नाइजीरिया में समुद्री डाकुओं के चुंगल से छुड़ाए गए 18 भारतीय
नाइजीरिया के समुद्री तट के पास एक वाणिज्यिक पोत से समुद्री डाकुओं द्वारा तीन दिसंबर को अपहृत किए गए 18 भारतीयों को छुड़ा लिया गया है।
नाइजीरिया में भारतीय मिशन ने रविवार को यह जानकारी देते हुए बताया है कि समुद्री डाकुओं के समूह ने बोन्नी द्वीप के पास हांगकांग के झंडे वाले पोत से भारतीय नागरिकों का अपहरण कर लिया था।
नाइजीरिया में भारतीय मिशन ने ट्वीट किया,
‘‘नाइजीरियाई नौसेना और पोत परिवहन कंपनी ने तीन दिसंबर को एमटी नेव कॉन्स्टोलेशन से बंधक बनाए गए 18 भारतीय नागरिकों को छुड़ाए जाने की पुष्टि की है। उन्हें सुरक्षित छुड़ाने में योगदान देने वालों का शुक्रिया।’’
मिशन ने भारतीयों के अपहरण का मामला नाइजीरियाई सरकार के सामने उठाया था।
क्षेत्र में समुद्री गतिविधियों पर नजर रखने वाली वैश्विक एजेंसी ‘एआरएक्स मैरीटाइम’ के अनुसार पोत पर समुद्री डाकुओं ने तीन दिसंबर को कब्जा कर लिया था और 18 भारतीयों समेत 19 लोगों का अपहरण कर लिया था।
अफ्रीकी देशों के तटों के पास समुद्री डाकुओं का खतरा लगातार बना रहता है। सोमालिया के समुद्री डाकू अपनी करतूतों को लेकर काफी लंबे समय से कुख्यात रहे हैं। समुद्री जहाजों को कब्जे में लेकर उसपर सवार लोगों को बंधक बनाना और उनके बदले फिरौती की मांग करना इनका मुख्य काम हैं। ऐसा कई बार हुआ है जब इन डाकुओं ने बंधकों की हत्या भी कर दी है।
पहले भी करते रहे हैं अपहरण
इसके पहले भी 2016 और 2017 में समुद्री डाकुओं ने समुद्री जहाज पर कब्जा करते हुए भारतियों का अपहरण किया था। फरवरी साल 2016 में 10 भारतीय नाविकों को समुद्री डाकुओं के चुंगल से मुक्त कराया गया था, जबकि 2017 में दुबई से यमन जा रहे भारतीय जहाज को कब्जे में लेकर सोमालियाई समुद्री डाकुओं ने चालक दल के 11 सदस्यों का अपहरण कर लिया था।
पश्चिमी अफ्रीका में 6 हज़ार वर्ग किमी का समुद्री इलाका ऐसा है कि इसे समुद्री डाकुओं के लिए स्वर्ग कहा जाता है। आमतौर पर इन देशों की अर्थव्यवस्था भ्रष्ट और सरकारें कमजोर हैं। ऐसे में इन डाकुओं पर कोई शिकंजा न होने के चलते ये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं।
ख़त्म हो चुके हैं सोमाली पाइरेट्स
अंतर्राष्ट्रीय पहल के चलते सोमालिया के समुद्री डाकुओं का अस्तित्व अब करीब-करीब खत्म हो चुका है, लेकिन आज भी गिनिया की खाड़ी में समुद्री डाकुओं का खतरा बराबर बना हुआ है।
(Edited By प्रियांशु द्विवेदी)