की सोच में काफी कम बदलाव देखने को मिला है। वो बताते हैं कि 

लोग विकलांग बच्चों की स्कूल फीस, उनकी शादी में पैसा खर्च कर सकते हैं लेकिन जब हम उनके पास जाकर ये बोलते हैं कि हमें विकलांग लोगों के लिए वेबसाइट बनानी है तो कोई मदद को आगे नहीं आता।

यही कारण है कि इस वेबसाइट को बनाने के लिए अंकित और संदीप ने अपनी बचत का पैसा इसमें लगाया है। इतना ही नहीं इसे बनाने से पहले उन्होने तय कर लिया था कि इस वेबसाइट को वो विकलांग लोगों की सुविधा के लिए बनाएंगे और इससे कोई कारोबारी लाभ नहीं लेंगे। उनकी ये कोशिश रंग लाई और आज इस वेबसाइट में हर रोज 15-20 लोग आते हैं। अब इनकी योजना टोल फ्री नंबर और ऐप लाने की है। लेकिन ये तभी संभव हो पाएगा जब इनको निवेश हासिल होगा।

अंकित और संदीप दोनों भले ही सरकारी नौकरी करते हों लेकिन इस काम के लिए वो वक्त निकाल ही लेते हैं। सोशल साइट पर एक्टिव रहने वाले अंकित का कहना है कि “ये एक सामाजिक काम है और मैं तकनीक का गलत इस्तेमाल नहीं करता”। इस काम को शुरू करने के बाद इन लोगों को कई नये तजुर्बे भी हुए हैं। अंकित का कहना है कि “मैंने देखा कि लोग अब निरक्षरता को भी विकलांगता की श्रेणी में रखने लगे हैं तभी तो हमारी वेबसाइट में कई ऐसे लोग आते हैं जो ये कहते हैं कि हमारा बेटा या बेटी निरक्षर है और उसके लिये कोई विकलांग साथी ढूंढने में मदद करें।” उनके मुताबिक सामाज बदला रहा है लेकिन इसकी रफ्तार काफी धीमी है और प्रौद्योगिकी के इस क्षेत्र में काफी कुछ किया जाना बाकि है। तभी तो अंकित कहते हैं कि “बहुत सारे विकलांग लोग ऐसे हैं जो तकनीक के साथ जुड़ नहीं पाए हैं ऐसे में अब हमारी कोशिश ऐसे लोगों को साथ लेकर चलने की है।”

वेबसाइट :- http://disabledmatrimonial.com