महज 22 साल की है यह बाइक राइडर, जीत चुकी है 4 खिताब
जब ऐश्वर्या ने अपना सफर शुरू किया, तब लोगों ने सवाल उठाए कि वह एक लड़की हैं और उन्हें एक आम नौकरी करनी चाहिए। बाइक रेसिंग लड़कों का शौक है और अगर रेसिंग के दौरान उन्हें चोट लग गई तो उनका भविष्य असुरक्षित है।
ऐश्वर्या की रेसिंग का टर्निंग पॉइंट थी उनकी पहली हार। यहीं से उनके रेसिंग करियर की शुरुआत हुई। फेल होने के बाद उन्होंने अपनी ट्रेनिंग को और भी गंभीरता से लेना शुरू कर दिया।
ऐश्वर्या बताती हैं कि जब लोग उनका हौसला नहीं डिगा सके तो उनके कोच को बहकाने की कोशिश करने लगे। इन सबका जीवा पर कोई असर नहीं पड़ा और ऐश्वर्या पर उनका भरोसा कायम रहा। कोच के साथ-साथ मां ने भी ऐश्वर्या का खूब साथ निभाया।
बहुत से लोगों को बाइक चलाती हुई लड़कियां, अजीब लगती हैं और वे उनका मजाक भी बनाते हैं। इसमें दोष लड़कियों का नहीं, बल्कि मजाक उड़ाने वाले लोगों की गलत सोच का है। यह कहानी है बेंगलुरु की ऐश्वर्या पिसे की, जिनकी कहानी इस तरह की सोच रखने वाले लोगों को करारा जवाब है। 22 वर्षीय ऐश्वर्या ने 4 साल पहले ही बाइक राइडिंग शुरू की है और पिछले 2 सालों में वह 4 रेसिंग चैंपियनशिप्स जीत चुकी हैं।
जब ऐश्वर्या ने अपना सफर शुरू किया, तब लोगों ने सवाल उठाए कि वह एक लड़की हैं और उन्हें एक आम नौकरी करनी चाहिए। बाइक रेसिंग लड़कों का शौक है और अगर रेसिंग के दौरान उन्हें चोट लग गई तो उनका भविष्य असुरक्षित है। खैर, इन सब बातों का ऐश्वर्या के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ा। ऐश्वर्या ने 18 साल की उम्र में बाइक चलाना सीखा। ऐश्वर्या के मुताबिक, बाइक चलाना उनके लिए सांस लेने जितना ही जरूरी है। अपने इस शौक के चलते ऐश्वर्या एक रेस में अपनी कॉलर बोन को भी चोटिल कर चुकी हैं, लेकिन वह रुकी नहीं।
कुछ ऐसी रही सफर की शुरूआत
ऐश्वर्या के माता-पिता का तलाक हो चुका है। वह अपने पिता के साथ रहती थीं। 12वीं कक्षा में जब वह फेल हो गईं, तब उनके पिता ने उन्हें घर से निकाल दिया। इसके बाद वह अपनी मां के साथ रहने लगीं। मां ने ऐश्वर्या का पूरा साथ दिया। ऐश्वर्या ने काम और पढ़ाई, दोनों को जारी रखा। ऐश्वर्या हर वीकेंड, अपने सीनियर्स के साथ बेंगलुरु के आस-पास घूमने जाने लगीं। इनमें से ज्यादातर ट्रिप्स बाइक पर ही होती थीं और इस दौरान ही उन्होंने बाइक चलाना सीखा।
ऐश्वर्या कहती हैं कि बाइक चलाना कोई रॉकेट साइंस नहीं है और अगर कोई और बाइक चलाना सीख सकता है, तो वह क्यों नहीं। ऐश्वर्या ने बताया कि उन्होंने पैसे इकट्ठा करना शुरू किया ताकि वह अपनी खुद की बाइक खरीद सकें। उन्होंने ड्यूक 200 बाइक खरीदी और फिर वह नियमित तौर पर बाइक राइडिंग करने लगीं। ऐश्वर्या बताती हैं कि जब वह बाइक पर निकलती थीं, तब लोग उन्हें बड़ी हैरानी के साथ देखते थे।
ऐश्वर्या ने एमटीवी के ‘चेज द मॉनसून’ प्रोग्राम में हिस्सा लिया, जिसमें उन्होंने कच्छ के रण से चेरापूंजी तक की यात्रा 24 दिनों में पूरी की। वह यात्रा पूरी करने में सफल हुईं। इसके साथ-साथ, उन्होंने सैडल सोर (1,000 मील, 24 घंटे) और बन बर्नर (2,500 मील, 36 घंटे) जैसी दो बड़ी यात्राएं और कीं। ऐश्वर्या की इस सफलता के बाद उनके दोस्तों ने उन्हें बढ़ावा देना शुरू किया और उन्हें प्रशिक्षण लेने की सलाह दी। दोस्तों का साथ मिलने के बाद ऐश्वर्या ने रेसिंग स्कूलों पर रिसर्च करना शुरू किया और आखिरकार एक उम्दा रेसिंग स्कूल से उन्होंने अपनी ट्रेनिंग शुरू की।
रेसिंग करियर का टर्निंग पॉइंट
शुरूआत में वह सिर्फ हफ्ते के अंत में ट्रेनिंग करती थीं। एक साल गुजर गया और फरवरी (2016) में उन्होंने अपनी पहली रेस में हिस्सा लिया, जिसमें वह बुरी तरह से हार गईं। ऐश्वर्या मानती हैं कि यही उनके रेसिंग करियर का टर्निंग पॉइंट था। ऐश्वर्या कहती हैं कि जिस दिन वह फेल हुईं, उस दिन से उन्होंने अपनी ट्रेनिंग को और भी गंभीरता से लेना शुरू किया। उन्होंने अपने कोच जीवा रेड्डी से उन्हें और कड़ी ट्रेनिंग देने के लिए कहा, जिसके लिए कोच जीवा तैयार हो गए। इसके अगले ही दिन ऐश्वर्या ने जिम जॉइन कर लिया और वह हर वीकेंड रेसिंग ट्रैक पर अभ्यास के लिए जाने लगीं।
ऐश्वर्या बताती हैं कि जब लोग उनका हौसला नहीं डिगा सके तो उनके कोच को बहकाने की कोशिश करने लगे। इन सबका जीवा पर कोई असर नहीं पड़ा और ऐश्वर्या पर उनका भरोसा कायम रहा। कोच के साथ-साथ मां ने भी ऐश्वर्या का खूब साथ निभाया। घर के बुजुर्ग भी ऐश्वर्या के इस शौक के खिलाफ थे, लेकिन जब उन्हें ऐश्वर्या के जुनून का सच में अहसास हुआ, तब वह भी ऐश्वर्या के समर्थन में आ गए। ऐश्वर्या ने 4 चैंपियनशिप्स (रेड द हिमालय 2017, दक्षिण डेयर 2017, इंडियन नैशनल रैली चैंपियनशिप और टीवीएस आपाचे लेडीज वन मेक चैंपियनशिप 2017) की विमिंज कैटेगरी में खिताब जीता।
रेसिंग ट्रैक पर घंटों की प्रैक्टिस ने ऐश्वर्या को बेहतर बनाया। ऐश्वर्या ने बताया कि वह रोज कई घंटे अपनी फिटनेस पर खर्च करती हैं, जिसमें जिम जाना और मेडिटेशन आदि शामिल रहता है। ऐश्वर्या बताती हैं कि उन्होंने मेडिटेशन के जरिए यह जानना शुरू किया कि वह किस तरह की इंसान हैं। उन्होंने अपनी खुराक को भी नियंत्रित किया। ऐश्वर्या के मुताबिक, ये सब बहुत मायने रखता है।
ऐश्वर्या ने एक बात पर खास जोर देते हुए कहा कि वह यह जरूर मानती हैं कि महिलाएं, पुरुषों से कहीं भी कम नहीं है, लेकिन साथ ही, वह यह भी मानती हैं कि शारीरिक तौर पर पुरुष, महिलाओं से अधिक मजबूत होते हैं और इसलिए ऐश्वर्या अपने जैसी हर लड़की को सलाह देती हैं कि वे अपनी मानसिक शक्ति को जितना हो सके, उतना बढ़ाएं। लगभग 4 महीने पहले ऐश्वर्या की कॉलर बोन टूट गई और डॉक्टरों ने उनके कॉलर में एक स्टील की प्लेट डाल दी। डॉक्टरों ने सलाह दी कि अगले 3-4 हफ्तों तक वह बाइक राइडिंग न करें। ऐश्वर्या ने बताया कि अगले 5 दिनों के बाद ही उन्हें एक रेस में हिस्सा लेना था। उन्होंने किसी भी चीज की परवाह न करते हुए रेस में हिस्सा लिया और चैंपियनशिप जीत भी ली।
'रेड द हिमालय' नाम की इंटरनैशनल रैली का अनुभव साझा करते हुए ऐश्वर्या ने बताया कि यह रैली 6 दिनों की होती है। इस दौरान ही एक दुर्घटना का जिक्र करते हुए ऐश्वर्या ने कहा कि वह रेस के दौरान गिर गईं और उनकी बाइक का इंजन लीक करने लगा। उन्होंने अपनी बाइक उठाई और रेस शुरू की, लेकिन उनकी बाइक के गियर्स फंस गए थे और उन्हें हाथ से ही गियर बदलने पड़ रहे थे। इसके बाद भी सिर्फ 2 ही गियर बदल रहे थे। ऐश्वर्या ने ऐसे हालात में ही 20 किमी. तक रेस की।
छोटे से करियर में ऐश्वर्या ने काफी कुछ हासिल कर लिया है। ऐश्वर्या कहती हैं कि ऐसा पहली बार है, जब किसी ने ऑन-रोड और ऑफ रोड, दोनों ही तरह की रेस में हिस्सा लिया और दोनों में एक-एक चैंपियनशिप खिताब जीता है। लड़कियों को बाइक राइडिंग के लिए उपयुक्त न समझने वालों की सोच को चुनौती देते हुए ऐश्वर्या कहती हैं, ''अब बाइकिंग, सिर्फ लड़कों का शौक नहीं रह गई है। बाइक सिर्फ एक मशीन है, जिसमें क्लच और गियर्स होते हैं। इसमें कुछ खास नहीं है और कोई भी बाइक चला सकता है।''
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