मिलिए 16 वर्षीय चंद्रशेखर से जो बनाना चाहते हैं हवा से पीने का पानी
हैदराबाद स्थित 100 स्टार्टअप वाला टी-हब हमेशा से ही अलग सोच रखने वालों युवाओं का केंद्र रहा है। यहां युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक, हर समूहों के उद्यमी हैं, लेकिन एक 16 वर्षीय शख्स है, जो कुछ बेहद बड़ा करने के लिए निरंतर अपने मेंटॉर से बातचीत कर रहा है।
मौजूदा समय में ये उपकरण तापमान नमी सेंसर और एक छोटे माइक्रो नियंत्रक के साथ एक छोटे से केक आकार का है। फिलहाल जल्द ही वॉल को चंद्रशेखर द्वारा पेटेंट किया जाएगा।
स्टार्टअप के इस युग में ऐसे कई युवा हैं जिन्होंने बेहद ही कम उम्र में बड़ा मुकाम हासिल किया है। इसके अलावा स्टार्टअप का ही नतीजा है कि बहुत से युवा अपना हुनर दिखाने के लिए तैयार हुए हैं। हैदराबाद स्थित 100 स्टार्टअप वाला टी-हब हमेशा से ही अलग सोच रखने वालों युवाओं का केंद्र रहा है। यहां युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक, हर समूहों के उद्यमी हैं, लेकिन एक 16 वर्षीय शख्स है, जो कुछ बेहद बड़ा करने के लिए निरंतर अपने मेंटॉर से बातचीत कर रहा है। ये युवा - हवा से शुद्ध पीने का पानी पैदा करना चाहता है।
क्लासेस और अपने काम के बीच तालमेल बिठा रहे नदीमिन्ति चंद्रशेखर अभी गोलकोंडा के केन्द्रीय विद्यालय नंबर 2 में कक्षा 11 में पढ़ रहे हैं। चंद्रशेखर किसी भी तरह थोड़ा समय निकालकर टी-हब जाते हैं और अपने इनोवेटिव आइडिया पर काम करते हैं। भले ही चंद्रशेखर पढ़ाई से थोड़ा समय ही दे पाते हों लेकिन इससे इस युवा लड़के को साल के अंत तक अपना प्रोटोटाइप तैयार करने से कोई नहीं रोका सकता। अथक प्रयासों के बाद चंद्रशेखर को टी-हब में वो सब मिला जो वह काफी समय से चाह रहे थे। हालांकि टी-हब में खुद को पहुंचाने के लिए चंद्रशेखर ने कई कॉल किए, कई मेल और खुद कई बार उन्हें वहां जाना पड़ा। लेकिन आज चंद्रशेखर पूरी तरह से फंडेड स्टूडेंट इनक्यूबेटर हैं, जिन्हें टी-हब के टॉप लोगों द्वारा व्यक्तिगत रूप से सलाह दी जाती है।
चंद्र को ये आइडिया कक्षा 7 में आया था। चंद्र के लिए तब उसके अंकल ने एक बार स्कूल के एक विज्ञान मेले में किसी प्रोजेक्ट के लिए इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म की अवधारणा पेश की थी। तभी से चंद्र इसको लेकर काफी जिज्ञासू था। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद भी, इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म की अवधारणा और दायरे ने चंद्र में जिज्ञासा पैदा की। चंद्र भी इस अवधारणा के आधार पर कुछ डेवलप करना चाहता था।
चंद्र बताते हैं कि उनका पहला मॉडल एक सीलिंग फैन था, जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म इंडक्शन पर काम करता है। वे कहते हैं, "मेरे पास कई आइडिया थे, मैं बस यह सोच रहा था कि पहले किस पर काम करना है। इसको लेकर मैंने अपने एक पड़ोसी को बताया। जिसके बाद उसने मुझे मुझे टी-हब के बारे में बताया। कई कॉल और काफी कोशिश के बाद, मैं दो साल पहले टी-हब की पहली सालगिरह समारोह के दौरान मंच पर अपना इडिया पेश करने में सक्षम रहा। तत्कालीन सीईओ जय कृष्णन काफी प्रभावित हुए, मुझे अंदर ले गए और तब से आज है, टी-हब मुझे फंडिंग कर रहा है।" चंद्र मात्र 14 साल के थे जब उन्होंने टी-हब के साथ काम करना शुरू किया।
चंद्र का पहला आइडिया एक सीलिंग फैन को स्थापति करने को लेकर था, जो एक छोटे आकार वाले जेनरेटर की तरह डबल बिजली उत्पन्न कर सके और अन्य गैजेट्स को भी चार्ज करने में सक्षम हो सके। हालांकि जब चंद्र ने इस आडिया पर काम करना शुरू किया तो उसमें कुछ कमियां थीं जिसके बाद उन्हें अपना ये प्रोजेक्ट बंद करना पड़ा। इस विफलता के बाद चंद्र ने एक दूसरे आइडिया पर काम करना शुरू किया जो अब पूरा होने के करीब है।
द वॉल
चंद्र कहते हैं, "मैंने अपने दूसरे आइडिया पर काम शुरू करने का फैसला किया क्योंकि इसमें अधिक गुंजाइश और ग्रोथ की क्षमता है। मैंने इसे दीवार (द वॉल) नाम दिया है। यह मूल रूप से एक वायुमंडलीय जल जनरेटर है।" चंद्रशेखर का ये इनोवेशन ग्रामीण क्षेत्रों में- पानी और बिजली जैसी दो बुनियादी जरूरतों की समस्या को हल करना चाहता है। चंद्र ने जिस उपकरण को बनाया है, वह उस वायुमंडलीय हवा का उपयोग करता है जिससे हम सांस लेते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो ये एक तरह से हवा की नमी से पानी बनाने की मशीन है। ये मशीन पानी में मौजूद वाष्प को नियंत्रित करती है, जो नमी के रूप में हवा में मौजूद है। मशीन इसे शुद्ध करती है और इसे एक कंटेनर में स्टोर करती है। इस प्रकार शुद्ध पीने के पानी को हवा से तैयार किया जाता है। और इतना ही नहीं, एक बार पानी जब अपनी अधिकतम स्टोरेज लिमिट तक पहुंच जाता है तो, सौर पैनल मशीन के बिजली इनपुट में कटौती कर उस बिजली को बैटरी में स्टोर करता है। जिसका उपयोग अन्य उपकरणों को बिजली देने के लिए किया जा सकता है।
चंद्रशेखर कहते हैं, "यह एक अल्टीमेट वॉल है जिसे आप अपने घर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बैटरी में पानी और बिजली स्टोर करती है। ताकि आपके पास शुद्ध पेयजल का बैकअप हो, और बिजली हर समय उपलब्ध रहे।" चंद्र बताते हैं कि डिवाइस में एक कोड सिस्टम है, जो नमी और तापमान को महसूस करता है और अधिकतम आउटपुट प्राप्त करने के लिए खुद को एडॉप्ट करने की कोशिश करता है। यह एक छोटी आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस डिवाइस की तरह है। द वॉल दिन में कम से कम 15 लीटर पानी उत्पन्न कर सकती है। हालांकि वायुमंडलीय परिस्थितियों पर भी काफी कुछ निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, नम जगहों पर बहुत अधिक पानी उत्पन्न किया जा सकता है।
मौजूदा समय में ये उपकरण तापमान नमी सेंसर और एक छोटे माइक्रो नियंत्रक के साथ एक छोटे से केक आकार का है। फिलहाल जल्द ही वॉल को चंद्रशेखर द्वारा पेटेंट किया जाएगा। द वॉल अभी अपने अंतिम प्रोटोटाइप स्टेजेस में है और चंद्र को उम्मीद है कि वे साल के अंत तक बाजार में इसका वास्तविक मॉडल लॉन्च करने में सक्षम हो जाएंगे। फाइनल प्रोडक्ट की कीमत 8,000-9,000 रुपये होने की संभावना है। हालांकि चंद्र का विजन डिवाइस से सिर्फ मुनाफा कमाने का नहीं है। बल्कि वह चाहते हैं कि इसे ज्यादा से ज्यादा गांवों तक पहुंचाया जाए ताकि वहां पानी और बिजली की समस्या से आसानी से निपटा जा सके। चंद्र का कहना है, "मेरा लक्ष्य सरकारों के माध्यम से इसे सब्सिडी के तौर ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण इलाकों तक पहुंचाना है ताकि हम उन तक शुद्ध पेयजल पहुंचा हैं।" जब द वॉल बनकर सेल के लिए तैयार हो जाएगा तो चंद्र का अगला कदम एक कंपनी स्थापित कर कुछ इंजीनियर को हायर करना होगा। ताकि वे इसे ज्यादा से ज्यादा मार्केट में पहुंचा सकें।
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